चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही बिहार में मंत्री अब सरकारी सुविधाओं का उपयोग अब नहीं कर पाएंगे। सरकारी वेबसाइटों से नेताओं की तस्वीरें हटाई जाएंगी। नई योजनाओं पर रोक रहेगी और भड़काऊ बयानों पर नियंत्रण रखा जाएगा।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां अब जोरों पर हैं। जैसे ही चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ, राज्य में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो गई है। इसके साथ ही चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने सभी राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और सरकारी अधिकारियों के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने साफ कहा है कि चुनाव की पारदर्शिता और निष्पक्षता में किसी भी तरह की लापरवाही या आचार संहिता के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

आचार संहिता का उद्देश्य है कि चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और बिना किसी बाहरी दबाव के पूरी हो। इसमें यह तय किया गया है कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दल, उम्मीदवार और सरकारी मशीनरी किस तरह का व्यवहार करें और किन चीजों से बचें।
क्या करें (Do’s) — आयोग के दिशा-निर्देश
चुनाव आयोग ने नेताओं और पार्टियों को कुछ प्रमुख नियमों का पालन करने के निर्देश दिए हैं ताकि चुनाव प्रक्रिया की गरिमा बनी रहे:
- जनसभाओं और रैलियों की अनुमति लें:
कोई भी पार्टी या उम्मीदवार किसी भी इलाके में जनसभा, जुलूस या रैली आयोजित करने से पहले स्थानीय प्रशासन से लिखित अनुमति लेगा। इससे कानून-व्यवस्था बनी रहेगी। - खर्च का सही ब्यौरा दें:
सभी उम्मीदवारों को अपने चुनावी खर्च का रिकॉर्ड रखना होगा और इसे तय समय सीमा के भीतर चुनाव आयोग को देना होगा। गलत या झूठा खर्च दिखाने पर कार्रवाई की जाएगी। - सभी वर्गों का सम्मान करें:
भाषणों और प्रचार के दौरान धर्म, जाति, भाषा या क्षेत्रीय भावनाओं को आहत करने वाले बयान नहीं देने होंगे। - मतदाताओं से शालीन व्यवहार करें:
उम्मीदवारों को मतदाताओं से सभ्य और सम्मानजनक भाषा में बात करने की सलाह दी गई है। किसी पर दबाव डालना या धमकाना सख्त मना है। - सरकारी संपत्ति का संरक्षण करें:
चुनावी प्रचार के दौरान सरकारी दीवारों, भवनों, बिजली के खंभों या सार्वजनिक स्थलों पर बिना अनुमति पोस्टर-बैनर नहीं लगाए जा सकेंगे। - विकलांग और बुजुर्ग मतदाताओं की सुविधा सुनिश्चित करें:
आयोग ने निर्देश दिया है कि मतदान केंद्रों पर सुविधाजनक रैंप, व्हीलचेयर और पीने के पानी की व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जाए।
क्या न करें (Don’ts) — सख्त पाबंदियां
साथ ही चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि चुनावी आचार संहिता के दौरान कौन-कौन से काम बिल्कुल नहीं किए जा सकते:
- सरकारी घोषणाएं नहीं:
किसी भी मंत्री, मुख्यमंत्री या सरकारी अधिकारी को चुनाव के दौरान नई योजनाओं, उद्घाटन या विकास कार्यों की घोषणा करने की अनुमति नहीं होगी। - मतदाताओं को लालच देना मना:
किसी भी उम्मीदवार या पार्टी द्वारा पैसे, गिफ्ट, शराब या अन्य वस्तुएं देकर वोट मांगना सख्त वर्जित है। यह घूसखोरी और चुनावी अपराध की श्रेणी में आता है। - धार्मिक या साम्प्रदायिक भाषण नहीं:
चुनावी मंचों से धर्म या जाति के नाम पर वोट मांगना सीधे-सीधे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। - सरकारी गाड़ियों और दफ्तरों का दुरुपयोग नहीं:
किसी भी मंत्री या पदाधिकारी को सरकारी वाहन, दफ्तर या कर्मचारी चुनावी प्रचार में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है। - पोस्टर और दीवार लेखन प्रतिबंधित:
बिना अनुमति किसी की निजी या सार्वजनिक संपत्ति पर पोस्टर, बैनर, या दीवार लेखन नहीं किया जा सकता। ऐसा करने पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। - सोशल मीडिया पर नजर:
चुनाव आयोग ने चेतावनी दी है कि फेक न्यूज, भड़काऊ वीडियो, या गलत सूचना फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी। सभी उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स का वैरिफिकेशन और निगरानी रिपोर्ट देनी होगी।
सरकारी अधिकारियों के लिए भी सख्त नियम
आयोग ने सभी जिलाधिकारियों, एसपी और अन्य सरकारी कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि वे चुनाव अवधि में राजनीतिक तटस्थता बनाए रखें। किसी भी दल या उम्मीदवार को पक्षपातपूर्ण लाभ देना या प्रचार में शामिल होना सेवा नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
उल्लंघन पर होगी तुरंत कार्रवाई
चुनाव आयोग ने कहा है कि आचार संहिता तोड़ने वालों पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा। चाहे वह किसी भी पार्टी का उम्मीदवार हो या सत्ताधारी दल का मंत्री। आयोग ने राज्यों को निर्देश दिया है कि फ्लाइंग स्क्वॉड और निगरानी टीमें लगातार निगरानी रखेंगी ताकि किसी भी उल्लंघन को तुरंत रोका जा सके।
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब सिर्फ राजनीतिक मुकाबला नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक अनुशासन की परीक्षा भी है। चुनाव आयोग का यह सख्त रुख साफ संकेत देता है कि इस बार “मनी, मसल और मिसइन्फॉर्मेशन” की राजनीति पर नकेल कसने की तैयारी है।
आयोग का संदेश साफ है — “सभी के लिए समान नियम, पारदर्शी चुनाव और निष्पक्ष परिणाम।”
अब देखना यह होगा कि दल और नेता इन नियमों का पालन कितनी गंभीरता से करते हैं, क्योंकि इस बार आयोग की नजरें हर कदम पर होंगी।