लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम में हजारों दर्शकों की मौजूदगी में कल रात मशहूर गायक पद्मश्री कैलाश खेर जी के गानों पर देर रात तक झूमते रहे लखनऊ वाले। पूरा शहर मानों उनके गानों को सुनने के लिए उमड़ आया हो। श्रोता मंत्रमुग्ध होकर उनके गीतों पर झूमते रहे। ऐसा लगा मानो संगीत की ऊंचाइयों ने साक्षात कैलाश को छू लिया हो। उनके हर गीत पर दर्शक तालियों की गूंज में झूमते रहे। कंसर्ट की शुरुआत कैलाश खेर ने अपने प्रसिद्ध गीत “मैं तो तेरे प्यार में दीवाना हो गया, दिलरुबा ये बता क्या करूं तेरे सिवा…” से की। जैसे ही उन्होंने इस गीत में आलाप लिया, दर्शकों का उत्साह और शोर और भी बढ़ता गया। इस गीत में उन्होंने जितनी बार आलाप लिया, उतनी बार दर्शकों का शोर और उत्साह तेज होता रहा। इसके बाद एक बार फिर अपने ही लिखे गीत , तौबा तौबा उफ माशा-ए-अल्लाह… गाकर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। अमीर खुसरो की रचना गोरी सोई सेज पे मुख पे डारे केस…, ओ पिया… पिया के रंग रंग दीनी ओढ़नी… पर दर्शक मस्त हो गए। इसके बाद शिव तांडव स्त्रोत जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्नि लिंप निर्झरी… से शुरू बाहुबली फिल्म का मशहूर गीत कौन है कौन है वो कहां से आया… से दर्शकों में ऊर्जा भर दी। अपने मशहूर गीत तेरे नाम से जी लूं तेरे नाम से मर जाऊं… सुनाकर दर्शक दीर्घा के शोर और तालियों की गूंज बढ़ा दी। ये दुनिया ऊट पटांगा… गाते ही दर्शक नाचने लगे। मंच के करीब मौजूद दर्शक तो नाचते हुए अपने मोबाइल में कैलाश को कैद करते रहे। हीरे मोती मैं ना चाहूं मैं तो चाहूं संगम तेरा… और जागो री जागो जागो जागो धरती सारी… से कैलाश ने समा बांध दिया।
लखनऊ में कैलाश खेर के गीतों का जादू: देर रात तक झूमते रहे लोग, मंच पर थिरकीं युवतियां
