राजकुमार राव चमके, ‘मालिक’ की स्क्रिप्ट फिसली !

पुलकित की गैंगस्टर ड्रामा में राजकुमार राव कमाल के लग रहे हैं, लेकिन फिल्म की कहानी पूरी तरह से जमीनी स्तर पर नहीं है। कहानी में क्या अच्छा है और क्या कमी है, जानें।

बॉलीवुड के प्रतिभाशाली अभिनेता राजकुमार राव एक बार फिर बड़े पर्दे पर लौटे हैं अपनी नई फिल्म ‘मालिक’ के साथ। फिल्म का ट्रेलर जब रिलीज़ हुआ था, तब दर्शकों में यह उम्मीद जगी थी कि यह फिल्म एक जबरदस्त सोशल ड्रामा और क्राइम थ्रिलर का अनोखा मिश्रण होगी। लेकिन रिलीज़ के बाद ‘मालिक’ दर्शकों की उम्मीदों पर पूरी तरह से खरी नहीं उतर पाई। जहां एक ओर राजकुमार राव ने अपनी एक्टिंग से दिल जीत लिया, वहीं दूसरी ओर कहानी, निर्देशन और पटकथा के स्तर पर फिल्म कुछ खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी।

कहानी का खाका

‘मालिक’ की कहानी एक छोटे शहर के नौजवान हसन अली (राजकुमार राव) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो गरीबी, भ्रष्ट व्यवस्था और सामाजिक भेदभाव से लड़ते हुए एक कद्दावर स्थानीय नेता बन जाता है। वह आम जनता का मसीहा बनने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी राह में आते हैं सत्ता के दलाल, पुलिस का दबाव, और राजनीतिक षड्यंत्र।

राजकुमार राव चमके, ‘मालिक’ की स्क्रिप्ट फिसली !
राजकुमार राव चमके, ‘मालिक’ की स्क्रिप्ट फिसली !

कहानी की शुरुआत काफी रोमांचक ढंग से होती है। पहले 30 मिनट तक फिल्म दर्शकों को बांधे रखती है, लेकिन जैसे-जैसे प्लॉट आगे बढ़ता है, फिल्म अपनी गति और गहराई दोनों खो देती है। कई सीन दोहराव वाले लगते हैं और क्लाइमेक्स तक आते-आते दर्शक यह महसूस करने लगते हैं कि कहानी में ज्यादा नई बात नहीं है।


राजकुमार राव की दमदार परफॉर्मेंस

इस फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है राजकुमार राव का अभिनय। उन्होंने एक ईमानदार, जुझारू और कभी-कभी क्रोधित नेता के किरदार को जिस संजीदगी से निभाया है, वह काबिले-तारीफ है। उनके चेहरे के भाव, संवाद की टाइमिंग और बॉडी लैंग्वेज सभी कुछ किरदार के अनुरूप हैं।

एक सीन जिसमें हसन अली अपने गांव के बच्चों के लिए स्कूल खोलने का संकल्प लेता है और उसके लिए स्थानीय माफिया से भिड़ जाता है – वह पूरी तरह राजकुमार राव के अभिनय कौशल का प्रमाण है। उनकी आंखों में गुस्सा, लहजे में दर्द और चाल में आत्मविश्वास साफ दिखता है।


सह कलाकारों का प्रदर्शन

फिल्म में हुमा कुरैशी ने हसन अली की पत्नी का किरदार निभाया है। उन्होंने एक सशक्त महिला की भूमिका में ठीक-ठाक काम किया है, लेकिन स्क्रिप्ट उन्हें ज्यादा जगह नहीं देती। विजय राज, जो फिल्म में एक भ्रष्ट राजनेता के किरदार में हैं, हमेशा की तरह अपने संवादों और स्क्रीन प्रजेंस से असर छोड़ते हैं।

हालांकि, बाकी सह-कलाकारों के किरदार बहुत ही सतही स्तर पर लिखे गए हैं। कई पात्र तो केवल fillers की तरह लगते हैं, जिनका कोई ठोस प्रभाव नहीं बनता।


निर्देशन और तकनीकी पक्ष

फिल्म का निर्देशन किया है मनीष शर्मा ने, जिन्होंने पहले शुद्ध देसी रोमांस जैसी फिल्में बनाई हैं। हालांकि ‘मालिक’ जैसी गंभीर फिल्म के लिए उनसे और गहराई की उम्मीद थी। स्क्रिप्ट को कसावट की ज़रूरत थी, और कुछ सब-प्लॉट्स को हटाकर मुख्य कहानी को ज्यादा फोकस में लाया जा सकता था।

कैमरावर्क और लोकेशंस सराहनीय हैं। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी उस छोटे शहर की जमीनी हकीकत को दिखाने में सफल रहती है। बैकग्राउंड म्यूज़िक भी कुछ दृश्यों में प्रभावी है, लेकिन गाने कहानी की रफ्तार को रोकते हैं।


क्या देखना चाहिए ये फिल्म?

अगर आप राजकुमार राव के फैन हैं और उनके अभिनय को बड़े पर्दे पर देखना चाहते हैं, तो ‘मालिक’ को एक बार देखा जा सकता है। लेकिन अगर आप कहानी, निर्देशन और पटकथा के स्तर पर कुछ गहराई चाहते हैं, तो यह फिल्म आपको थोड़ी निराश कर सकती है।


निष्कर्ष

‘मालिक’ एक ऐसी फिल्म है जिसमें दमदार कलाकार हैं, सामाजिक संदेश है, और अच्छे इरादे भी, लेकिन कहानी कहने का अंदाज उतना धारदार नहीं है जितना होना चाहिए था। मिर्च-मसाले डाले जरूर गए हैं, लेकिन स्वाद में कमी रह गई। फिर भी, राजकुमार राव ने अपनी परफॉर्मेंस से फिल्म को डूबने से बचा लिया है।

रेटिंग: ⭐⭐⭐ (3/5) – सिर्फ राजकुमार राव के लिए एक बार देखी जा सकती है।

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