बिहार चुनाव से पहले नीतीश कुमार की सरकार जनता को बड़ा तोहफा देने की तैयारी कर रही है। दरअसल, बिहार में 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त करने की योजना पर काम चल रहा है। वित्त विभाग ने इस योजना को मंजूरी भी दे दी है।
बिहार सरकार एक बार फिर आम जनता को बड़ी राहत देने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सरकार 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रही है। यदि यह प्रस्ताव अंतिम रूप लेता है, तो बिहार देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो जाएगा जहां घरेलू उपभोक्ताओं को फ्री बिजली की सुविधा दी जा रही है। इस कदम से राज्य के लाखों उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है।

क्या है प्रस्ताव?
सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की योजना बना रही है, जो घरेलू उपभोक्ताओं के लिए लागू होगी। योजना का उद्देश्य निम्न और मध्यम वर्ग के परिवारों को आर्थिक रूप से राहत देना है। इस प्रस्ताव पर ऊर्जा विभाग और वित्त विभाग के बीच विचार-विमर्श का दौर जारी है और संभावना जताई जा रही है कि अगस्त 2025 में प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिल सकती है।
नीतीश कुमार की पहल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा से ही सामाजिक और बुनियादी सुविधाओं को लेकर सजग रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली के क्षेत्र में उनकी नीतियों को राज्य में काफी सराहा गया है। उन्होंने हाल ही में एक कार्यक्रम में संकेत दिया था कि “बिजली हर घर की जरूरत है और अगर हम जनता को थोड़ी राहत दे सकें, तो इससे बेहतर कुछ नहीं।” इसके बाद से ही इस योजना पर तेजी से काम हो रहा है।
कितने उपभोक्ताओं को होगा लाभ?
बिजली कंपनियों के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में लगभग 1.5 करोड़ घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं। इनमें से एक बड़ी संख्या ऐसे उपभोक्ताओं की है जिनका मासिक खपत 100 यूनिट से कम है। अनुमान है कि इस योजना से लगभग 80 से 90 लाख उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। इससे न केवल गरीब और मध्यम वर्ग को आर्थिक सहायता मिलेगी, बल्कि बिजली उपयोग के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।
क्या होंगे फायदे?
- आर्थिक राहत: उपभोक्ताओं का मासिक बिल कम होगा जिससे घरेलू खर्चों में राहत मिलेगी।
- बिजली के प्रति सतर्कता: लोग अब सीमित यूनिट में उपयोग करने की कोशिश करेंगे जिससे बिजली की बचत भी होगी।
- राजनीतिक फायदा: नीतीश सरकार को 2025 के अंत में संभावित चुनावों से पहले आम जनता की बड़ी सराहना मिल सकती है।
- गांवों में फायदा: ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की खपत शहरी इलाकों की तुलना में कम होती है, ऐसे में यह योजना ग्रामीण जनता के लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकती है।
योजना के कार्यान्वयन की चुनौतियां
हालांकि योजना का उद्देश्य जनकल्याण है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कई चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं:
- राजकोषीय बोझ: सरकार को प्रति वर्ष लगभग 3,000 से 4,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी वहन करनी पड़ सकती है।
- दुरुपयोग की आशंका: कुछ उपभोक्ता योजना का अनुचित लाभ लेने की कोशिश कर सकते हैं।
- टारगेटिंग: उन उपभोक्ताओं की पहचान करना जो वाकई जरूरतमंद हैं, यह प्रशासनिक चुनौती बन सकती है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
इस घोषणा की सुगबुगाहट के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रवक्ता ने कहा, “चुनाव नजदीक आते ही नीतीश कुमार को जनता की याद आने लगती है। यह भी एक चुनावी स्टंट है।”
वहीं, जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेताओं का कहना है कि यह निर्णय केवल चुनावी राजनीति नहीं बल्कि जनसेवा की भावना से प्रेरित है।
निष्कर्ष
बिहार सरकार की यह पहल आम जनता के हित में एक बड़ा और प्रभावशाली कदम साबित हो सकता है। अगर यह योजना धरातल पर उतरती है, तो यह राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव ला सकती है। अब सबकी निगाहें अगस्त में होने वाली कैबिनेट बैठक पर टिकी हैं, जहां इस प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी मिलने की संभावना है।
अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो जल्द ही बिहार के करोड़ों घरों में बिजली की रौशनी के साथ राहत की चमक भी नजर आएगी।
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