बिहार चुनाव 2025 से पहले AIMIM ने RJD-कांग्रेस महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है। सीमांचल में मजबूत पकड़ रखने वाली AIMIM ने तेजस्वी यादव को प्रस्ताव भेजा है।
बिहार की सियासत एक बार फिर गरमाने लगी है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव को गठबंधन का प्रस्ताव भेजा है। AIMIM की ओर से साफ संदेश दिया गया है कि अगर तेजस्वी साथ आते हैं तो दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ सकती हैं, वरना AIMIM अकेले मैदान में उतरने को तैयार है।
सूत्रों के मुताबिक, AIMIM ने तेजस्वी को यह अल्टीमेटम दिया है कि वे जल्द से जल्द अपना रुख साफ करें, नहीं तो पार्टी तीसरे मोर्चे की रणनीति पर काम करेगी। ओवैसी पहले भी कह चुके हैं कि बिहार में मुसलमानों और पिछड़ों की राजनीति को मजबूत करने के लिए एक नया गठबंधन जरूरी है।
इस सियासी घटनाक्रम ने बिहार में राजनीतिक समीकरणों को फिर से हिला दिया है। जहां एक ओर विपक्ष एकजुटता की बात कर रहा है, वहीं AIMIM का यह प्रस्ताव तेजस्वी यादव के लिए राजनीतिक दवाब बन सकता है। अब देखना होगा कि RJD इस ऑफर को स्वीकार करती है या AIMIM को अकेला मैदान पकड़ना पड़ता है।

RJD ने कैसे घोंपा था ‘पीठ में खंजर’?
अख्तरुल ईमान ने यह भी चेतावनी दी कि यदि महागठबंधन उनका प्रस्ताव स्वीकार नहीं करता, तो AIMIM थर्ड फ्रंट बनाने के लिए अन्य दलों से बातचीत शुरू करेगी। उन्होंने RJD पर ‘पीठ में खंजर घोंपने’ का आरोप लगाया, जिसका संदर्भ 2022 में हुए एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम से है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करते हुए 5 सीटें जीती थीं।
इनमें अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बैसी, और बहादुरगंज शामिल थीं। लेकिन जून 2022 में AIMIM को उस समय तगड़ा झटका लगा, जब उसके 5 में से 4 विधायक मुहम्मद इजहार असफी (कोचाधामन), शाहनवाज आलम (जोकीहाट), सैयद रुकनुद्दीन अहमद (बैसी), और अंजार नईमी (बहादुरगंज) RJD में शामिल हो गए। इस घटना के बाद RJD बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी।
2020 विधानसभा चुनाव में AIMIM का प्रदर्शन

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल के मुस्लिम-बहुल क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन किया था। पार्टी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा और सबको चौंकाते हुए 5 सीटें अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बैसी, और बहादुरगंज को जीत लिया। इस प्रदर्शन ने AIMIM को बिहार की सियासत में एक उभरती ताकत के रूप में स्थापित किया, खासकर सीमांचल क्षेत्र में, जहां उसने RJD के परंपरागत मुस्लिम-यादव वोट बैंक में सेंध लगाई। हालांकि, 4 विधायकों के RJD में चले जाने से पार्टी की ताकत कमजोर हुई, और वर्तमान में अख्तरुल ईमान (अमौर) AIMIM के एकमात्र विधायक हैं।
गठबंधन की संभावनाएं और चुनौतियां
AIMIM की ओर से महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन RJD और कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई औपचारिक जवाब नहीं मिला है। महागठबंधन के भीतर पहले से ही सीट बंटवारे को लेकर तनाव है, और AIMIM की एंट्री से यह और जटिल हो सकता है। कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि AIMIM का महागठबंधन में शामिल होना मुस्लिम वोटों को एकजुट करने में मदद कर सकता है, लेकिन यह RJD और कांग्रेस के कोर मुस्लिम वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है। अख्तरुल ईमान ने साफ किया कि अगर महागठबंधन उनका प्रस्ताव ठुकराता है, तो AIMIM थर्ड फ्रंट बनाने के लिए अन्य दलों से बात करेगी।
25 जिलों में हमारी तैयारी
महागठबंधन में AIMIM कितनी सीटों पर पार्टी अपनी दावेदारी करेगी, इसको लेकर अख्तरूल इमान ने बताया कि इस पर फैसला पार्टी अध्यक्ष लेंगे। लेकिन अगर गठबंधन नहीं होता है तो 25 जिलों में हमारी पार्टी की तैयारी पूरी है। कम से कम सौ सीटो पर हम चुनाव में उतरेंगे।
गठबंधन होने का फायदा
अगर AIMIM और राजद के बीच गठबंधन होता है तो इसका फायदा यह होगा कि मुसलमान वोट पूरी तरह से महागठबंधन के पक्ष में होगा। जहां पहले से मुसलमान राजद के साथ खड़े रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ AIMIM का भी बड़ा वोट बैंक है। गठबंधन से यह वोट बिखरने से बच जाएंगे।
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