“CRPF यौन शोषण केस: जांचकर्ता महिला कमांडेंट पर ही जांच की आंच”

CRPF महिला यौन शोषण समिति की अध्यक्ष नीरजबाला के खिलाफ़ साज़िश, झूठी – भ्रामक शिकायत करके बदनाम करने की कोशिश !

केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) में पिछले एक-डेढ़ दशक से लगातार महिला कर्मियों से जुड़े यौन शोषण के मामलों का निस्तारण कराने वाली महिला कमांडेंट नीरजबाला की छवि ख़राब करने और अपने भ्रष्ट्राचार को छुपाने के लिए सुनीता पांडे नामक ASI के पुत्र ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के पोर्टल पर CMS (Centralized Monitoring System) के जरिए एक शिकायत दर्ज कराई. जिसे जांच में फर्जी पाया गया.

जानकारी के मुताबिक़ ASI सुनीता पांडे 88 बटालियन में तैनात है जिसके द्वारा मंत्रालयिक स्टाफ के एक अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. जिसकी जांच CRPF महिला यौन शोषण समिति की अध्यक्ष कमांडेंट नीरज बाला को सौंपी गई थी. जांच में यह पाया गया कि सुनीता पांडे द्वारा लगाई गई यौन शोषण की शिकायत झूठी एवं तथ्यों से परे थी. यह शिकायत वास्तव में भ्रष्टाचार संबंधी मामलों से बचने के उद्देश्य से श्री न पी जोशी मंत्रालयिक स्टाफ के अधिकारी पर लगाई गई थी. समिति ने इस मामले को तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर निराधार ठहराया।

"CRPF यौन शोषण केस: जांचकर्ता महिला कमांडेंट पर ही जांच की आंच"
“CRPF यौन शोषण केस: जांचकर्ता महिला कमांडेंट पर ही जांच की आंच”

मामले की जानकारी देते हुए समिति ने बताया कि जांच के निर्णय से क्षुब्ध होकर, सुनीता पांडे के पुत्र प्रियांशु पांडे ने विभिन्न मंत्रालयों एवं एजेंसियों के नाम से फर्जी रजिस्टर्ड लेटरहेड एवं आधिकारिक प्रतीकों का दुरुपयोग कर बार-बार अधिकारियों के विरुद्ध झूठी शिकायतें दर्ज कराई हैं. उनका उद्देश्य केवल अपनी माता को विभागीय भ्रष्टाचार जांचों से बचाना एवं ईमानदार अधिकारियों की छवि को धूमिल करना है।

साथ ही समिति के द्वारा बताया कि यह भी संदेह है कि कुछ अधिकारी, जिन पर वर्तमान में यौन शोषण संबंधी जांच लंबित है, वे अपने खिलाफ चल रही जांच से ध्यान हटाने तथा समिति की कार्यवाही को प्रभावित करने के लिए प्रियांशु पांडे का उपयोग कर रहे. फ़िलहाल इस पूरे मामले का खंडन करते हुए समिति की तरफ से प्रेस नोट जारी कर मामल की गहनता से जांच करके आरोपियों के खिलाफ़ सख़्त कार्यवाही की जाएगी।

झूठी शिकायत का मामला

कुछ दिनों पहले, CRPF मुख्यालय को एक शिकायत प्राप्त हुई थी जिसमें समिति की अध्यक्ष नीरज बाला पर कदाचार और पद का दुरुपयोग करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। शिकायत का विषय संवेदनशील होने के कारण इसे तुरंत संज्ञान में लिया गया और प्राथमिक जांच शुरू कराई गई। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए CRPF ने यह सुनिश्चित किया कि निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जाए ताकि किसी भी प्रकार की भ्रांति न रहे।

संगठनात्मक छवि पर असर

CRPF देश की सबसे बड़ी अर्धसैनिक बलों में से एक है और उसकी छवि हमेशा अनुशासन, ईमानदारी और पारदर्शिता की रही है। लेकिन इस तरह के प्रकरण संगठन की साख को चोट पहुंचा सकते हैं। खासकर तब, जब जांच की जिम्मेदारी संभालने वाली अधिकारी पर ही सवाल उठने लगें। इससे न केवल महिला कर्मियों का भरोसा डगमगा सकता है, बल्कि आम जनता की नजरों में भी संस्था की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है।

नीरज बाला की भूमिका और कार्यशैली

नीरज बाला, कमांडेंट, CRPF में लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रही हैं। महिला यौन शोषण समिति की अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने हमेशा महिला कर्मियों की सुरक्षा और सम्मान को सर्वोपरि रखा है। उनकी अध्यक्षता में समिति ने कई बार महिला जवानों की समस्याओं का समाधान किया है और कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने में अहम योगदान दिया है।

उनकी ईमानदारी और निष्पक्ष कार्यशैली के कारण ही महिला कर्मियों और सहकर्मियों में उनका विशेष सम्मान है। ऐसे में उनके खिलाफ लगाए गए आरोप न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि धूमिल करने का प्रयास हैं बल्कि CRPF जैसी अनुशासित संस्था की गरिमा को भी ठेस पहुंचाने वाले हैं।

CRPF का आधिकारिक रुख

CRPF के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की शिकायत को हल्के में नहीं लिया जाता। लेकिन इस मामले में जांच के निष्कर्षों के बाद यह साफ हो गया कि शिकायत बेबुनियाद थी। संस्था ने झूठी और भ्रामक शिकायत करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का संकेत दिया है ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत दुश्मनी या दुर्भावना से संगठन की गरिमा को आहत न कर सके।

महिला सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता

यह घटना यह भी साबित करती है कि CRPF महिला कर्मियों की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से गंभीर और प्रतिबद्ध है। झूठी शिकायतों की पहचान कर उनका खंडन करना भी उतना ही जरूरी है, जितना वास्तविक मामलों में न्याय दिलाना। यदि ऐसे फर्जी आरोपों पर समय रहते अंकुश न लगाया जाए तो इससे संगठन की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है।

निष्कर्ष

अंततः यह कहा जा सकता है कि CRPF महिला यौन शोषण समिति की अध्यक्ष नीरज बाला पर लगाए गए सभी आरोप झूठे और निराधार पाए गए हैं। इस प्रकरण ने यह भी दर्शाया है कि संगठन में अनुशासन और पारदर्शिता सर्वोच्च है और किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बिना साक्ष्य के बदनाम करने का प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

नीरज बाला की कार्यशैली और महिला सुरक्षा के प्रति उनका समर्पण CRPF की साख को और मजबूत करता है। जांच के बाद साफ हो चुका है कि वह निर्दोष हैं और उनके खिलाफ की गई शिकायत केवल एक साजिश थी, जिसका खंडन संगठन ने स्पष्ट रूप से कर दिया है।

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