सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार अब पुराने घरेलू पानी के बिलों पर लगने वाला लेट पेमेंट सरचार्ज माफ करने जा रही है. इतना ही नहीं, करीब 80 से 90 प्रतिशत बिल माफ करने की योजना पर भी काम चल रहा है. दिल्ली जल बोर्ड के कुल 27 लाख उपभोक्ताओं में से लगभग 16 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें महामारी के दौरान गलत बिल भेजे गए थे.
दिल्ली के लोगों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। दिल्ली सरकार ने फैसला लिया है कि शहर के 16 लाख से अधिक जल उपभोक्ताओं के बकाया पानी के बिल माफ किए जाएंगे। इस फैसले से उन उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी जो वर्षों से लंबित बिलों के चलते परेशान थे और पानी की सप्लाई में अड़चन का सामना कर रहे थे। सरकार का कहना है कि इस योजना के तहत पुराने और विवादित बिलों की समीक्षा कर उन्हें पूरी तरह से माफ किया जाएगा या फिर बड़ी छूट दी जाएगी, जिससे उपभोक्ताओं पर बोझ कम हो सके।

यह कदम आम लोगों को आर्थिक राहत देने और जल बोर्ड की छवि सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब जल उपभोक्ताओं को पानी की नियमित सप्लाई सुनिश्चित की जाएगी और बिलिंग प्रक्रिया को भी अधिक पारदर्शी और डिजिटल बनाया जाएगा। इस फैसले से दिल्ली के लाखों परिवारों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार अब पुराने घरेलू पानी के बिलों पर लगने वाला लेट पेमेंट सरचार्ज माफ करने जा रही है. इतना ही नहीं, करीब 80 से 90 प्रतिशत बिल माफ करने की योजना पर भी काम चल रहा है. दिल्ली जल बोर्ड के कुल 27 लाख उपभोक्ताओं में से लगभग 16 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें महामारी के दौरान गलत बिल भेजे गए थे. अब इन्हें राहत मिलने की उम्मीद है.
कोरोना काल में गड़बड़ी, अब जाकर मिल रही राहत

साल 2020 में जब कोरोना महामारी ने देश को जकड़ा था, तब दिल्ली जल बोर्ड के मीटर रीडर घर-घर जाकर रीडिंग नहीं ले पाए. मजबूरी में रीडिंग का अनुमान लगाकर बिल जारी किए गए. इससे हजारों उपभोक्ताओं को सामान्य से कई गुना ज्यादा बिल मिलने लगे. लोगों ने शिकायतें कीं, लेकिन भारी संख्या में आई शिकायतों का समाधान नहीं हो सका.
बिल का भुगतान नहीं करने पर उपभोक्ताओं पर जुर्माना और ब्याज भी लगने लगा, जिससे 50 गज के मकानों में रहने वाले लोगों के भी बिल 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक पहुंच गए.
राजनीतिक बयानबाज़ी और योजनाओं का टकराव
इस मुद्दे पर राजनीति भी गर्माती रही. फरवरी 2024 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक सार्वजनिक मंच पर पानी का बिल फाड़कर वन टाइम सेटलमेंट स्कीम की घोषणा की थी. उन्होंने एलजी और केंद्र सरकार पर इस योजना को रोकने का आरोप भी लगाया था. लेकिन विवाद के चलते योजना अमल में नहीं आ सकी. अब जबकि दिल्ली में बीजेपी की नई सरकार सत्ता में है और रेखा गुप्ता इसके नेतृत्व में काम कर रही हैं, तो इस पुराने मसले को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं.
बिल न भरने से लगी पेनाल्टी
पानी का बिल नहीं भरने से पेनाल्टी और ब्याज लगती गई। इस वजह से छोटे-छोटे घरों में रहने वाले लोगों के पानी के बिल भी लाखों में पहुंच गए। इसके बाद दिल्ली सरकार ने पानी का बिल सेटल करने के लिए योजना बनाई। हालांकि, राज्य सरकार और गवर्नर के बीच विवाद के चलते यह योजना लागू नहीं हो पाई और पानी के बिल की समस्या बनी रही। अब राज्य सरकार बदलने के बाद बीजेपी सरकार बिल माफ करने की तैयारी में है।
केजरीवाल ने फाड़कर फेंका था बिल

दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फरवरी 2024 में पानी का एक बिल फाड़कर फेंका था और लोगों से इसका समाधान करने का वादा किया था। हालांकि, उनका यह वादा पूरा नहीं हुआ। केजरीवाल ने एक गलत बिल को फाड़ते हुए कहा था कि इसके समाधान के लिए दिल्ली सरकार वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लाना चाहती है, लेकिन भाजपा ने उपराज्यपाल के माध्यम से अफसरों से योजना को रुकवा दिया। भाजपा चाहे जितनी अड़चनें डाले, लेकिन वह सभी के बिल माफ करवा कर रहेंगे।
उन्होंने कहा था कि कोरोना के बाद से ज्यादातर लोगों के पानी के बिल गलत आ रहे हैं। हमने पानी मुफ्त कर रखा है। फिर भी इतना ज्यादा बिल आ रहे हैं जो गलत है। दिल्ली में 11 लाख ऐसे परिवार हैं, जो गलत बिल से परेशान हैं। 50-50 गज के मकान हैं। इनमें रहने वाले लोगों के 50 हजार से लेकर एक लाख से ज्यादा तक का बिल आया है। कोरोना की वजह से कई महीने मीटर रीडर रीडिंग लेने नहीं गए। उन्होंने दफ्तर में बैठ कर फर्जी रीडिंग भर दी। लोगों ने बिल भरे नहीं, उस पर ब्याज और एलपीसी पेनाल्टी लगती गई और बिल लाखों में पहुंच गए।
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