“दिल्ली में SSC के खिलाफ छात्रों का हल्लाबोल, देर रात तक जारी रहा प्रदर्शन !

दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को छात्रों ने कर्मचारी चयन आयोग (SSC) के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान, 44 प्रदर्शनकारी हिरासत में लिए गए।

राजधानी दिल्ली में मंगलवार को कर्मचारी चयन आयोग (SSC) के खिलाफ छात्रों का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा। आयोग की विभिन्न परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं और भर्ती प्रक्रिया में देरी के खिलाफ हजारों छात्र जंतर-मंतर पर एकत्र हुए। तय समय समाप्त होने के बाद भी जब छात्र प्रदर्शन से हटने को तैयार नहीं हुए तो देर रात पुलिस ने मोर्चा संभालते हुए 44 छात्रों को हिरासत में ले लिया। इस पूरे घटनाक्रम ने न सिर्फ छात्रों की बेबसी और नाराजगी को उजागर किया बल्कि आयोग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

"दिल्ली में SSC के खिलाफ छात्रों का हल्लाबोल, देर रात तक जारी रहा प्रदर्शन !
“दिल्ली में SSC के खिलाफ छात्रों का हल्लाबोल, देर रात तक जारी रहा प्रदर्शन !

क्यों भड़के छात्र?

क्यों भड़के छात्र?
क्यों भड़के छात्र?

छात्रों का आरोप है कि SSC की परीक्षाओं में पारदर्शिता की कमी है। कई बार पेपर लीक की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा परिणाम घोषित करने और नियुक्तियों की प्रक्रिया में भी लगातार देरी होती है। बेरोजगारी के संकट से जूझ रहे युवाओं का कहना है कि उनकी जिंदगी सालों तक इंतजार में फंस जाती है। छात्रों ने स्पष्ट कहा कि अब वे चुप बैठने वाले नहीं हैं और अपनी मांगों को लेकर सड़क से संसद तक आवाज उठाएंगे।

नारेबाजी और धरना

नारेबाजी और धरना
नारेबाजी और धरना

जंतर-मंतर पर जमा हुए छात्रों ने “SSC जागो, छात्रों को हक दो”, “पेपर लीक बंद करो”, “रोजगार हमारा अधिकार है” जैसे नारे लगाए। छात्रों ने बैनर और पोस्टर लेकर अपनी मांगों को सार्वजनिक किया। कई छात्र ग्रुप में बैठे और धरना देने लगे। उनका कहना था कि जब तक SSC परीक्षा प्रक्रिया में सुधार के ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, आंदोलन जारी रहेगा।

प्रशासन की अपील बेअसर

पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने छात्रों को समझाने की कोशिश की। शाम तक कई प्रतिनिधियों से बातचीत भी हुई, लेकिन समाधान न निकलने से छात्र डटे रहे। निर्धारित समय सीमा खत्म होने के बाद भी जब प्रदर्शन स्थल खाली नहीं हुआ, तो पुलिस ने सख्ती दिखाई। धीरे-धीरे कई छात्रों को हिरासत में लिया गया और देर रात तक करीब 44 छात्रों को अलग-अलग थानों में ले जाया गया।

छात्रों की पीड़ा

प्रदर्शन में शामिल छात्रों ने मीडिया से बातचीत में अपनी परेशानियां साझा कीं। एक छात्र ने कहा, “हमने सालों की मेहनत के बाद परीक्षा दी, लेकिन या तो पेपर लीक हो गया या फिर रिजल्ट आने में महीनों लग गए। हमारी उम्र निकल रही है, लेकिन नौकरी का कोई ठिकाना नहीं है। आखिर हम जाएं तो कहां जाएं?” वहीं, दूसरी छात्रा ने कहा कि भर्ती में देरी और भ्रष्टाचार से उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है।

सोशल मीडिया पर गूंजा आंदोलन

इस प्रदर्शन की गूंज सोशल मीडिया पर भी सुनाई दी। ट्विटर (X) और इंस्टाग्राम पर #SSC_Protest, #WeWantJustice जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कई छात्रों ने वीडियो और तस्वीरें साझा कर आयोग पर सवाल उठाए। देशभर के अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन समर्थन देते हुए कहा कि ये आंदोलन सिर्फ दिल्ली का नहीं, बल्कि पूरे भारत के बेरोजगार युवाओं की आवाज है।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

मामले पर विपक्षी दलों ने सरकार और SSC पर निशाना साधा। उनका कहना था कि सरकार युवाओं को रोजगार देने में पूरी तरह नाकाम रही है और आयोग की लापरवाही ने छात्रों का भविष्य खतरे में डाल दिया है। वहीं ruling पार्टी के कुछ नेताओं ने कहा कि आयोग की स्वतंत्रता को देखते हुए इस मामले की जांच कराई जाएगी और छात्रों की शिकायतों पर गंभीरता से विचार होगा।

पुलिस का बयान

दिल्ली पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को बार-बार समझाया गया था। लेकिन जब उन्होंने निर्धारित समय सीमा के बाद भी धरना स्थल नहीं छोड़ा, तो शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए कुछ छात्रों को हिरासत में लिया गया। पुलिस का कहना है कि हालात पूरी तरह नियंत्रण में हैं और सभी हिरासत में लिए गए छात्रों को जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा।

आगे क्या?

छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं तो वे आंदोलन को और बड़ा करेंगे। छात्र संगठनों का कहना है कि आने वाले दिनों में पूरे देश में इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। वहीं SSC की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

निष्कर्ष

दिल्ली का यह आंदोलन बेरोजगार युवाओं की बेचैनी और उनकी उम्मीदों का प्रतीक है। यह साफ है कि SSC परीक्षाओं की पारदर्शिता और भर्ती प्रक्रिया की गति पर छात्रों को भरोसा नहीं रहा। अब देखना होगा कि आयोग और सरकार छात्रों की नाराजगी को शांत करने के लिए क्या कदम उठाते हैं। यदि ठोस समाधान नहीं निकला, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।

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