पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन अब इन चर्चाओं पर विराम लगने की संभावना है।
महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे के बीच गुपचुप मुलाकात ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब राज ठाकरे और शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच सुलह की चर्चाएं तेज हो रही थीं। सूत्रों के मुताबिक, यह मुलाकात मुंबई के एक बड़े होटल में करीब दो घंटे तक चली और इसमें बीजेपी नेता मोहित कंबोज, एमएनएस के बाला नांदगांवकर, नितिन सरदेसाई और संदीप देशपांडे भी मौजूद थे।
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच राजनीतिक मतभेद 2006 से चले आ रहे हैं, जब राज ने शिवसेना छोड़कर MNS बनाई थी। हाल ही में, राज ठाकरे ने एक पॉडकास्ट में कहा था कि अगर उद्धव तैयार हैं, तो मैं भी सुलह के लिए तैयार हूं।
इस मुलाकात के पीछे बीजेपी की रणनीति पर भी सवाल उठ रहे हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी इस सुलह को रोकने या अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है, खासकर आगामी BMC चुनावों को देखते हुए। मुंबई, ठाणे और नासिक जैसे इलाकों में मराठी वोटरों पर MNS और शिवसेना (UBT) दोनों का प्रभाव है, और अगर ये दोनों एक हो जाते हैं, तो महायुति गठबंधन के लिए चुनौती बढ़ सकती है।

हालांकि, अभी तक इस मुलाकात को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
दोनों नेता अच्छे दोस्त हैं- BJP
इस बारे में संपर्क करने पर बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा कि दोनों नेता अच्छे दोस्त हैं और राज्य से संबंधित विकास के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मिले होंगे। महाराष्ट्र सरकार ने इस सप्ताह मुंबई सहित 29 नगर निगमों के लिए वार्ड परिसीमन का आदेश जारी करके स्थानीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी। इन चुनाव से पहले ठाकरे बंधुओं के बीच संभावित सुलह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
क्यों अहम है ये मुलाकात?
दोनों नेताओं की मुलाकात स्थानीय निकाय चुनाव से पहले अहम मानी जा रही है। यह मुलाकात इसलिए भी अहम है क्योंकि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे साथ आने की भी बात कर रहे हैं। ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या महाराष्ट्र में गठबंधन की नई पटकथा लिखी जा रही है?
वहीं, आपको बता दें कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बाद से सीएम फडणवीस और राज ठाकरे की मुलाकात कई बार हुई है। जब एकनाथ शिंदे की नाराजगी की खबरें आ रही थीं, तब भी दोनों के बीच मुलाकात हुई थी। उस दौरान भी दोनों नेताओं में क्या बातचीत हुई थी, यह सामने नहीं आया था।
चचेरे भाई हैं राज और उद्धव

राज्य के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे शिवसेना यूबीटी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बेटे हैं और राज ठाकरे उनके चाचा हैं। राज ठाकरे एक वक्त अविभाजित शिवसेना के बड़े चेहरे हुआ करते थे। हालांकि, मनमुटाव के कारण वह 2005 में शिवसेना से अलग हो गए थे। इसके बाद राज ठाकरे ने 2006 में अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की स्थापना की थी।
इन बयानों से मिली ठाकरे ब्रदर्स के एक होने की अटकलों को हवा
राजनीतिक रूप से कई वर्ष पहले ही अलग हो चुके ठाकरे भाइयों ने अपने हालिया बयानों से इस तरह की अटकलों को हवा दी जिनसे संकेत मिला कि वे ‘मामूली मुद्दों’ को नजरअंदाज कर सकते हैं और लगभग दो दशक तक अलग रहने के बाद हाथ मिला सकते हैं। राज ठाकरे ने कहा था कि ‘मराठी मानुस’ (मराठी भाषी लोगों) के हित में एकजुट होना मुश्किल नहीं है, वहीं उद्धव ने इस बात पर जोर दिया कि वह मामूली झगड़ों को अलग रखने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को शामिल न किया जाए।
राज ठाकरे ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थन दिया था, लेकिन उनकी पार्टी ने पिछले साल नवंबर में राज्य विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ा था।
राज-उद्धव ठाकरे के बीच गठबंधन के कयास
जहां राज ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस के बीच बैठक हुई है. वहीं, इससे कुछ दिन पहले तक इस तरह की अटकलें लगाई जा रहीं थी कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक बार फिर साथ आ सकते हैं. लेकिन अब राज ठाकरे ने देवेंद्र फडणीस से मुलाकात की है. एक समय महाराष्ट्रट्र में ठाकरे परिवार का ‘अघोषित राज’ था. लेकिन अब महाराष्ट्रट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार हाशिए पर आ गया है. जहां लग रहा था कि ठाकरे परिवार एक साथ आ जाएगा वहीं अब इन अटकलों पर विराम लगता दिखाई दे रहा है.
किन बातों पर हुई चर्चा
बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा कि दोनों नेता अच्छे दोस्त हैं और हो सकता है कि उन्होंने राज्य से संबंधित विकास के मुद्दों पर चर्चा के लिए मुलाकात की हो. महाराष्ट्र सरकार ने इस हफ्ते मुंबई सहित 29 नगर निगमों के लिए वार्ड परिसीमन के आदेश जारी करके स्थानीय निकाय चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू की है.
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