देशभर में आज डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134 जयंती मनाई जा रही है। इस दिन पर स्कूल कॉलेज सरकारी दफ्तरों में बाबा साहेब को उनके द्वारा किये गए कार्यों एवं देश और समाज के लिए उनके योगदान को याद करके श्रद्धांजलि दी जाती है। बाबा साहेब को उनके कार्यों के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वे देश के पहले कानून मंत्री भी थे।
आज, 14 अप्रैल 2025 को, भारत डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर की 134वीं जयंती मना रहा है। इस दिन को देशभर में ‘अम्बेडकर जयंती’ के रूप में मनाया जाता है, जो सामाजिक न्याय, समानता और संविधान के मूल्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। डॉ. अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई और दलितों एवं वंचितों के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित देश के विभिन्न हिस्सों में नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक डॉ. अम्बेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। लखनऊ सहित कई शहरों में रैलियाँ, संगोष्ठियाँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जहाँ लोग उनके विचारों और शिक्षाओं को याद कर रहे हैं।

आजाद भारत के पहले कानून मंत्री बने थे बाबा साहेब

भारत के आजाद होने के बाद वे देश के पहले कानून मंत्री बने थे। इसके बाद भी उन्होंने सामाजिक सुधारों को आगे बढ़ाना जारी रखा। इन्हीं सुधारों में एक बड़ा कदम था- हिंदू कोड बिल। यह बिल खास तौर पर महिलाओं के अधिकारों के लिए लाया गया था।
बाबा साहेब ने विदेश से की थी पढ़ाई

- बाबा साहेब ने ने वर्ष 1907 में दसवीं की परीक्षा पास की थी। बाद वे उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी के एल्फिंस्टन कॉलेज (Elphinstone College) में वर्ष 1915 में इकोनॉमिक्स, सोशियोलॉजी, हिस्ट्री, फिलॉसफी और एंथ्रोपोलॉजी के साथ एमए किया। 1916 में ग्रेज इन में वकालत के कोर्स में दाखिला लिया। इसके बाद लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की। उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से 1927 में इकोनॉमिक्स में पीएचडी की थी। उसके बाद 1952 में ऑनररी डिग्री भी हासिल की।
सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष
अंबेडकर का संपूर्ण जीवन जातीय भेदभाव और असमानता के खिलाफ एक संघर्ष था। उन्होंने दलित समुदाय के लिए समान अधिकार, शिक्षा, और राजनीतिक भागीदारी की मांग की। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से दलितों के लिए पृथक निर्वाचिका की मांग की थी, लेकिन महात्मा गांधी के आमरण अनशन के बाद पूना समझौता कर अपनी मांग वापस ली।
अंबेडकर की राजनीतिक उपलब्धियां
अबेंडकर ने लेबर पार्टीकी स्थापना की। वह संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष नियुक्त किए गए। इतिहास में उनका नाम भारत के पहले कानून मंत्री के तौर पर दर्ज है। उन्होंने बॉम्बे नॉर्थ सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना किया। बाबा साहेब दो बार राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए।
डॉ. भीमराव अंबेडकर का 6 दिसंबर 1956 को निधन हो गया। उनके योगदान को देखते हुए उन्हें साल 1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
बाबा साहेब द्वारा लिखी गई किताबें
- डॉ. भीमराव अंबेडकर ने रुपये की समस्या: इसका उद्गम और समाधान (1923), बहिष्कृत भारत (1927), संघ बनाम स्वतंत्रता (1936), जाति का विनाश (1939), पाकिस्तान पर विचार (1940) जैसी पुस्तकें लिखीं।
कांग्रेस हर जिले में मनाएगी आंबेडकर जयंती
कांग्रेस हर जिले में सोमवार को डाॅ. भीमराव आंबेडकर जयंती मनाएगी। इस संबंध में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने सभी जिलाध्यक्षों एवं शहर अध्यक्षों को निर्देश दिए हैं। इस दौरान विभिन्न स्थानों पर संगोष्ठी का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें डाॅ. आंबेडकर के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर चर्चा की जाएगी। इस दौरान बाराबंकी में आयोजित संविधान सम्मान महासम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष अजय राय मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे।
दिल्ली की CM ने वॉकथॉन को दिखाई हरी झंडी
डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने रविवार को दिल्ली सरकार के आयोजित ‘वॉकथॉन’ को दिल्ली विधानसभा से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री आशीष सूद और रविंद्र इंद्राज सिंह भी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में हजारों स्कूली बच्चों, युवाओं और सामाजिक संगठनों ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया।
पीएम मोदी की आंबेडकर को श्रद्धांजलि
Also Read :
आज से भाजपा का गांव-गली-वार्ड चलो अभियान शुरू,घर-घर दस्तक देंगे कार्यकर्ता !