सरकार द्वारा रजिस्ट्रेशन रीन्यूअल फीस में भारी बढ़ोतरी करने का उद्देश्य लोगों को ज्यादा पुरानी गाड़ियों को रखने से हतोत्साहित करना है, ताकि लोग खुद ही पुरानी गाड़ियों का इस्तेमाल बंद कर दें और उसे स्क्रैप करा लें।
देश में बढ़ते प्रदूषण और सड़क सुरक्षा के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने पुरानी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन और फिटनेस सर्टिफिकेट के नवीनीकरण को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने वाहन मालिकों के लिए रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल फीस में भारी-भरकम बढ़ोतरी कर दी है। इस फैसले का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ने वाला है, खासतौर पर उन लोगों पर जो अभी भी अपनी पुरानी कार, बाइक या अन्य गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

क्या है नया नियम?
परिवहन मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, 15 साल पुरानी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन और फिटनेस सर्टिफिकेट अब पहले से कहीं ज्यादा महंगा हो जाएगा।
- कारों के लिए रजिस्ट्रेशन रिन्यू की फीस पहले की तुलना में लगभग दोगुनी कर दी गई है।
- बाइक और स्कूटर जैसे दोपहिया वाहनों पर भी अतिरिक्त बोझ डाला गया है।
- कमर्शियल गाड़ियों जैसे बस और ट्रक की फिटनेस फीस में भी बड़ी बढ़ोतरी हुई है।
मंत्रालय का कहना है कि यह कदम लोगों को पुरानी और प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों से छुटकारा दिलाने और नई, ईंधन-कुशल तथा पर्यावरण अनुकूल गाड़ियों की ओर बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
सरकार का तर्क
सरकार का मानना है कि पुरानी गाड़ियां न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं बल्कि सड़क पर सुरक्षा की दृष्टि से भी खतरनाक साबित होती हैं। अधिकतर सड़क हादसों में खराब हालत की पुरानी गाड़ियां शामिल पाई जाती हैं। नए नियमों के जरिए सरकार लोगों को स्क्रैपेज पॉलिसी अपनाने और पुरानी गाड़ियों को बदलकर नई गाड़ियां खरीदने के लिए प्रेरित करना चाहती है।
आम जनता पर असर
इस बढ़ोतरी का असर सीधे तौर पर उन वाहन मालिकों पर पड़ेगा जो अभी भी अपनी पुरानी गाड़ियों को चलाना चाहते हैं। गांव-कस्बों और छोटे शहरों में बड़ी संख्या में लोग 15 से 20 साल पुरानी गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। कई लोग आर्थिक तंगी के कारण नई गाड़ी नहीं खरीद पाते और पुरानी गाड़ी का ही रिन्यू कराते हैं। अब फीस बढ़ने से उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ना तय है।
उदाहरण के लिए, अगर पहले कार का रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराने में 6000 रुपये खर्च होते थे तो अब वही रकम 12,000 रुपये तक पहुंच सकती है। इसी तरह, दोपहिया गाड़ियों के रिन्यूअल पर भी पहले से कहीं ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया

ऑटोमोबाइल सेक्टर ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। इंडस्ट्री का कहना है कि इससे नई गाड़ियों की डिमांड बढ़ेगी और ऑटोमोबाइल मार्केट को बूस्ट मिलेगा। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को भी अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा मिलेगा।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम अचानक से लागू कर देना मध्यमवर्ग और निम्नवर्ग के लिए कठिनाई पैदा करेगा। सरकार को इसके साथ-साथ स्क्रैपेज पॉलिसी में सब्सिडी और नई गाड़ियों की खरीद पर प्रोत्साहन देना चाहिए।
विपक्ष और जनता की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि यह फैसला आम जनता की जेब पर हमला है। उनका कहना है कि महंगाई पहले ही चरम पर है और अब गाड़ियों की रिन्यूअल फीस दोगुनी करने से गरीब और मध्यम वर्ग और ज्यादा परेशान होगा। सोशल मीडिया पर भी लोग इस फैसले पर नाराजगी जता रहे हैं। कई लोगों ने लिखा कि उनकी पुरानी गाड़ी अच्छी कंडीशन में है, फिर भी उन्हें भारी-भरकम फीस क्यों देनी पड़े?
आगे की राह
सरकार ने साफ किया है कि यह कदम लंबे समय तक पर्यावरण और सड़क सुरक्षा के हित में है। मंत्रालय का कहना है कि धीरे-धीरे देश को “ग्रीन मोबिलिटी” की ओर ले जाना ही उनका लक्ष्य है। इस फैसले के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि कितने लोग अपनी पुरानी गाड़ियों को रिन्यू कराते हैं और कितने लोग स्क्रैपेज पॉलिसी अपनाकर नई गाड़ियां खरीदने की ओर बढ़ते हैं।
कुल मिलाकर, सरकार का यह कदम एक ओर जहां पर्यावरण संरक्षण और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिहाज से अहम है, वहीं दूसरी ओर यह आम जनता के बजट पर भारी पड़ता नजर आ रहा है।