धार्मिक मान्यत के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। सभी एकादशियों में निर्जला एकादशी को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत के दौरान अन्न और जल का त्याग किया जाता है।
निर्जला एकादशी का व्रत साल 2025 में 6 जून के दिन रखा जाएगा और इसका पारण 7 जून को होगा। सभी 24 एकादशी तिथियों में इस एकादशी का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन निर्जला व्रत रखने से सभी एकादशी तिथियों के जितना शुभ फल प्राप्त होता है। इस दिन व्रत ना भी रख पाएं तो सात्विकता का पालन अवश्य करना चाहिए। साथ ही इसे दिन कुछ ऐसे कार्य करने से भी बचना चाहिए जिनके कारण आपको शुभ फलों की प्राप्ति में बाधाएं आ सकती हैं।

इन बातों का रखें ध्यान
एकादशी तिथि पर चावल का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। साथ ही किसी से भी कोई वाद-विवाद न करें। बड़े-बुर्जुगों और महिलाओं का अपमान न करें। काले रंग के वस्त्र धारण न करें। इसके अलावा मांस, लहसुन, प्याज के सेवन से दूर रहना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि निर्जला एकादशी के नियम का पालन करने से साधक और परिवार के सदस्य पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। साथ ही जीवन में शुभ परिणाम मिलते हैं।
करें इन चीजों का दान
निर्जला एकादशी व्रत का पारण करने के बाद अन्न, धन और कपड़े समेत आदि चीजों का दान जरूर करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इन चीजों का दान करने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है। साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
किन चीजों का दान करना है शुभ
- निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा और दान की विशेष मान्यता होती है. इस दिन जल के दान को अत्यधिक शुभ माना जाता है. कहते हैं निर्जला एकादशी पर जल का दान करना सबसे बड़ा दान होता है. प्यासे लोगों को सुराही या घड़े का ठंडा जल पिलाया जा सकता है.
- शरबत का दान भी किया जा सकता है. राह चलते प्यासे लोगों के लिए शरबत किसी अमृत से कम नहीं है. ऐसे में तपती गर्मी में शरबत का दान करना शुभ होता है.
- गरीब और जरूरतमंदों को अनाज और कपड़े दान में दिए जा सकते हैं. कहा जाता है कि इससे भगवान विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों को पुण्य मिलता है.
- गर्मियों का मौसम देखते हुए छाता भी दान में दिया जा सकता है. जिन लोगों को जरूरत हो उन्हें पंखा भी दे सकते हैं.
निर्जला एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त और पारण का समय

- ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ- 6 जून को रात 2 बजकर 15 मिनट पर
- एकादशी तिथि समाप्त- 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर
- निर्जला एकादशी पारण तिथि- 7 जून 2025
- निर्जला एकादशी का पारण का समय- 7 जून को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से दोपहर 4 बजकर 36 मिनट पर
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
बता दें कि निर्जला एकादशी का व्रत अत्याधिक कठिन माना जाता है। इस व्रत में जल भी ग्रहण करने की मनाही होती है। निर्जला एकादशी व्रत का पारण दूसरे दिन सूर्योदय के बाद द्वादशी तिथि में शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है। कहते हैं कि जो लोग पूरे साल एकादशी का व्रत नहीं रख पाते हैं वो निर्जला एकादशी का व्रत कर के अन्य एकादशियों का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
निर्जला एकादशी के दिन जाने अनजाने में न करें ये गलतियां
व्रत रखने वाले पानी न पिएं जल
इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को गलती से भी जल नहीं छूना चाहिए। अगर आप जल त्यागने में समर्थ नहीं हैं तो निर्जला एकादशी का व्रत न रखें। इस दिन बिना व्रत रखे प्रभु का ध्यान और भजन कीर्तन करने से भी आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मांस मदिरा का सेवन न करें
निर्जला एकादशी के दिन व्रत रखने वालों को तो तामसिक भोजन से दूर रहना ही चाहिए साथ ही जो लोग व्रत नहीं रखते उन्हें भी मांस-मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए। आपको लहसुन-प्याज भी खाने में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
ब्रह्मचर्य का पालन करें
निर्जला एकादशी के दिन शुद्ध विचार बनाए रखने चाहिए। इस दिन आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। मन को भटकने से बचाने के लिए योग-ध्यान आप कर सकते हैं, या फिर धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं।
तुलसी के पत्ते न तोड़ें
तुलसी के पत्तों को तोड़ने से भी इस दिन बचें। ऐसा माना जाता है कि तुलसी माता इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं ऐसे में तुलसी के पत्ते तोड़ने से उनका व्रत खंडित होता है। इसलिए गलती से भी इस दिन तुलसी के पत्ते न तोड़ें और ना ही तुलसी पर जल चढ़ाएं।
चावल का सेवन करने से बचें
निर्जला एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत रखने वाले तो इस दिन चावल का सेवन नहीं करते लेकिन इस दिन किसी के लिए भी चावल खाना शुभ नहीं माना जाता। इसलिए यह गलती करने से भी आपको बचना चाहिए।