आम आदमी पार्टी के बोटाद के विधायक उमेश मकवाणा ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। इस संबंध में उन्होंने एक पत्र जारी किया है।
गुजरात में आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और बोटाद से विधायक उमेश मकवाणा ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने फैसले की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की और इस्तीफे के पीछे संगठनात्मक अनदेखी और नेतृत्व की कार्यशैली को जिम्मेदार ठहराया है।

उमेश मकवाणा ने अपने बयान में कहा कि पार्टी में मेहनती कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है और जमीनी स्तर पर कार्य करने वालों की आवाज को दबाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी नेतृत्व अहम निर्णय लेते वक्त जमीनी नेताओं से कोई चर्चा नहीं करता और पार्टी अब उस विचारधारा से भटक चुकी है, जिसके साथ वह जुड़े थे।
उन्होंने यह भी कहा कि वे एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में लोगों की सेवा करते रहेंगे, लेकिन अब पार्टी के किसी भी पद पर नहीं रहेंगे। हालांकि, उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है और स्पष्ट किया कि वे जनता के विश्वास को नहीं तोड़ना चाहते।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उमेश मकवाणा काफी समय से पार्टी की कार्यशैली से नाराज चल रहे थे और कई बार अपनी नाराजगी नेतृत्व के समक्ष भी रख चुके थे। लेकिन कोई ठोस प्रतिक्रिया न मिलने के चलते उन्होंने यह बड़ा कदम उठाया है।
इस घटनाक्रम के बाद गुजरात में आम आदमी पार्टी की राजनीतिक स्थिति पर असर पड़ सकता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां उमेश मकवाणा की अच्छी पकड़ मानी जाती है। पार्टी की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन जल्द ही कोई सफाई या बयान आने की संभावना जताई जा रही है।
इस इस्तीफे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या AAP गुजरात में संगठनात्मक मजबूती बना पाने में विफल हो रही है, या यह केवल आंतरिक मतभेदों का हिस्सा है?
चिट्ठी में क्या लिखा?
अरविंद केजरीवाल को भेजी चिट्ठी में मकवाना ने कहा कि जय भारत, साथ में सूचित करता हूं कि मैं आम आदमी पार्टी में राष्ट्रीय संयुक्त सचिव के पद पर ढाई साल में सेवा कर रहा हूं. इसके साथ ही गुजरात विधानसभा में आम आदमी पार्टी चीफ व्हिप के रूप में सेवा कर रहा हूं. फिलहाल मेरी सामाजिक सेवाएं कम होने से, मैं आम आदमी पार्टी के तमाम पद से इस्तीफा दे रहा हूं. मैं एक कार्यकर्ता के रूप में पार्टी का कार्य करूंगा. मुझे सभी पद पर से और जिम्मेदारी से मुक्त करने के लिए मेरा आपसे अनुरोध है.
कांग्रेस और बीजपी पर निशाना
मकवाना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ”गुजरात की राजनीति में पिछले कई वर्षों से जातिवादी विचारधारा का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. बीजेपी, कांग्रेस या अन्य किसी भी पार्टी में यही स्थिति है. मैंने 2020 से पहले बीजेपी छोड़कर आम आदमी पार्टी (आप) जॉइन की थी. 2022 में बोटाद से चुनाव लड़ा और विधायक बना, फिर मुख्य सचेतक भी बना.”
उन्होंने कहा, ”बीजेपी ने आज तक कोली समाज के किसी भी प्रतिनिधि को न तो मुख्यमंत्री बनाया है और न ही प्रदेश अध्यक्ष. कांग्रेस सत्ता से बाहर होने के बावजूद पिछड़े समाज की आवाज नहीं बन सकी है. विपक्ष की भूमिका निभाने में भी कांग्रेस कमजोर साबित हुई है.”
मैं 2027 के चुनाव में पिछड़े समाज के लोगों से चर्चा के बाद निर्णय लूंगा कि क्या करना है. नई पार्टी बनाऊंगा या नहीं, इसके बारे में बाद में जानकारी दूंगा. गुजरात की उप-चुनावों में भी आम आदमी पार्टी में भेदभाव की नीति देखने को मिली.
पाटीदार नेता गोपाल इटालिया को जिताने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी, जबकि कडी सीट पर दलित उम्मीदवार को पार्टी ने कोई मदद नहीं दी, उसे लोन लेकर चुनाव लड़ना पड़ा.
हाल ही में गुजरात के विसाबदर और कडी सीट पर उप-चुनाव हुए. विसाबदर से आप उम्मीदवार ने जीत दर्ज की. वहीं कडी में आप तीसरे नंबर पर रही.
पार्टी से नाराज चल रहे हैं उमेश मकवाणा

सूत्रों के अनुसार, बोटाद से मौजूदा विधायक उमेश मकवाणा कथित तौर पर आम आदमी पार्टी से नाराज हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, उमेश अपने साथी आप विधायकों के फोन कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं, जिससे उनके इरादों के बारे में और अटकलें लगाई जा रही हैं। यह पहली बार नहीं है जब उनके इस्तीफे की चर्चा सामने आई है। इससे पहले भी अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन मकवाणा ने तब इन खबरों का खंडन करने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। हालांकि, हाल ही में पार्टी के सभी कार्यक्रमों से उनकी अनुपस्थिति ने मतभेद की संभावना को फिर से हवा दे दी है।
भावनगर से लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं उमेश मकवाणा
उमेश मकवाणा 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बोटाद सीट से चुने गए थे, उन्होंने भाजपा के घनश्याम विरानी और कांग्रेस के मनहर पटेल को हराया था। इसके बाद पार्टी ने उन्हें भावनगर संसदीय सीट से लोकसभा उम्मीदवार बनाया, हालांकि वह चुनाव हार गए थे। उसके बाद से पार्टी नेतृत्व के साथ उनके रिश्ते तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। बता दें कि गुजरात में आम आदमी पार्टी के पांच विधायक हैं।
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