1 सितंबर से बड़ा बदलाव: वंदे भारत ने शताब्दी को दिया झटका, रेलवे का नया फैसला जानिए !

वंदे भारत एक्सप्रेस से पहले धनबाद से हावड़ा और हावड़ा से धनबाद तक शताब्दी एक्सप्रेस प्रीमियम क्लास की ट्रेन थी। इसमें यात्रा करने के लिए महीने भर पहले कंफर्म टिकट मिलना भी मुश्किल था। लेकिन वंदे भारत चलने से अब शताब्दी एक्सप्रेस की मांग घट गई है।

भारतीय रेलवे में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। आधुनिक, तेज़ और सुविधाजनक ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस की बढ़ती लोकप्रियता के बीच रेलवे ने एक नया और बड़ा फैसला लिया है, जिसका असर 1 सितंबर से देखने को मिलेगा। इस फैसले से शताब्दी एक्सप्रेस जैसी प्रतिष्ठित ट्रेन को करारा झटका लगने वाला है। रेलवे के इस कदम को यात्री सुविधाओं के दृष्टिकोण से बड़ा सुधार माना जा रहा है, लेकिन इसका सीधा असर शताब्दी ट्रेनों की संख्या, रूट और संचालन पर पड़ सकता है।

1 सितंबर से बड़ा बदलाव: वंदे भारत ने शताब्दी को दिया झटका, रेलवे का नया फैसला जानिए !
1 सितंबर से बड़ा बदलाव: वंदे भारत ने शताब्दी को दिया झटका, रेलवे का नया फैसला जानिए !

क्या है रेलवे का नया फैसला?

भारतीय रेलवे ने निर्णय लिया है कि जिन रूटों पर वंदे भारत एक्सप्रेस सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है या जहां उसका संचालन प्रस्तावित है, वहां शताब्दी एक्सप्रेस को चरणबद्ध तरीके से बंद या रिड्यूस किया जाएगा। इसका मुख्य कारण यात्रियों की प्राथमिकताओं में बदलाव और वंदे भारत की तेज़ गति, आधुनिक सुविधाएं और समय की बचत है।

रेलवे बोर्ड के अनुसार, 1 सितंबर 2025 से देशभर में ऐसी कम से कम 6 शताब्दी ट्रेनों के संचालन को आंशिक या पूर्ण रूप से समाप्त किया जाएगा, जहां वंदे भारत ट्रेनों ने बेहतर प्रतिसाद पाया है।

किन रूटों पर दिखेगा असर?

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार जिन रूटों पर यह बदलाव सबसे पहले लागू होंगे, वे हैं:

  • दिल्ली-चंडीगढ़: जहां वंदे भारत पहले ही तेज़ी से लोकप्रिय हो चुकी है और यात्रियों को कम समय में बेहतर अनुभव दे रही है।
  • दिल्ली-लखनऊ: इस रूट पर भी वंदे भारत का असर शताब्दी की बुकिंग पर साफ नजर आ रहा है।
  • मुंबई-पुणे, चेन्नई-बेंगलुरु, और हावड़ा-पटना जैसे रूट्स पर भी शताब्दी की लोकप्रियता में गिरावट देखी गई है।

इन रूटों पर शताब्दी की तुलना में वंदे भारत 20% तक तेज़, 30% अधिक सुविधाजनक और समय की बचत करने वाली साबित हुई है।

यात्रियों के लिए फायदे और नुकसान

फायदे:

  • बेहतर तकनीक: वंदे भारत ट्रेनों में एयरलाइंस जैसी आरामदायक सीटें, ऑटोमेटिक स्लाइडिंग डोर्स, बेहतर स्वच्छता और वाई-फाई जैसी आधुनिक सुविधाएं हैं।
  • समय की बचत: वंदे भारत की गति 160 किमी प्रति घंटे तक पहुंचती है, जिससे यात्रा समय काफी घट जाता है।
  • हर श्रेणी में अनुभव: चाहे चेयर कार हो या एग्जीक्यूटिव क्लास, यात्रियों को उच्च गुणवत्ता वाला अनुभव मिल रहा है।

नुकसान:

  • शताब्दी का सस्ता किराया: वंदे भारत की तुलना में शताब्दी में किराया कुछ कम होता था, जो मध्यमवर्गीय यात्रियों के लिए अनुकूल था।
  • संपूर्ण बदलाव की तैयारी नहीं: कुछ छोटे स्टेशनों पर वंदे भारत का स्टॉपेज नहीं होने से वहां के यात्रियों को परेशानी हो सकती है।
  • बुजुर्ग यात्रियों की आदतें: शताब्दी से सालों से यात्रा कर रहे वरिष्ठ नागरिक नई तकनीक से थोड़े असहज हो सकते हैं।

रेलवे का दीर्घकालिक विज़न

भारतीय रेलवे भविष्य में शताब्दी की जगह वंदे भारत को प्रमुख प्रीमियम ट्रेनों के रूप में स्थापित करना चाहता है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक सभी प्रमुख शहरों को वंदे भारत नेटवर्क से जोड़ा जाए। इस दिशा में नए कोच, नई पीढ़ी की वंदे भारत ट्रेनें और हाई स्पीड ट्रैक पर निवेश भी बढ़ाया जा रहा है।

रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया:
“यात्रियों को तेज़, सुरक्षित और सुविधाजनक सफर देना ही हमारी प्राथमिकता है। वंदे भारत उसी दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। जहां यह सफल होती है, वहां पारंपरिक ट्रेनों को हटाना व्यावहारिक कदम है।”

निष्कर्ष

1 सितंबर से लागू होने वाला रेलवे का यह फैसला शताब्दी ट्रेनों के युग के अंत की शुरुआत की तरह देखा जा सकता है। हालांकि कुछ यात्रियों को इससे असुविधा हो सकती है, लेकिन आधुनिक रेल परिवहन की दिशा में यह एक जरूरी और सकारात्मक कदम है। वंदे भारत एक्सप्रेस भारतीय रेलवे का भविष्य है, और इस फैसले से यह साफ हो गया है कि अब देश की यात्रा शैली तेजी से बदलने वाली है।

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