पूर्व आईपीएस शिवदीप लांडे ने ‘हिंद सेना’ नाम से पार्टी बनाई..

 बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ आया है । विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एक और राजनीतिक दल की एंट्री हो चुकी है। मशहूर पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे ने राजनीति में एंट्री कर ली है। उन्होंने अपनी नई राजनीतिक पार्टी ‘हिंद सेना पार्टी’ का ऐलान किया है। उन्होंने खुद भी चुनाव लड़ने का एलान किया है। लांडे ने कहा कि यह पार्टी राष्ट्रवाद, सेवा और समर्पण की भावना से प्रेरित होकर बिहार की जनता की आवाज बनेगी। लांडे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हम लोगों ने यह फैसला लिया है कि हमारी पार्टी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेगी। मैं भी चुनावी मैदान में उतरना चाहता हूं। आम लोगों से अपील है कि जो बिहार को बदलना चाहते हैं या जो भी लोग बिहार में बदलाव चाहते हैं, उन सभी का हिन्द सेना में स्वागत है। उन्होंने पार्टी की घोषणा करते हुए कहा, “हमारे खून के हर कतरे में ‘हिन्द’ है, इसलिए पार्टी का नाम ‘हिंद सेना’ रखा गया है.” पार्टी के अध्यक्ष खुद आईपीएस शिवदीप लांडे ही हैं।

मशहूर पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे

शिवदीप की पार्टी की नई राह

लांडे ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि हमारी पार्टी सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ‘हिंद सेना पार्टी’ का उद्देश्य जात-पात, धर्म और वोट बैंक की राजनीति से हटकर एक साफ-सुथरी व्यवस्था देना है। उनका कहना है कि बिहार को अब एक नया नेतृत्व चाहिए, जो मानवता, न्याय और सेवा की बात करे, न कि पुराने नारों से लोगों को बहकाए।

पूर्व आईपीएस शिवदीप लांडे ने प्रेस वार्ता की। 

पेपर लीक पर कार्रवाई: सीबीएसई की सख्ती

प्रेस वार्ता के दौरान प्रभात खबर के रिपोर्टर परितोष शाही ने BPSC के मुद्दों पर सवाल किया तो उन्होंने जवाब नहीं दिया. उन्होंने पेपर लीक के मुद्दों को जोड़कर कहा कि हमारी सरकार आई तो कोई पेपर लीक कर के दिखाए। 360 डिग्री कार्रवाई की जाएगी। सब ठीक कर दिया जाएगा ।

युवाओं की आवाज़: बदलाव की राह पर

शिवदीप लांडे की पार्टी विशेष रूप से युवाओं और परिवर्तन की आकांक्षा रखने वाले लोगों को केंद्र में रखेगी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी हर उस व्यक्ति की आवाज बनेगी, जो सिस्टम से लड़ना चाहता है, लेकिन उसके पास मंच नहीं है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शिवदीप लांडे का यह कदम बिहार के सियासी समीकरण को कितना प्रभावित करता है। क्या ‘हिंद सेना’ राज्य की राजनीति में नया विकल्प बन पाएगी या यह सिर्फ एक और प्रयोग बनकर रह जाएगी. इसका जवाब विधानसभा चुनाव में मिलेगा।

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