योगी कैबिनेट ने मंगलवार को कई अहम फैसले लिए। पैतृक संपत्ति बंटवारा के लिए अब 10 हजार रुपये रजिस्ट्री और स्टांप लगेगा।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में आम जनता को बड़ी राहत देने वाला निर्णय लिया है। बैठक में यह तय किया गया कि अब पैतृक संपत्ति के बंटवारे के लिए स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री शुल्क बेहद कम कर दिए जाएंगे। कैबिनेट ने प्रस्ताव को मंजूरी दी है कि बंटवारे की प्रक्रिया में स्टाम्प शुल्क 5 हजार रुपये और रजिस्ट्री शुल्क 5 हजार रुपये लिया जाएगा। यानी कुल मिलाकर सिर्फ 10 हजार रुपये में पैतृक संपत्ति के बंटवारे की लिखा-पढ़ी पूरी हो सकेगी।

पहले लगता था भारी खर्च
अब तक पैतृक संपत्ति का बंटवारा कराने में लोगों को भारी भरकम खर्च उठाना पड़ता था। स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री शुल्क प्रतिशत के आधार पर वसूला जाता था, जिससे रकम लाखों में पहुंच जाती थी। यही कारण था कि कई परिवार कानूनी लिखापढ़ी से बचते हुए आपसी सहमति पर ही संपत्ति का बंटवारा कर लेते थे। कई मामलों में यह सहमति बाद में विवाद का रूप ले लेती थी और लोग सालों तक अदालतों के चक्कर काटते रहते थे।
सरकार ने दिया बड़ा तोहफ़ा

योगी कैबिनेट के इस निर्णय को जनता के लिए एक बड़ा तोहफ़ा माना जा रहा है। सरकार का मानना है कि लिखापढ़ी को आसान और सस्ता बनाने से लोग अधिक संख्या में कानूनी रूप से अपनी पैतृक संपत्ति का बंटवारा कराएंगे। इससे एक ओर जनता को राहत मिलेगी तो वहीं दूसरी ओर राजस्व विभाग को भी फायदा होगा, क्योंकि अधिक से अधिक लोग रजिस्ट्री कराएंगे।
लागू होंगी शर्तें
सरकार ने इस फैसले को लागू करने के साथ कुछ शर्तें भी रखी हैं। यह सुविधा केवल पैतृक संपत्ति के बंटवारे पर ही लागू होगी। अगर कोई व्यक्ति संपत्ति खरीद-बिक्री करता है या किसी और प्रकार की रजिस्ट्री कराना चाहता है तो उस पर पहले से लागू शुल्क ही देना होगा। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि संपत्ति बंटवारे का लाभ केवल उन्हीं को मिले, जो वास्तव में उत्तराधिकार के हकदार हैं।
विवादों के निपटारे में मिलेगी आसानी
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से संपत्ति से जुड़े विवादों में कमी आएगी। अक्सर देखने को मिलता है कि भाई-बहनों के बीच जमीन-जायदाद को लेकर लंबी कानूनी लड़ाई होती है। लेकिन अब मात्र 10 हजार रुपये में रजिस्ट्री और स्टाम्प शुल्क भरकर आसानी से संपत्ति का बंटवारा हो सकेगा। इससे विवादों के निपटारे में तेजी आएगी और अदालतों पर बोझ भी घटेगा।
आम जनता में खुशी
कैबिनेट के इस फैसले के बाद आम जनता में खुशी की लहर है। ग्रामीण क्षेत्रों में खासकर लोग इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं। गांवों में अक्सर पैतृक संपत्ति का बंटवारा लंबित रहता है क्योंकि लोग भारी खर्च से बचते हैं। अब आसानी और सस्ते दरों पर लिखा-पढ़ी होने से यह प्रक्रिया तेज होगी।
सरकार का उद्देश्य
योगी सरकार ने पहले भी जमीन और संपत्ति से जुड़े मामलों में पारदर्शिता लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्री, भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण और भू-माफियाओं पर कार्रवाई उसी दिशा में प्रयास रहे हैं। अब पैतृक संपत्ति बंटवारे की रजिस्ट्री को सस्ता बनाना इसी श्रृंखला का हिस्सा है। सरकार का उद्देश्य है कि कोई भी नागरिक अपनी पैतृक संपत्ति को लेकर असमंजस या विवाद में न फंसे।
कानूनी प्रक्रिया होगी आसान
सरकारी सूत्रों के अनुसार, नई व्यवस्था लागू होने के बाद रजिस्ट्री प्रक्रिया को भी और आसान किया जाएगा। अब ग्रामीणों और आम नागरिकों को बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। उन्हें तय शुल्क का भुगतान कर सीधे रजिस्ट्री करानी होगी।
विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम ऐतिहासिक है और इससे लाखों परिवारों को फायदा होगा। पहले स्टाम्प और रजिस्ट्री शुल्क अधिक होने के कारण कई लोग बिना लिखापढ़ी के ही आपसी समझौते से बंटवारा कर लेते थे। लेकिन कानूनी दस्तावेज न होने के कारण यह विवादास्पद बन जाता था। अब हर कोई औपचारिक तौर पर लिखापढ़ी करवा सकेगा।
निष्कर्ष
योगी सरकार का यह फैसला न केवल जनता के लिए बड़ी राहत है, बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से भी अहम है। अब पैतृक संपत्ति का बंटवारा कराने में आम आदमी को लाखों रुपये खर्च नहीं करने होंगे। मात्र 10 हजार रुपये में कानूनी प्रक्रिया पूरी होगी। इससे विवादों में कमी आएगी, पारदर्शिता बढ़ेगी और लोगों को अपने हक का अधिकार आसानी से मिल सकेगा।
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