दिल्ली में अधिकारियों और पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में अवैध घरों के निर्माण को गिराया जा रहा है। इस दौरान स्थानीय लोगों में आक्रोश है। मौके पर भारी संख्या में पुलिसबल भी मौजूद है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और नगर निगम की संयुक्त टीम ने दो प्रमुख इलाकों—मेहरौली और लाडो सराय—में अतिक्रमण हटाने का अभियान तेज कर दिया है। इस कार्रवाई के तहत अब तक 200 से अधिक मकानों को गिराया जा चुका है। अधिकारियों के मुताबिक, ये निर्माण वन भूमि, ऐतिहासिक धरोहरों के आसपास और सरकारी जमीन पर अवैध रूप से किए गए थे, जिन्हें हटाना आवश्यक था।

कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है ताकि किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति न पैदा हो। कई मकानों के मालिकों और स्थानीय निवासियों ने विरोध भी जताया, लेकिन प्रशासन ने साफ किया है कि पहले से नोटिस जारी किए गए थे और यह अभियान न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही चलाया जा रहा है।
DDA अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान सिर्फ एक दिन का नहीं है, बल्कि आने वाले हफ्तों में भी अवैध निर्माण पर कार्रवाई जारी रहेगी। वहीं स्थानीय लोग सरकार से पुनर्वास और मुआवजे की मांग कर रहे हैं, खासकर वे परिवार जो वर्षों से उन मकानों में रह रहे थे।
इस बड़े पैमाने पर की गई कार्रवाई ने दिल्ली के अन्य अतिक्रमित इलाकों में भी हलचल पैदा कर दी है। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही और भी क्षेत्रों में बुलडोजर चल सकता है, क्योंकि सरकार राजधानी को अतिक्रमण मुक्त और नियोजित शहर के रूप में विकसित करना चाहती है।
सरकारी जमीन पर किया गया अतिक्रमण

अधिकारियों ने कहा कि विशेष कार्य बल (STF) का एक दल सोमवार सुबह ध्वस्तीकरण अभियान के लिए खुदाई वाली मशीनें लेकर अशोक विहार के जेलर वाला बाग इलाके में पहुंचा। उन्होंने बताया कि वहां सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए 200 से अधिक मकानों को ध्वस्त किया जाएगा।
दिल्ली पुलिस की टीम मौके पर
अधिकारियों ने कहा कि वजीरपुर में एक रेलवे लाइन के समीप भी अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए ऐसा ही अभियान शुरू किया गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘दिल्ली पुलिस कर्मियों के साथ अर्द्धसैन्य बल की दो कंपनी मौके पर मौजूद हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति भंग न हो।’
अवैध अतिक्रमण पर जानिए क्या बोलीं सीएम रेखा गुप्ता?
इस महीने इलाके में यह दूसरा ध्वस्तीकरण अभियान है। दो जून को ध्वस्तीकरण अभियान के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा था, ‘अगर किसी रेलवे लाइन पर अतिक्रमण किया जाता है और कोई दुर्घटना हो जाती है तो कौन जिम्मेदार होगा?’ पिछले कुछ सप्ताहों में दक्षिण-पूर्व दिल्ली में भूमिहीन कैंप और मद्रासी कैंप में भी ऐसे ही अभियान चलाए गए हैं।
डीडीए ने कार्रवाई से पहले दिया था नोटिस
डीडीए ने यहां पर कारवाई करने से पहले नोटिस दे दिया था. करीब 2100 परिवारों में से 1600 को पुनर्वास योजना के तहत स्वाभिमानी सोसायटी में घर दे दिया गया है. वही 50 के करीब ऐसे लोग है जिन्हें मकान नहीं मिल पाया है. ऐसे में कुछ लोगों का दावा है कि वे हाई कोर्ट से स्टे लेकर आए हैं, लेकिन आज की कार्रवाई में जिन घरों पर स्टे है, उन्हें भी तोड़ा गया है.
करीब 30 साल से जेलरवाला बाग में रहने वाली 58 साल की सावित्री देवी कहती हैं, जिंदगीभर हमारे पति हमें, बच्चों को पालते रहे और यह मकान बनाया था. हमें अभी दूसरा घर नहीं मिला है, इसलिए कोर्ट से स्टे मिला था. घर पर डीडीए ने खुद मार्क भी किया है, लेकिन आज बुलडोजर लेकर आए तो हमारे घर को भी तोड़ दिया. रोते हुए सावित्री देवी कहती है कि बताइए अब हम कहां जाएं?
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अभियान को लेकर क्या कहा?
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अभियान का बचाव करते हुए सुरक्षा का हवाला दिया. एक प्रेस ब्रीफिंग में उन्होंने कहा था, “अगर रेलवे लाइन पर अतिक्रमण रहेगा और कोई हादसा होता है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?” सुप्रीम कोर्ट ने भी अवैध ढांचों को हटाने की जरूरत को बरकरार रखा, लेकिन इसका मानवीय मूल्य नकारा नहीं जा सकता है. कई परिवारों को बिना पर्याप्त नोटिस दिए उजाड़ दिया गया और प्रदर्शन होते रहे.
इस मुद्दे पर सियासी आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हैं. भाजपा ने आप पर पुनर्वास में लापरवाही का आरोप लगाया, जबकि आम आदमी पार्टी ने कहा कि बीजेपी ने कहा था कि जहां झुग्गी वहां मकान बनाएंगे, लेकिन बिना घर दिए ही लोगों के घर तोड़े जा रहे हैं.
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