मैनपुरी के दिहुली नरसंहार में मंगलवार को स्पेशल डकैती कोर्ट की ADJ इंद्रा सिंह ने फैसला सुनाया। 24 दलितों की सामूहिक हत्या में तीन डकैतों को फांसी की सजा दी है। 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया है। 11 मार्च को स्पेशल जज ने तीनों को दोषी ठहराया था।

क्या है पूरा मामला ?
साल 1982 में डकैतों के गिरोह ने दलितों के गांव पर हमला बोल दिया था। अंधाधुंध गोलियां बरसाकर 24 लोगों की हत्या कर दी थी। जिसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं। डकैतों ने मुखबिरी के शक में दलितों की हत्या की थी। सामूहिक नरसंहार से तब की केंद्र और प्रदेश सरकार हिल गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, गृहमंत्री बीपी सिंह, मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी और विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेई भी पीडितों का दर्द बांटने दिहुली गांव पहुंचे थे। जिस वक्त ये नरसंहार हुआ, उस समय दिहुली गांव फिरोजाबाद के थाना जसराना क्षेत्र में आता था। मैनपुरी जिला बनने के बाद फिरोजाबाद से केस मैनपुरी ट्रांसफर कर दिया गया। दरअसल 18 नवंबर 1981 की शाम 6 बजे दिहुली गांव में डकैतों ने हमला किया था. संतोष और राधे के गिरोह ने एक मुकदमे में गवाही देने के विरोध में पूरे गांव पर गोलियां बरसाईं, जिसमें 24 निर्दोष लोगों की मौत हो गई. हत्या के बाद बदमाशों ने गांव में जमकर लूटपाट भी की ,एक स्थानीय शख्स की शिकायत के आधार पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 302, 307 और 396 के तहत 17 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। चार दशकों से चल रहे मुकदमे में 14 की मौत हो गई।

पूर्व पीएम इंदिरा गांधी पीड़ितों के परिवार से मिली थीं
इस हत्याकांड के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी। वहीं विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने तो पैदल यात्रा निकालकर पीड़ित परिवारों के लिए संवेदना व्यक्त की थी। कोर्ट के इस फैसले के बाद वकील रोहित शुक्ला ने कहा कि करीब चार दशक के बाद पीड़ित परिवार को न्याय मिला है। कोर्ट का आज का फैसला ऐतिहासिक है।इससे समाज में यह मैसेज जाएगा कि कोई भी अपराधी कानून से नहीं बच सकता है।
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