योगी आदित्यनाथ ने सभी प्रभारी मंत्रियों को अपने-अपने जिलों में बाढ़ से राहत-बचाव कार्यों की कमान संभालने के निर्देश दिए हैं। यूपी के 17 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। यहां 548 मोटरबोट से लोगों को राहत सामग्री बांटी जा रही है।
उत्तर प्रदेश में इस समय बाढ़ ने विकराल रूप ले लिया है। प्रदेश के 17 जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं और लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार अब तक 2.45 लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही 996 बाढ़ चौकियां सक्रिय कर दी गई हैं, जहां से चौबीसों घंटे निगरानी की जा रही है।

बाढ़ की स्थिति
प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश और पड़ोसी राज्यों से छोड़े गए पानी ने नदियों का जलस्तर बढ़ा दिया है। गंगा, घाघरा, शारदा, सरयू और राप्ती नदियां कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इससे तराई और पूर्वांचल के कई जिले पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। बलरामपुर, गोंडा, बहराइच, सीतापुर, श्रावस्ती, महाराजगंज, कुशीनगर, गाजीपुर, बलिया, लखीमपुर खीरी, बस्ती, संतकबीरनगर, गोरखपुर समेत कुल 17 जिले गंभीर रूप से प्रभावित हैं।
बचाव और राहत कार्य
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार राहत कार्य में जुटी हुई हैं। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से अब तक 2.45 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर निकाला जा चुका है। इन लोगों को अस्थायी राहत शिविरों और स्कूलों में शिफ्ट किया गया है, जहां खाने-पीने और स्वास्थ्य की व्यवस्था की गई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक हजारों पशुओं को भी बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। बाढ़ चौकियों से हर पल की स्थिति पर नजर रखी जा रही है। साथ ही प्रभावित गांवों में नावों के जरिए राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
सीएम योगी के निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्चस्तरीय बैठक कर बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी हालत में प्रभावित लोगों को भोजन, पीने का साफ पानी और चिकित्सा सुविधा में कोई कमी नहीं आनी चाहिए। योगी ने कहा कि जिला प्रशासन और राहत टीमें दिन-रात सक्रिय रहकर लोगों की मदद करें।
उन्होंने बाढ़ से प्रभावित किसानों के नुकसान का भी सर्वेक्षण कराने के निर्देश दिए हैं ताकि उन्हें मुआवजा दिया जा सके। साथ ही पशुओं के चारे और वैक्सीनेशन की भी व्यवस्था करने को कहा गया है।
तकनीक का उपयोग
राज्य सरकार ने बाढ़ प्रबंधन के लिए तकनीक का सहारा लिया है। कंट्रोल रूमों के जरिए ड्रोन से निगरानी की जा रही है। बाढ़ प्रभावित जिलों में हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं, ताकि लोग तुरंत अपनी समस्याएं दर्ज करा सकें। इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी जिला प्रशासन लगातार अपडेट दे रहा है।
जनता की मुश्किलें
हालांकि राहत कार्य तेज हैं, लेकिन बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई गांवों में घर पानी में डूब चुके हैं और लोगों को अस्थायी शरणस्थलों में रहना पड़ रहा है। फसलें बर्बाद हो रही हैं, जिससे किसानों पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। वहीं, बच्चों और बुजुर्गों की सेहत को लेकर भी चिंताएं बढ़ी हुई हैं।
आगे की तैयारी
सरकार ने साफ किया है कि जब तक बाढ़ पूरी तरह से शांत नहीं हो जाती, तब तक राहत कार्य जारी रहेंगे। जिला प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि हर गांव और हर परिवार तक मदद पहुंचे। अधिकारियों को यह भी आदेश दिया गया है कि बाढ़ के बाद संभावित बीमारियों पर तुरंत नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएं।
बाढ़ से प्रभावित जिलों में अभी खतरा टला नहीं है, क्योंकि कई नदियां अभी भी खतरे के निशान के करीब बह रही हैं। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और बारिश की संभावना जताई है। ऐसे में सरकार और प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर है।
निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में बाढ़ ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। लाखों लोग प्रभावित हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद हालात पर नजर रखे हुए हैं और अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं कि हर प्रभावित व्यक्ति तक सहायता पहुंचे। बाढ़ का खतरा अभी टला नहीं है, लेकिन राहत की बात यह है कि प्रशासन पूरी तत्परता से हालात से निपट रहा है।
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