11 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने RSS प्रमुख मोहन भागवत के 75वें जन्मदिन पर एक ब्लॉग लिखा है। ब्लॉग में उन्होंने भागवत के जीवन को समता, बंधुत्व और राष्ट्रसेवा का प्रतीक बताया। उन्होंने लिखा है कि संघ की 100 वर्षों की यात्रा में भागवत का कार्यकाल बदलाव, समर्पण और दूरदर्शी नेतृत्व का कालखंड रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के जन्मदिन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें शुभकामनाएँ दीं और उनके योगदान की सराहना की। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा कि भागवत ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के मंत्र से प्रेरित होकर समाज में समता, समरसता और बंधुत्व की भावना को मजबूत करने में अपना जीवन समर्पित किया है। पीएम मोदी ने उनके दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की भी कामना की।

पीएम मोदी का ट्वीट
प्रधानमंत्री ने कहा, “मोहन भागवत जी ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना को अपने कार्यों में उतारते हुए समाज को जोड़ने, समरसता और बंधुत्व को सशक्त करने का कार्य किया है। उनका जीवन राष्ट्र और समाज सेवा के लिए समर्पित है। मैं उनके दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूँ।”
“एक भारत-श्रेष्ठ भारत” के समर्थक
मोहन भागवत को प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का प्रबल समर्थक बताया। उनका मानना है कि भागवत का जीवन समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की दिशा में प्रेरणास्रोत है। उन्होंने अपने संदेश में यह भी रेखांकित किया कि भागवत ने सदैव सामाजिक सौहार्द और भाईचारे को प्राथमिकता दी है।
भागवत की सामाजिक दृष्टि

मोहन भागवत का व्यक्तित्व संघ की विचारधारा और भारतीय संस्कृति की जड़ों से गहराई से जुड़ा हुआ माना जाता है। वे लगातार इस बात पर जोर देते आए हैं कि भारतीय समाज की विविधता ही उसकी ताकत है। समरसता और समानता को लेकर उनके कई भाषण चर्चा में रहे हैं। भागवत ने कई बार कहा है कि जाति, भाषा और क्षेत्र की दीवारों को तोड़कर ही राष्ट्र सशक्त हो सकता है।
राष्ट्र निर्माण में योगदान
संघ प्रमुख के रूप में मोहन भागवत ने संगठन को न केवल नई दिशा दी, बल्कि आधुनिक चुनौतियों के अनुरूप बदलावों को भी स्वीकार किया। पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा, शिक्षा सुधार, और सामाजिक समरसता जैसे मुद्दों पर उनका जोर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इन्हीं प्रयासों को रेखांकित करते हुए कहा कि भागवत का जीवन राष्ट्र निर्माण की निरंतर यात्रा का प्रतीक है।
राजनीतिक और सामाजिक हलकों में प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी के इस संदेश के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा तेज हो गई। भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने भागवत को शुभकामनाएँ देते हुए उन्हें समाज के लिए प्रेरणादायी बताया। वहीं, RSS से जुड़े स्वयंसेवकों ने पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए भागवत का जन्मदिन मनाया। कई राज्यों में सेवा कार्य, वृक्षारोपण और रक्तदान शिविर आयोजित किए गए।
सोशल मीडिया पर बधाइयों की बाढ़
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी मोहन भागवत को शुभकामनाएँ देने वालों की लंबी कतार लगी रही। ट्विटर (एक्स) पर #MohanBhagwat और #HappyBirthdayMohanBhagwat जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने उन्हें “समाज सुधारक और प्रेरणा के स्रोत” के रूप में संबोधित किया।
भागवत का व्यक्तित्व
मोहन भागवत अपने सादगीपूर्ण जीवन और स्पष्ट विचारों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हमेशा कहा है कि समाज की मजबूती ही राष्ट्र की मजबूती है। ‘वसुधैव कुटुंबकम’ यानी ‘पूरा विश्व एक परिवार है’ का दर्शन उनकी सोच का मूल आधार है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने संदेश में इसी विचारधारा को केंद्र में रखा।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मोहन भागवत के जन्मदिन पर दी गई शुभकामनाएँ केवल औपचारिक बधाई नहीं हैं, बल्कि यह उनके जीवन दर्शन और राष्ट्र निर्माण में योगदान की मान्यता भी है। भागवत ने जिस तरह समरसता, बंधुत्व और सामाजिक एकता को अपनी प्राथमिकता बनाया है, वह आज के समय में भारत की लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक यात्रा के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।
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