कल्पनाथ जैसी कल्पना की आस में मऊ का कल्पवास

“शिव कृपाल मिश्र संपादक”

मऊ जिसे मऊनाथ भंजन के नाम से सरकारी दस्तावेजों में पाया जाता है,मऊ जिले को आजमगढ़ और बलिया से काटकर बनाया गया था माना जाता है कि मऊ नाथ भंजन का उदय स्वर्गीय कल्पनाथ राय के सांसद रहने के काल में हुआ था या यूं कहें कि मऊ को अलग जिला कल्पनाथ राय की वजह से ही हुआ था,मऊनाथ भंजन के विकास पुरुष निश्चित रूप से कल्पनाथ राय ही थे जिनके नाम से मऊ को जाना जाता था । कल्पनाथ राय का पर्याय हो गया था मऊ , मऊ को जिला का दर्जा दिलाने के बाद मऊ में विकास का रथ चलाने वाले रथी कल्पनाथ राय ने वह सब कर दिखाया , जिसे उस समय सोचना भी लोगों के लिए मुश्किल था जिस समय मऊनाथ भंजन का विकास अपने चरम पर था उस समय प्रदेश के बड़े-बड़े शहरों में भी वह मिसाले नहीं थी जो मऊ जनपद को मिला था चाहे फ्लाईओवर हो, दूरदर्शन हो, सोलर प्लांट हो, सिविल लाइन एरिया हो या अन्य इन्फ्राट्रक्चर हो यहां तक की रेलवे स्टेशन बना और वहां पर कई रेलगाड़ियों का स्टॉपेज बना कितने दुर्भाग्य की बात है जो मऊ दूरदर्शी विकास पुरुष कल्पनाथ राय के नाम से जाना जाता था जिस मऊ को साड़ियों और तमाम आधारभूत संरचनाओं के लिए जाना जाता था देखते देखते वह मऊ कब मुख्तार के नाम से जाना जाने लगा पता ही नहीं चला , जो मऊ विकास की इबारत भारत के नक्शे पर लिख रहा था वह आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गया । जहां की संरचना शांति और विकास पर आधारित थी ,वहां दंगाइयों का बोलबाला हो गया मऊ में दंगे होने लगे हथियारबंद लोगों का विकास होने लगा और एक समय आते आते मऊ मुख्तार के आगोश में समा गया ऐसा नहीं की कल्पनाथ राय के बाद वहां कोई सांसद , विधायक या मंत्री नहीं हुआ सब हुए लेकिन कोई मुख्तार के फाटक से बाहर नहीं निकल पाया ।

मऊ एक बड़ा उदाहरण है जो बयां करता है कि कैसे कोई नेता या प्रशासक , चाहे तो वह किसी क्षेत्र समाज और सुख को कैसे बदल सकता है पहले आप यह जानिए कि कल्पनाथ राय ने क्या-क्या किया ?

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ! जिस समय उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक भी ओवरब्रिज/फ्लाईओवर नहीं था उसे समय कल्पनाथ राय ने मऊ को 3 ओवर ब्रिज दिया था।

जब टेलीविजन का दौर शुरू हुआ था उस समय लखनऊ के अलावा केवल मऊ ही एक ऐसा जिला था जहां दूरदर्शन केंद्र बना।

मऊ 1987 तक एक तहसील के रूप में भी नहीं जाना जाता था वह 1988 में एक जिला बन गया ऐसी इबारत कल्पनाथ राय जैसी शख्सियत ही लिख सकती है जो इतिहास बन गया ।

मऊ में उनके द्वारा लगभग 23 बिजली उप केंद्र बनाए गए उसमें भी 400 केवीए का उपकेंद्र मऊ में स्थापित करवाया गया ।

जिस समय बहुत कम लोग ही फोन पर बात करते थे,उस समय मऊ में 28 स्वचालित टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित हो गया था

इसके अलावा उन्होंने 5 एकड़ जमीन पर नए डीएम आवास के साथ 6 आधुनिक गेस्ट हाउस बनवाए , जो उसे दौर में भी किसी फाइव स्टार होटल को टक्कर दे रहा था।

कृषि क्षेत्र के विकास हेतु भारतीय विज्ञान संस्थान और राष्ट्रीय कृषि महत्वपूर्ण सूक्ष्मजीव ब्यूरो मऊ में स्थापित हुआ।

आज भी मऊ से संबंधित बड़े-बड़े पदों पर आसीन नेता और अफसर हैं यहां तक की मऊ से ही दो – दो बड़े विभागों के कैबिनेट मंत्री का पद संभाल रहे हैं जो अफसर से नेता बने हैं क्या? मऊ के विकास को जहां कल्पनाथ राय ने छोड़ा था वहां से आगे बढ़ा सकते हैं , क्या इन जैसे लोगों की कल्पना में मऊ का कोई खाका है ? अभी तक किसी के पास कोई ब्लू प्रिंट तैयार नहीं है ,यह भी कहना पड़ेगा कि मऊ की विकास यात्रा में केवल नेता अफसर ही जिम्मेदार नहीं बहुत हद तक वहां की जनता भी जिम्मेदार है, इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है कि वहां का सांसद और विधायक भी मऊ जनपद का नहीं है इसके पीछे बहुत हद तक माफियाओं का भी हाथ था वहां के माफियाओं के साथ सत्ताधारी दल गलबहियां खेलती थी जिसकी वजह से जनता निरीह हो चली थी और निरीह होती चली गई ।

हालांकि इधर कुछ वर्षों बाद समय बदला है राज्य सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर मऊ की ओर चला ! जहां से दहशत और माफिया राज खत्म होता दिख रहा है भला हो! मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जो मऊ से माफिया राज के भय का खात्मा कर दिया । वहां की जनता को माफिया से ही नहीं बल्कि माफियागिरी के भय से मुक्ति दिलाने का कार्य किया। यदि इस कार्य के साथ मऊ की जनता भी अपना एक कल्पनाथ राय खोज ले तो एक बार फिर से मऊ विकास की इबारत लिखने लगेगा। क्योंकि मऊ में बने आतंक के माहौल को प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने लगभग समाप्त कर दिया है।