बांसवाड़ा में 30 आदिवासी परिवारों ने की ‘घर वापसी’, चर्च को किया भगवा, लिखा- जय श्री राम

बांसवाड़ा : जिले के सोडला गुदा गांव में एक चर्च को अब मंदिर बना दिया गया है. मंदिर में हिन्दू रीति रिवाज के साथ भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई. दरअसल, यह आयोजन इसलिए खास है कि भैरव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा उस जगह हो रही है, जहां पहले चर्च का संचालन किया जा रहा था.
भारत माता मंदिर के महंत रामस्वरूप महाराज ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद के माध्यम से क्षेत्र में लंबे समय से जन जागरण का कार्य किया जा रहा है. यहां कुछ परिवार सालों पहले हिंदू धर्म से अलग हो गए थे. पिछले साल गांगड़तलाई में त्रिशूल दीक्षा का कार्यक्रम हुआ था, जहां इन लोगों ने वापस हिंदू धर्म में लौटने का मानस बना लिया था. आज जिस जगह पर मंदिर बन रहा है वो चर्च थी, उसके पादरी रहे गौतम गरासिया को ही अब मंदिर का पुजारी बनाया है. गौतम गरासिया का दावा है कि उन्हें सालों पहले लालच देकर धर्म बदलवा दिया था, लेकिन उन लोगों ने हमें कुछ नहीं दिया. ऐसे में अब हम वापस हिंदू धर्म में लौट रहे हैं.
बता दें कि सोडला गांव में करीब 30 आदिवासी परिवारों ने 7-8 साल पहले ईसाई धर्म अपना लिया था, जो अब हिंदू धर्म में वापस लौट रहे हैं. इन्हीं लोगों ने निर्णय लिया कि चर्च को हटाकर मंदिर निर्माण किया जाए. लोगों ने चर्च को मंदिर की तरह भगवा रंग से रंग दिया और दीवारों पर जय श्री राम लिखा. प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले भगवान भैरव की मूर्ति को विद्या निकेतन स्कूल से शोभायात्रा के साथ नगर भ्रमण कराया गया. इस दौरान जगह-जगह पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत अभिनंदन किया गया. इसके बाद मूर्ति को मंदिर में लाया गया और हवन-आरती के साथ मूर्ति स्थापित की गई. लोगों ने वागड़ी भजनों की प्रस्तुतियां दी. अंत में महाप्रसाद का वितरण किया गया.

इस मौके पर प्रशासन और पुलिस का जाप्ता भी तैनात रहा.
भारत माता मंदिर के महंत रामस्वरूप महाराज ने कहा कि “सोडला गुदा गांव में करीब 30 साल पहले 30 से 35 परिवारों ने ईसाई धर्म अपना लिया था, वे लोग धीरे-धीरे कन्वर्ट हो रहे थे. भारत माता मंदिर लगातार लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा था. पिछले साल गांगड़तलाई में आयोजित त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम में कुछ लोग शामिल हुए. उन्होंने वापस सनातन धर्म में शामिल होने की इच्छा जाहिर की. पूजा पद्वति को अपनाने लगे. इसके बाद गांव के लोगों ने एक बैठक आयोजित की, जिसमें गांव की जमीन पर ही बने चर्च को वापस मंदिर का स्वरूप देने का निर्णय लिया. उसी निर्णय के अनुसार गांव वालो ने ईसाई धर्म छोड़कर वापस सनातन धर्म को स्वीकार कर लिया है. चर्च की जगह अब मंदिर बनाकर कर उसने भैरव जी की मूर्ति प्रतिष्ठा की गई है. चर्च में जो पहले पादरी था, उसे ही मंदिर का पुजारी भी बनाया गया है.” वहीं, चर्च के पूर्व पादरी और अब मंदिर के पुजारी गौतम गरासिया ने कहा कि” हम पहले हिन्दू ही थे, लेकिन हमें लालच दिया गया कि आपको पैसा देंगे, हम उनके लालच में आ गए, लेकिन बाद में कुछ मिला नहीं. हम अब वापस हिन्दू धर्म में आ गए है. यही हमरा असली धर्म है. “