‘उदयपुर फाइल्स’ पर बढ़ता विवाद, आज सुप्रीम कोर्ट तय करेगा रिलीज की राह !

‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। आरोपी मोहम्मद जावेद की ओर से याचिका दायर की गई है। मुकदमे की सुनवाई तक फिल्म रिलीज पर रोक लगाई जाने की अर्जी दायर की गई है।

फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर देशभर में मचा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बहुचर्चित फिल्म पर लगाई गई रोक और उसके संभावित प्रभावों को लेकर न्यायपालिका से लेकर सियासत और समाज तक में बहस जारी है। इस बीच आज सुप्रीम कोर्ट में इस फिल्म से जुड़ी एक अहम सुनवाई होनी है, जो इसके भविष्य पर निर्णायक साबित हो सकती है। अदालत यह तय करेगी कि फिल्म को रिलीज की अनुमति दी जाए या नहीं, और यदि दी जाए तो किन शर्तों के साथ।

'उदयपुर फाइल्स' पर बढ़ता विवाद, आज सुप्रीम कोर्ट तय करेगा रिलीज की राह !
‘उदयपुर फाइल्स’ पर बढ़ता विवाद, आज सुप्रीम कोर्ट तय करेगा रिलीज की राह !

क्या है ‘उदयपुर फाइल्स’ का मामला?

‘उदयपुर फाइल्स’ एक ऐसी फिल्म है, जो राजस्थान के उदयपुर में वर्ष 2022 में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित बताई जा रही है। फिल्म निर्माताओं का दावा है कि यह एक डॉक्यु-ड्रामा स्टाइल फिल्म है, जो तथ्यों पर आधारित है और समाज में धार्मिक कट्टरता और वैमनस्य के खिलाफ चेतावनी देती है। लेकिन आलोचकों का कहना है कि फिल्म का कंटेंट धार्मिक तनाव को भड़काने वाला और सांप्रदायिक भावनाओं को उकसाने वाला हो सकता है।

फिल्म पर क्यों हुआ विवाद?

फिल्म पर क्यों हुआ विवाद?
फिल्म पर क्यों हुआ विवाद?

राजस्थान सहित कई राज्यों में मुस्लिम संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फिल्म के खिलाफ विरोध दर्ज किया है। उनका आरोप है कि फिल्म एकतरफा कहानी कहती है, जिससे एक विशेष समुदाय की छवि को नुकसान पहुंच सकता है। इसके साथ ही, कई संगठनों ने चुनावी माहौल में इस फिल्म के रिलीज को राजनीतिक एजेंडा बताया है।

राज्य सरकारों ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है और कई जिलों में प्रशासन ने पहले ही फिल्म के प्रदर्शन को लेकर एहतियातन कदम उठाए हैं। कुछ राज्यों में सेंसर बोर्ड से भी फिल्म की समीक्षा की मांग की गई है।

सुप्रीम कोर्ट में क्यों पहुंचा मामला?

फिल्म निर्माता ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर स्थगन आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि फिल्म का कंटेंट संवेदनशील है और इससे शांति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

अब सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अंतिम चरण में पहुंच गया है। न्यायालय को यह तय करना है कि क्या फिल्म को संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत रिलीज होने दिया जाए, या फिर सार्वजनिक शांति और साम्प्रदायिक सौहार्द को ध्यान में रखते हुए उस पर रोक बनी रहे।

क्या कहा फिल्म निर्माताओं ने?

फिल्म के निर्देशक और निर्माता का कहना है कि ‘उदयपुर फाइल्स’ कोई काल्पनिक कहानी नहीं है, बल्कि पुलिस रिपोर्ट, गवाहों और वास्तविक घटनाओं पर आधारित है। उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म का उद्देश्य किसी समुदाय को बदनाम करना नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करना है।

निर्माता ने कोर्ट में यह भी दलील दी कि सेंसर बोर्ड से फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट मिल चुका है, और उसमें किसी भी आपत्तिजनक दृश्य या संवाद को पहले ही संपादित किया जा चुका है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

फिल्म को लेकर राजनीतिक दलों में भी मतभेद नजर आ रहे हैं। जहां भाजपा के कुछ नेता फिल्म के समर्थन में उतर आए हैं और इसे ‘सच्चाई को सामने लाने वाला प्रयास’ बता रहे हैं, वहीं विपक्षी दल इस फिल्म को ‘ध्रुवीकरण की साजिश’ करार दे रहे हैं।

आज होगी सुनवाई, फैसले पर टिकी निगाहें

सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई में संभव है कि न्यायमूर्ति की पीठ यह तय करे कि:

  • क्या फिल्म पर लगी रोक हटाई जा सकती है?
  • क्या फिल्म को किसी विशेष वर्ग तक सीमित रखा जाए?
  • या फिर रिलीज से पहले कुछ शर्तें या चेतावनियां जोड़ी जाएं?

निष्कर्ष

‘उदयपुर फाइल्स’ महज एक फिल्म नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम सामाजिक जिम्मेदारी का एक बड़ा मुद्दा बन गया है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस पर न केवल फिल्म की रिलीज का मार्ग तय करेगा, बल्कि यह भविष्य में संवेदनशील मुद्दों पर बनी फिल्मों के लिए एक कानूनी दिशा भी स्थापित कर सकता है। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई पर टिकी हैं, जो इस विवाद को एक निर्णायक मोड़ दे सकती है।

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