“पूजा पाल पर शिवपाल का तंज – इस्तीफा देना चाहिए था”

हाल ही में समाजवादी पार्टी द्वारा चायल सीट से विधायक पूजा पाल को निष्कासित कर दिया गया था। उन्होंने विधानसभा में सीएम योगी की जमकर तारीफ की थी ऐसे में अखिलेश यादव ने उनपर एक्शन ले लिया था।

समाजवादी पार्टी (सपा) से विधायक पूजा पाल के निष्कासन के बाद पार्टी की सियासत में हलचल और तेज हो गई है। इस बीच सपा के वरिष्ठ नेता और पार्टी के कद्दावर चेहरे शिवपाल सिंह यादव ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि पूजा पाल को खुद ही इस्तीफा दे देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पार्टी अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करती और ऐसे मामलों में कड़ा कदम उठाना ज़रूरी होता है। शिवपाल का यह बयान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।

"पूजा पाल पर शिवपाल का तंज – इस्तीफा देना चाहिए था"
“पूजा पाल पर शिवपाल का तंज – इस्तीफा देना चाहिए था”

पूजा पाल का निष्कासन और विवाद

बीते दिनों समाजवादी पार्टी ने विधायक पूजा पाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता के आरोप में बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इस फैसले ने यूपी की राजनीति में अचानक नया मोड़ ला दिया। पूजा पाल कई दिनों से पार्टी नेतृत्व से नाराज़ चल रही थीं और उनका झुकाव अन्य राजनीतिक विकल्पों की ओर भी दिखाई दे रहा था। ऐसे में पार्टी हाईकमान ने कड़ा फैसला लेते हुए उन्हें निलंबित कर दिया।

शिवपाल यादव का बयान

निष्कासन के बाद पहली बार इस मामले पर खुलकर बोलते हुए शिवपाल सिंह यादव ने कहा – “यदि किसी को पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों से समस्या है, तो उसे खुद ही इस्तीफा दे देना चाहिए। पार्टी ने उन्हें चुना और विधायक बनाया, लेकिन जवाबदेही भी उनकी थी। अनुशासन तोड़ने की बजाय पद छोड़ देना ही सही रास्ता था।”

शिवपाल ने आगे कहा कि समाजवादी पार्टी की नींव अनुशासन और विचारधारा पर टिकी है, जिसे किसी भी हाल में कमजोर नहीं किया जा सकता।

सपा में अनुशासन का महत्व

सपा हमेशा से अपने भीतर अनुशासन को अहम मानती रही है। पार्टी के कई नेताओं पर पहले भी कार्रवाई हो चुकी है जब उन्होंने पार्टी लाइन से हटकर बयान दिए या गतिविधियों में हिस्सा लिया। शिवपाल ने साफ कहा कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के लिए पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाना किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पूजा पाल का राजनीतिक सफर

पूजा पाल का राजनीतिक सफर
पूजा पाल का राजनीतिक सफर

पूजा पाल का राजनीति में सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। उन्होंने अपने पति की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया और सपा से चुनाव जीतकर विधायक बनीं। वह अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखती हैं, लेकिन पार्टी नेतृत्व से लंबे समय से उनकी खटपट बनी हुई थी। उनके कांग्रेस और बसपा के नेताओं से बढ़ते संपर्क को भी इस निष्कासन का कारण माना जा रहा है।

भविष्य की राजनीति पर अटकलें

पूजा पाल के निष्कासन के बाद अब सवाल उठ रहा है कि उनका अगला कदम क्या होगा। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि वह कांग्रेस या बसपा का रुख कर सकती हैं, क्योंकि सपा से बाहर होने के बाद उन्हें नया राजनीतिक ठिकाना तलाशना पड़ेगा। वहीं, भाजपा में उनके शामिल होने की संभावना को भी पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता।

सपा का सियासी संदेश

शिवपाल का बयान केवल पूजा पाल पर ही निशाना नहीं था, बल्कि यह पूरे संगठन के लिए एक सख्त संदेश है कि पार्टी अनुशासनहीनता को किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेगी। चुनावी माहौल में जब विपक्षी दल सरकार को घेरने की तैयारी में हैं, सपा अपने भीतर कोई ढिलाई या बगावत नहीं चाहती।

निष्कर्ष

पूजा पाल के निष्कासन और शिवपाल सिंह यादव के बयान ने यूपी की सियासत को गरमा दिया है। एक ओर सपा अपनी सख्ती दिखाकर यह जताना चाहती है कि पार्टी में नियमों से ऊपर कोई नहीं है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के लिए यह मौका है कि वह पूजा पाल जैसे नाराज़ नेताओं को अपने पाले में कर सकें। अब देखना दिलचस्प होगा कि पूजा पाल अपना अगला राजनीतिक कदम किस दिशा में उठाती हैं और इससे यूपी की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।

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