केंद्र सरकार के नए नियमों के बाद राजस्थान में DGP की मंजूरी के बाद से ही कॉल रिकॉर्डिंग हो रही है. साढ़े तीने महीने से कोई भी मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लेने से पहले डीजीपी से अप्रूवल लेना पड़ता है ,राज्य के डीजीपी यू आर साहू ने इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि अब फोन सर्विलांस की अनुमति केवल डीजीपी की मंजूरी पर ही दी जाएगी, उन्होंने कहा कि सर्विलांस आदेश केवल पर्याप्त कारण और सुबूत होने पर ही दिए जाएंगे ,
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फोन सर्विलांस का इस्तेमाल केवल आवश्यक और कानूनी उद्देश्यों के लिए किया जाए, ताकि व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन न हो और यह प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जाए।
यह प्रक्रिया अधिक नियंत्रित और सख्त होगी। डीजीपी के अनुसार, सर्विलांस केवल सुरक्षा कारणों और संवेदनशील जानकारी के संदर्भ में किया जाएगा, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी अवैध गतिविधि के लिए इसका दुरुपयोग न हो
गृह सचिव बतौर सदस्य शामिल नहीं हो सकेंगे
नए नियम के अनुसार राजस्थान में सर्विलांस का रिव्यू करने वाली कमेटी के अध्यक्ष मुख्य सचिव और विधि सचिव सदस्य होंगे. कमेटी में गृह सचिव बतौर सदस्य शामिल नहीं हो सकेंगे. इनकी जगह सचिव स्तर का कोई अन्य अधिकारी सदस्य होगा, जो किसी दूसरे विभाग का होगा. कमेटी 2 महीने में बैठक करेगी. सर्विलांस के जो आदेश नियमानुसार नहीं हैं. समिति उसे बाहर कर सकती है, और रिकॉर्डिंग डिलीट करने के आदेश दे सकती है.
नए नियम के बाद से सर्विलांस की रफ्तार में कमी
राज्य की तरह केन्द्र में भी यह कमेटी होगी, जिसमें अध्यक्ष मंत्रिमंडल सचिव और विधि सचिव तथा दूर संचार विभाग के सचिव सदस्य होंगे. नए नियम के बाद से सर्विलांस की रफ्तार में कमी आई है. एसीबी और एटीएस-एसओजी जैसी एजेंसियों को सर्विलांस की आवश्यकता तत्काल पड़ती है. पहले इनके प्रमुख फाइल प्रदेश के गृह विभाग को भेजते थे.
डीजीपी यूआर साहू ने भास्कर को बताया कि नए नियमों के अनुसार सर्विलांस के लिए पत्रावलियां हमारे पास आ रही हैं. इनमें से उपयुक्त कारण बताए जाते हैं, जो भी सही मामलों में जरूरत है. उन्हें नियमों के अनुसार मंजूरी दी जा रही है.
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