PG मेडिकल छात्रों की होगी बाढ़ प्रभावित इलाकों में तैनाती, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए निर्देश

उत्तर भारत के कई राज्यों में बाढ़ की वजह से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। इस बीच राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने पीजी में चिकित्सा विद्यार्थियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तैनात करने का निर्देश दिया है।

उत्तर भारत के कई राज्यों में लगातार बारिश और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आयोग ने शनिवार को एक अधिसूचना जारी कर बताया कि अब स्नातकोत्तर चिकित्सा (PG मेडिकल) विद्यार्थियों की तैनाती बाढ़ और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में की जाएगी

PG मेडिकल छात्रों की होगी बाढ़ प्रभावित इलाकों में तैनाती, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए निर्देश
PG मेडिकल छात्रों की होगी बाढ़ प्रभावित इलाकों में तैनाती, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए निर्देश

आपदा में स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौती

पिछले कुछ हफ्तों से उत्तर भारत के कई राज्य – विशेषकर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार – बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हैं। इन परिस्थितियों में स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ गया है। ग्रामीण और दूरदराज़ के इलाकों में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी साफ दिखाई दे रही है। यही कारण है कि एनएमसी ने पीजी मेडिकल विद्यार्थियों की सेवाएं इन क्षेत्रों में लेने का निर्णय किया है।

आपदा में स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौती
आपदा में स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौती

जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम का हिस्सा

एनएमसी की अधिसूचना के मुताबिक, बाढ़ और आपदा प्रभावित इलाकों में की जाने वाली तैनाती को जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम (District Residency Programme – DRP) के प्रशिक्षण का हिस्सा माना जाएगा। इसका मतलब है कि मेडिकल विद्यार्थियों को अलग से अतिरिक्त ड्यूटी नहीं करनी होगी, बल्कि यह उनके प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का ही एक हिस्सा होगा। इस निर्णय से छात्रों को वास्तविक परिस्थितियों में काम करने और आपदा प्रबंधन का अनुभव मिलेगा।

छात्रों के लिए अनूठा अनुभव

विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं दोनों के लिए लाभकारी साबित होगा। एक ओर छात्रों को कठिन परिस्थितियों में मरीजों का इलाज करने और आपदा प्रबंधन सीखने का अनुभव मिलेगा, वहीं दूसरी ओर बाढ़ग्रस्त इलाकों के लोगों को तुरंत स्वास्थ्य सहायता भी मिल सकेगी।

एनएमसी का बयान

अधिसूचना में कहा गया है कि, “देश के विभिन्न हिस्सों में आपदा की स्थिति बनी हुई है। ऐसे समय में मेडिकल विद्यार्थियों का योगदान न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करेगा बल्कि उन्हें भविष्य में भी आपात स्थितियों से निपटने का व्यावहारिक ज्ञान देगा।” आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि छात्रों की तैनाती स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से की जाएगी।

स्वास्थ्य सेवाओं को मिलेगी मजबूती

राज्यों के स्वास्थ्य विभागों का कहना है कि पीजी विद्यार्थियों की तैनाती से ग्रामीण और आपदा प्रभावित इलाकों में चिकित्सकीय मदद तेजी से उपलब्ध हो सकेगी। बाढ़ के कारण इन दिनों डायरिया, वायरल फीवर, स्किन इन्फेक्शन और मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों की मौजूदगी से समय पर इलाज मिल पाएगा और महामारी जैसी स्थिति को रोका जा सकेगा।

विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया

मेडिकल विद्यार्थियों के बीच इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ छात्रों ने इसे स्वागत योग्य बताया और कहा कि यह उनके लिए सीखने का अवसर है। वहीं, कुछ ने चिंता जताई कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में काम करना जोखिम भरा भी हो सकता है। हालांकि, आयोग ने स्पष्ट किया है कि उनकी सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं का ध्यान स्थानीय प्रशासन रखेगा।

सरकार और विशेषज्ञों की राय

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम लंबे समय में स्वास्थ्य शिक्षा को व्यवहारिक रूप से मजबूत करेगा। आपदा के समय केवल किताबों से पढ़ाई काफी नहीं होती, बल्कि मौके पर जाकर काम करने से छात्रों में आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता बढ़ती है। सरकार का भी मानना है कि इस निर्णय से स्वास्थ्य सेवाओं में तत्काल सुधार होगा।

निष्कर्ष

एनएमसी का यह फैसला वर्तमान हालात में बेहद अहम है। एक तरफ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ पीजी मेडिकल विद्यार्थियों को वास्तविक परिस्थितियों में काम करने का अवसर मिलेगा। इस तरह यह पहल स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा दोनों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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