योगी सरकार का बड़ा प्रशासनिक फेरबदल: पांच IPS अफसरों का ट्रांसफर !

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बार फिर प्रशासनिक स्तर पर बड़ा कदम उठाते हुए राज्य के पांच आईपीएस (IPS) अधिकारियों का तबादला कर दिया है। सोमवार देर रात जारी आदेश में गृह विभाग ने इन अधिकारियों की नई तैनाती की सूची घोषित की। सरकार के इस फैसले ने राज्य के प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। माना जा रहा है कि यह फेरबदल कानून-व्यवस्था को और मज़बूत बनाने तथा कुछ जिलों में कार्यशैली को तेज़ करने के लिए किया गया है।

योगी सरकार का बड़ा प्रशासनिक फेरबदल: पांच IPS अफसरों का ट्रांसफर !
योगी सरकार का बड़ा प्रशासनिक फेरबदल: पांच IPS अफसरों का ट्रांसफर !

कौन-कौन हुए ट्रांसफर?

जारी सूची के अनुसार पांच आईपीएस अफसरों को नई जिम्मेदारियां दी गई हैं। इनमें कई महत्वपूर्ण जिलों के कप्तान भी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार-

1990 बैच के आईपीएस अफसर एमके बशाल को पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश कार्पोरेशन से पुलिस महानिदेशक महासमादेष्टा, अपर पुलिस महानिदेशक पीटीसी के पद पर तैनात 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जय नारायन सिंह को अपर पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश पॉवर कार्पोरेशन बनाया गया है.

कौन-कौन हुए ट्रांसफर?
कौन-कौन हुए ट्रांसफर?

सरकार का तर्क

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस फेरबदल को सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा बताया है। गृह विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार समय-समय पर पुलिस विभाग में बदलाव कर बेहतर कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रयास करती रहती है। यह तबादले उसी दिशा में एक कदम हैं।

सूत्रों का कहना है कि हाल के दिनों में कुछ जिलों में कानून-व्यवस्था को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। इसके अलावा अपराध नियंत्रण और पुलिस की कार्यशैली को और प्रभावी बनाने के लिए भी यह बदलाव ज़रूरी माना गया।

विपक्ष का हमला

वहीं, विपक्षी दलों ने इस फेरबदल पर सवाल उठाए हैं। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया कि योगी सरकार पुलिस विभाग में बार-बार तबादले करके अधिकारियों पर दबाव बनाती है। उनका कहना है कि इस तरह की लगातार बदलियों से पुलिस का कामकाज प्रभावित होता है और अधिकारी लंबे समय तक किसी जिले में स्थायी रूप से काम नहीं कर पाते।

कांग्रेस ने भी इस कदम को चुनावी रणनीति से जोड़ते हुए कहा कि सरकार पुलिस अधिकारियों को राजनीतिक हित साधने के लिए इधर-उधर कर रही है।

पुलिस महकमे में हलचल

इस प्रशासनिक कदम से पुलिस महकमे में भी हलचल मच गई है। बदले गए अफसरों में से कुछ को बेहद सख्त और ईमानदार छवि वाला माना जाता है। वहीं, कुछ अफसरों की कार्यशैली को लेकर विवाद भी रहे थे। अब देखना यह होगा कि नई तैनाती में ये अधिकारी किस तरह से अपनी जिम्मेदारियां निभाते हैं।

जनता की प्रतिक्रिया

साधारण जनता के बीच भी इस फेरबदल को लेकर चर्चा तेज है। लोग मानते हैं कि पुलिस विभाग में नए अधिकारियों की तैनाती से कामकाज में कुछ बदलाव जरूर देखने को मिलेगा। खासतौर पर अपराध प्रभावित जिलों में लोगों को उम्मीद है कि नए कप्तान अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे।

विशेषज्ञों की राय

प्रशासनिक विशेषज्ञों का कहना है कि यूपी जैसी बड़ी और संवेदनशील आबादी वाले राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसे में अधिकारियों के तबादले सरकार का सामान्य अधिकार है। हालांकि बार-बार होने वाले ट्रांसफर से अफसरों की कार्यक्षमता पर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार को कोशिश करनी चाहिए कि किसी अधिकारी को कम से कम दो साल तक एक ही जिले में काम करने का मौका दिया जाए ताकि वह स्थानीय समस्याओं को गहराई से समझ सके और ठोस समाधान दे सके।

निष्कर्ष

योगी सरकार द्वारा किए गए इस बड़े प्रशासनिक फेरबदल ने एक बार फिर यह संकेत दिया है कि कानून-व्यवस्था सरकार की प्राथमिकता में सबसे ऊपर है। पांच आईपीएस अधिकारियों के तबादले से जहां कुछ जिलों में नई ऊर्जा के साथ कामकाज शुरू होने की उम्मीद है, वहीं विपक्ष इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहा है। अब देखना यह होगा कि नई तैनाती पाने वाले अधिकारी अपने जिलों में अपराध और कानून-व्यवस्था पर कितना नियंत्रण स्थापित कर पाते हैं।

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