आकाश आनंद बसपा से निष्कासित आकाश आनंद ने 41 दिन बाद मायावती से सार्वजनिक माफी मांगी है। उन्होंने पार्टी में फिर से काम करने की इच्छा जताई और कहा कि वे पार्टी हित में अपने ससुराल पक्ष की भी नहीं सुनेंगे। मायावती ने उन्हें माफ करके पार्टी में वापस लेने की घोषणा की है।
बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा में एक बार फिर से 41 दिनों के बाद आकाश आनंद की वापसी हो गई है बीएसपी से निकल गए आकाश आनंद ने 41 दिन बाद पार्टी की मुखिया व अपनी बुआ से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी है उन्होंने फिर से पार्टी में काम करने की इच्छा जताई और कहा कि पार्टी हित में अब वह अपने रिश्ते नाते खासकर ससुराल पक्ष को भी नहीं सुनेंगे
आकाश आनंद के माफी मांगने के करीब ढाई घंटे बाद मायावती ने भी उन्हें माफ़ करके पार्टी में वापसी कर एक और मौका देने की घोषणा की अंबेडकर जयंती से एक दिन पूर्व हुए इस घटनाक्रम की राजनीतिक गलियां में चमकर चर्चा हो रही है।दरअसल आकाश आनंद ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मायावती से सार्वजनिक रूप से माफी मांगी इसके करीब ढाई घंटे बाद ही मायावती ने एक्स पर उन्हें माफ करने की घोषणा की। आकाश ने अपनी एक्स पर लिखा कि
” बी.एस.पी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, यू.पी. की चार बार रही मुख्यमंत्री एवं लोकसभा व राज्यसभा की भी कई बार रही सांसद आदरणीया बहन कु. मायावती जी को मैं अपना दिल से एकमात्र राजनीतिक गुरू व आदर्श मानता हूं। आज मैं यह प्रण लेता हूं कि बहुजन समाज पार्टी के हित के लिए मैं अपने रिश्ते-नातों को व खासकर अपने ससुराल वालों को कतई भी बाधा नहीं बनने दूंगा। यही नहीं बल्कि कुछ दिनों पहले किए गए अपने ट्ववीट के लिए भी माफी मांगता हूं जिसकी वजह से आदरणीया बहन जी ने मुझे पार्टी से निकाल दिया है।

और आगे से इस बात को सुनिश्चित करूंगा कि मैं अपने किसी भी राजनीतिक फैसले के लिए किसी भी नाते रिश्तेदार और सलाहकार की कोई सलाह मशविरा नहीं लूंगा। और सिर्फ आदरणीय बहन जी के दिए गए दिशा-निर्देशों का ही पालन करूंगा। तथा पार्टी में अपने से बड़ों की व पुराने लोगों की भी पूरी इज्जत करूंगा और उनके अनुभवों से भी काफी कुछ सीखूंगा। आदरणीया बहन जी से अपील है कि वे मेरी सभी गलतियों को माफ करके मुझे पुन: पार्टी में कार्य करने का मौका दिया जाए, इसके लिए मैं सदैव उनका आभारी रहूंगा। साथ ही अब मैं आगे ऐसी कोई भी गलती नहीं करूंगा, जिससे पार्टी व आदरणीया बहन जी के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान को ठेस पहुंचे।
इसके बाद मायावती ने अपने एक्स पर लिखा कि आकाश आनन्द द्वारा एक्स पर आज अपने चार पोस्ट में सार्वजनिक तौर पर अपनी गलतियों को मानने व सीनियर लोगों को पूरा आदर-सम्मान देने के साथ ही अपने ससुर की बातों में ना आने की बात लिखी है। इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि बसपा के लिए अपना जीवन समर्पित करने के मध्य नजर आकाश आनंद को एक और मौका दिए जाने का निर्णय लिया गया है। साथी मायावती ने यह भी स्पष्ट किया कि मैं जब तक पूरी तरह से स्वस्थ रहूंगी मेरे उत्तराधिकारी बनने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।
