मंगलवार को हुए चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार सीपी जोशी को 452 वोट मिले हैं। उनके प्रतिद्वंदी उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। सीपी जोशी अब भारत के 15वें उपराष्ट्रपति होंगे। इस बीच पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सीपी राधाकृष्णन को बधाई दी है।
भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को अपने उत्तराधिकारी सी.पी. राधाकृष्णन को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। धनखड़ ने कहा कि राधाकृष्णन का लंबा राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव निश्चित रूप से इस पद की गरिमा को और ऊँचाइयों तक ले जाएगा। उल्लेखनीय है कि जुलाई 2025 में कार्यकाल पूरा होने के बाद पद छोड़ने के बाद यह धनखड़ का पहला सार्वजनिक बयान है, जिस पर राजनीतिक हलकों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

पद छोड़ने के बाद पहली प्रतिक्रिया
जगदीप धनखड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बार संसद में गरिमा, अनुशासन और संवाद की परंपरा को बनाए रखने की अपील की थी। उपराष्ट्रपति पद से विदाई के बाद वह सार्वजनिक मंचों से दूर रहे। ऐसे में राधाकृष्णन को दी गई शुभकामनाएं उनके पहले सार्वजनिक बयान के रूप में सामने आई हैं। उन्होंने कहा,
“मुझे पूरा विश्वास है कि राधाकृष्णन जी का व्यापक अनुभव, उनका सहज व्यक्तित्व और लोकतंत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता भारतीय संसद को और समृद्ध करेगा। यह पद उनकी नेतृत्व क्षमता से नई दिशा पाएगा।”
राधाकृष्णन का अनुभव और पृष्ठभूमि

सी.पी. राधाकृष्णन का नाम भारतीय राजनीति में एक सुलझे हुए और संयमित नेता के तौर पर जाना जाता है। वे कई वर्षों तक सांसद रहे और संसदीय कार्यप्रणाली में उनकी गहरी पकड़ रही है। दक्षिण भारत से आने वाले राधाकृष्णन को पार्टी और संगठन के भीतर भी एक साफ-सुथरी और सरल छवि वाला नेता माना जाता है। उनके चयन को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय संसद में संवाद और सहयोग की परंपरा को और मजबूत करेगा।
धनखड़ का कार्यकाल

जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और तीन साल तक इस पद की जिम्मेदारी निभाई। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई बार राज्यसभा की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए सख्त कदम उठाए। विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों से संवाद बनाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। कई संवेदनशील मौकों पर उनकी भूमिका संतुलनकारी रही। धनखड़ को एक ऐसे उपराष्ट्रपति के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती पर लगातार बल दिया।
राजनीतिक हलकों में चर्चा
धनखड़ के इस बयान को राजनीतिक हलकों में खासा महत्व दिया जा रहा है। कई विश्लेषकों का मानना है कि पद छोड़ने के बाद चुप्पी साधने वाले धनखड़ का राधाकृष्णन के प्रति खुलकर समर्थन जताना एक सकारात्मक संकेत है। इससे यह संदेश जाता है कि लोकतांत्रिक परंपराओं में पद बदलने के बाद भी सम्मान और सहयोग की निरंतरता बनी रहती है।
जनता और मीडिया की प्रतिक्रिया
मीडिया जगत में भी धनखड़ के इस बयान को सुर्खियों में लिया गया। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसे एक सौहार्दपूर्ण लोकतांत्रिक परंपरा का उदाहरण बताया। ट्विटर (एक्स) पर कई उपयोगकर्ताओं ने लिखा कि “भारतीय राजनीति में गरिमा का यह उदाहरण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक है।” वहीं कुछ लोगों ने यह भी कहा कि राधाकृष्णन को अब धनखड़ की स्थापित परंपराओं को और आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी निभानी होगी।
आगे की राह
सी.पी. राधाकृष्णन के सामने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में बड़ी जिम्मेदारी होगी। आने वाले सत्रों में उन्हें विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच संतुलन बनाने की चुनौती का सामना करना होगा। वहीं धनखड़ का यह बयान न केवल उन्हें नैतिक समर्थन देता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि पूर्ववर्ती और वर्तमान उपराष्ट्रपति के बीच आपसी सम्मान और सहयोग की मजबूत भावना कायम है।
निष्कर्ष
जगदीप धनखड़ का अपने उत्तराधिकारी सी.पी. राधाकृष्णन के लिए दिया गया यह बयान भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता और गरिमा को दर्शाता है। यह केवल शुभकामनाओं का संदेश नहीं, बल्कि एक ऐसी परंपरा की झलक है जिसमें पद बदलने के बाद भी सम्मान और सहयोग बना रहता है। अब सबकी निगाहें इस पर होंगी कि राधाकृष्णन अपने अनुभव और नेतृत्व कौशल से इस उच्च constitutional पद को किस तरह नई ऊँचाइयों पर ले जाते हैं।
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