नोएडा में साइबर ठगी का बड़ा खेल: दो बुजुर्गों को किया ‘डिजिटल अरेस्ट’ !

उत्तर प्रदेश के नोएडा में साइबर ठगों ने 2 बुजुर्गों को साइबर ठगी का शिकार बनाया।

उत्तर प्रदेश के नोएडा से एक चौंकाने वाला साइबर अपराध का मामला सामने आया है, जिसमें अपराधियों ने दो बुजुर्ग नागरिकों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर डरा-धमकाकर उनसे 4 करोड़ रुपये ठग लिए। यह नया साइबर फ्रॉड का तरीका अब पुलिस और साइबर सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी सिरदर्द बनता जा रहा है।

नोएडा में साइबर ठगी का बड़ा खेल: दो बुजुर्गों को किया 'डिजिटल अरेस्ट' !
नोएडा में साइबर ठगी का बड़ा खेल: दो बुजुर्गों को किया ‘डिजिटल अरेस्ट’ !

क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’?

‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नई साइबर ठगी की तकनीक है, जिसमें जालसाज़ खुद को पुलिस, सीबीआई, या अन्य जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर पीड़ित को वीडियो कॉल करते हैं।
वे यह दावा करते हैं कि पीड़ित किसी बड़ी जांच में फंसा है – जैसे कि मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग तस्करी या अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल फ्रॉड – और उसे तत्काल जांच में सहयोग करना होगा। इसके बाद पीड़ित को अपने घर में नजरबंद (Virtual House Arrest) रहने के लिए मजबूर किया जाता है और उसके मोबाइल और कैमरे को लगातार निगरानी में रखा जाता है।

कैसे हुआ ये हाई-प्रोफाइल साइबर फ्रॉड?

कैसे हुआ ये हाई-प्रोफाइल साइबर फ्रॉड?
कैसे हुआ ये हाई-प्रोफाइल साइबर फ्रॉड?

नोएडा के सेक्टर-50 में रहने वाले दो बुजुर्ग दंपत्तियों को अलग-अलग दिनों पर एक जैसे कॉल आए। कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई पुलिस या सीबीआई अधिकारी बताया और आरोप लगाया कि उनके नाम पर एक पार्सल में मादक पदार्थ और फर्जी दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जो ताइवानी या चीनी माफिया से जुड़ा है।

इसके बाद उन्हें चेतावनी दी गई कि यदि वे जांच में सहयोग नहीं करेंगे, तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है और उनकी संपत्ति जब्त की जाएगी।

डरे-सहमे बुजुर्गों को 24 से 48 घंटे तक लगातार वीडियो कॉल पर रखा गया। इस दौरान उन्हें निर्देश दिया गया कि वे अपने बैंक खातों की जानकारी साझा करें और जांच प्रक्रिया के नाम पर अपने फंड एक सुरक्षित सरकारी खाते में ट्रांसफर करें

जालसाज़ों ने उन्हें यह भरोसा दिलाया कि पैसा जांच के बाद वापस कर दिया जाएगा। इसी झांसे में आकर उन्होंने कुल मिलाकर 4 करोड़ रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए।


❖ पुलिस और साइबर सेल की प्रतिक्रिया

जब पीड़ितों को होश आया कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं, तब तक ठगों के सभी नंबर बंद हो चुके थे और फर्जी आईडी से किए गए वीडियो कॉल्स का कोई सुराग नहीं मिला। इसके बाद दोनों ने नोएडा साइबर क्राइम थाने में मामला दर्ज कराया।

नोएडा पुलिस ने बताया कि यह अंतरराष्ट्रीय साइबर गैंग का काम लग रहा है, जिसमें वीओआईपी कॉलिंग, फर्जी डॉक्यूमेंट, और विदेशी बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया है।

पुलिस ने आईटी एक्ट और धोखाधड़ी की धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। विदेशी ठिकानों पर कॉल और पेमेंट ट्रेल की जानकारी के लिए केंद्रीय एजेंसियों की मदद भी मांगी गई है।

क्यों बुजुर्ग हो रहे हैं ज्यादा शिकार?

विशेषज्ञों का मानना है कि बुजुर्ग वर्ग तकनीक और साइबर धोखाधड़ी के नए तौर-तरीकों से कम वाकिफ होता है। अपराधी इसी कमजोरी का फायदा उठाकर उन्हें मानसिक दबाव और डर के जरिए झांसे में लेते हैं।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ राकेश चौधरी के मुताबिक:

“डिजिटल अरेस्ट जैसी तकनीकें लोगों के मनोविज्ञान और डर को केंद्र में रखकर बनाई जाती हैं। जब कोई खुद को सरकारी एजेंसी से जुड़ा बताता है और अपराध के आरोप लगाता है, तो व्यक्ति भ्रम और भय में आकर तर्कशक्ति खो बैठता है।”

साइबर एक्सपर्ट्स की चेतावनी

  • कोई भी सरकारी एजेंसी कभी भी वीडियो कॉल के जरिए न तो गिरफ्तारी करती है, न ही बैंक जानकारी मांगती है।
  • ऐसे किसी भी कॉल की तुरंत रिकॉर्डिंग करें और स्क्रीनशॉट लें।
  • किसी भी प्रकार की धमकी पर यकीन न करें और तुरंत 112 या साइबर हेल्पलाइन 1930 पर सूचना दें।
  • बुजुर्गों और तकनीकी रूप से कमजोर लोगों को जागरूक करने के लिए सामुदायिक स्तर पर अभियान चलाने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

नोएडा में हुआ यह मामला साइबर ठगों की बढ़ती तकनीकी चालबाज़ियों की एक झलक मात्र है। ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी नई शब्दावली और डराने की रणनीति से सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि शिक्षित और समझदार लोग भी फंस सकते हैं।

यह जरूरी हो गया है कि समाज में डिजिटल जागरूकता को प्राथमिकता दी जाए और साइबर अपराधियों पर सख्त कार्रवाई के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी बढ़ाया जाए।

याद रखें – कोई भी सरकारी एजेंसी आपसे वीडियो कॉल पर पैसा नहीं मांगती। सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।

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