दरअसल 3 मार्च को बसपा सुप्रीमों मायावती ने पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर आकाश आनंद को बसपा से निष्कासित कर दिया था और पार्टी के सभी पदों से भी हटा दिया था उससे पहले मायावती ने आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को भी पार्टी से निकाल दिया था उन्होंने कहा था कि आकाश वह उनके ससुर की तरह ही पार्टी और आंदोलन के हित में निष्कासित किया गया है आकाश को वर्ष 2019 में पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया था इसके बाद 2030 में मायावती ने उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था।
दो मार्च को हटाए गए थे पद से
मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी से निकालने से पहले बीती दो मार्च को पार्टी में सभी पदों से हटा दिया था। उससे पहले उन्होंने आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ को भी पार्टी से निकाल दिया था। उन्होंने कहा था कि आकाश को उनके ससुर की तरह ही पार्टी और आंदोलन के हित में निष्कासित किया गया है।आकाश को वर्ष 2019 में पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाया गया था। इसके बाद वर्ष 2023 में मायावती ने उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था।
आकाश की घर वापसी मजबूरी या जरूरी

आकाश आनंद को अपने सियासी भविष्य के लिए बसपा की जितनी जरूरत है, उतनी ही मायावती को भी आकाश आनंद की जरूरत है. इस तरह दोनों एक दूसरे के लिए सियासी मजबूरी भी है और जरूरी भी हैं. मायावती इस बात को बखूबी जानती हैं कि बसपा का भविष्य किसके हाथ में ज्यादा सुरक्षित रहेगा. मायावती इस बात को बखूबी समझती हैं कि उनके सिवा दलित समाज की भीड़ बसपा में जुटाने की ताकत रखता है तो वो आकाश आनंद हैं. दलित युवाओं की बीच आकाश की मजबूत पैठ है.
बसपा में निकाले जाने के बाद से ही आकाश की वापसी के लिए लगातार मांग उठ रही थी. इसके अलावा मायावती की गोद में खेलकर बड़े हुए हैं और उनकी उंगली पकड़कर सियासी राह पर चलना सीखा है. मायावती भी आकाश के हाथों में ही बसपा का भविष्य देख रही है. इस तरह मायावती बहुत दिनों तक आकाश से नाराज नहीं रह सकती थी, जिसके लिए ही उनकी घर वापसी का रास्ता निकाला गया. आकाश आनंद भी जानते हैं कि बसपा में रहकर सियासी तौर पर जो हासिल किया जा सकता है, वो न तो कोई पार्टी बनाकर कर सकते हैं और न ही किसी दूसरी पार्टी में जाकर.
दलित वोटबैंक पर सबकी नजर
कांग्रेस की नजर भी दलित समुदाय के वोट बैंक पर है. कांग्रेस ने गुजरात के अहमदाबाद अधिवेशन में जिस तरह से दलित-आदिवासी और पिछड़ों को लेकर अपने प्रस्ताव पारित किए हैं और सामाजिक न्याय के एजेंडे पर आगे बढ़ने का फैसला लिया है. कांग्रेस के दलित वोट बैंक पर फोकस किए जाने के चलते मायावती असहज महसूस कर रही हैं. इसे लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर कांग्रेस को आड़े हाथों भी लिया था. राहुल गांधी की सामाजिक न्याय की प्रतिबद्धता को देखते हुए मायावती के लिए आकाश आनंद की वापसी करना मजबूरी बन गया था.
आकाश आनंद की वापसी कराकर मायावती ने दलित युवाओं के साथ-साथ अपने कोर वोट बैंक को साधने रखनी की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है. आकाश आनंद 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने भाषणों के जरिए अपनी सियासी पहचान बनाने में कामयाब रहे थे. दलित युवाओं के बीच आकाश की लोकप्रियता भी अच्छी खासी मानी जा रही है. आकाश आनंद के बसपा से निकाले जाने के बाद दलित युवाओं में मायूसी छा गई थी और उनके कांग्रेस या फिर दूसरे दलों में जाने का खतरा मंडरा रहा था. ऐसे में मायावती ने आंबेडकर जयंती से एक दिन पहले आकाश आनंद की घर वापसी करके सियासी संदेश देने का दांव चला है. अब फिर से उनकी सक्रियता देखने को मिलेगी?