बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए विधवा महिलाओं, वृद्धजनों और दिव्यांगजनों की पेंशन बढ़ा दी है।
बिहार में सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक अहम और सराहनीय कदम उठाया है। सरकार ने विधवाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगों को दी जाने वाली मासिक पेंशन राशि को बढ़ाकर ₹1100 प्रति माह कर दिया है। यह फैसला हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया और इसे आगामी वित्तीय वर्ष से लागू किया जाएगा।
अब तक इन वर्गों को ₹500 से ₹1000 तक की मासिक पेंशन मिलती थी, जो उनकी न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त मानी जा रही थी। नए संशोधन के तहत, पेंशन राशि में उल्लेखनीय वृद्धि करके इसे ₹1100 प्रति माह कर दिया गया है, जिससे लाभार्थियों को सीधी राहत मिलेगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा:
“हमारी सरकार की प्राथमिकता है कि समाज के कमजोर, उपेक्षित और जरूरतमंद तबकों को सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार मिले। पेंशन सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि आत्मसम्मान से जुड़ी हुई बात है।”
किन योजनाओं के तहत बढ़ी पेंशन?
- मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना (MVPY)
- विधवा पेंशन योजना
- दिव्यांगजन पेंशन योजना
- अन्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाएं
लाभार्थियों की संख्या:
बिहार में इन योजनाओं के अंतर्गत करीब 75 लाख से अधिक लाभार्थी हैं। सरकार का मानना है कि इस फैसले से सीधे तौर पर इन परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और जीवन यापन थोड़ा आसान बनेगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया:
जहां एक ओर सरकार इस कदम को “जनकल्याणकारी” बता रही है, वहीं विपक्ष ने इसे “चुनावी स्टंट” कहकर आलोचना की है। कुछ नेताओं ने कहा कि इस तरह की घोषणाएं असली सुधार नहीं बल्कि वोट बैंक साधने का तरीका हैं।
सामाजिक असर:
सामाजिक कार्यकर्ताओं और आर्थिक विशेषज्ञों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि महंगाई के इस दौर में यह वृद्धि देर से सही लेकिन ज़रूरी थी। अब लाभार्थी अपनी दैनिक जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रहेंगे।

दरअसल, बिहार में अब से कुछ महीने बाद चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में नीतीश सरकार का यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है। इससे पहले भी बिहार सरकार ने रोजगार सृजन और विकास के लिए कई फैसले लिए। बिहार सरकार के कुछ अहम फैसलों पर एक नजर:-
रोजगार सृजन
- सरकारी स्कूलों के लिए 2,857 हेडमास्टर और प्रिंसिपल के पदों सहित कुल 3,921 नए पदों का सृजन किया गया है।
- स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए 20 हजार से अधिक नए पदों के सृजन को मंजूरी दी गई है।
- कृषि विभाग में क्लर्क ग्रेड के लगभग 2,590 पदों और बिहार कर्मचारी चयन आयोग में 35 डाटा एंट्री ऑपरेटरों के नए पदों को मंजूरी मिली है। कुल मिलाकर 27,000 से अधिक पदों पर नियुक्ति का रास्ता साफ हुआ है।
उद्योग
- बिहार लघु उद्यमी योजना के तहत, गरीब परिवारों को अपना खुद का छोटा उद्योग शुरू करने के लिए 2 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा। इसका उद्देश्य बेरोजगारी दर को कम करना है।
- औद्योगिक विकास: गया में एक इंडस्ट्रियल हब विकसित करने और भागलपुर के पीरपैंती में 2400 मेगावाट का पावर प्लांट स्थापित करने की योजना है।
कृषि और किसान कल्याण
- चौथा कृषि रोड मैप के तहत कृषि विपणन निदेशालय का गठन किया गया है ताकि किसानों को उनके उत्पादों का बेहतर बाजार मिल सके।
- “हर खेत तक सिंचाई का पानी” के तहत मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना और बीजों के वितरण के लिए मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना चलाई जा रही है।
- “पहले आओ, पहले पाओ” योजना के तहत किसानों को सब्जी उत्पादन के लिए 80% तक का अनुदान दिया जाएगा।
इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास
- एक्सप्रेसवे का निर्माण: पटना से पूर्णिया, बक्सर से भागलपुर और बोधगया से दरभंगा तक नए एक्सप्रेसवे के निर्माण को मंजूरी दी गई है।
- एयरपोर्ट: पूर्णिया एयरपोर्ट से जल्द उड़ानें शुरू करने और राजगीर तथा रक्सौल में नए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने की योजना है। इसके अलावा, वाल्मीकिनगर, मुंगेर, और सहरसा जैसे शहरों में छोटे हवाई जहाजों के लिए उड़ान सेवा शुरू की जाएगी।
- शहरी विकास: औरंगाबाद के जम्होर और पूर्वी चंपारण के मधुबन को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया है। साथ ही, पटना में तीन फाइव-स्टार होटल बनाने को भी मंजूरी मिली है।
निष्कर्ष:
नीतीश सरकार का यह फैसला केवल आर्थिक सहायता का विषय नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में एक मजबूत कदम है। राज्य के लाखों वृद्ध, विधवा और दिव्यांग नागरिक इस पेंशन वृद्धि से सीधे लाभान्वित होंगे।
यह कदम ना सिर्फ जनकल्याण को प्राथमिकता देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बिहार सरकार समाज के सबसे कमजोर तबकों के साथ खड़ी है।
इस फैसले के लागू होने के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अन्य राज्य सरकारें भी इसी दिशा में कोई सकारात्मक कदम उठाती हैं या नहीं।
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