दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने जय भीम प्रतिभा विकास योजना में कथित भ्रष्टाचार को लेकर जांच के आदेश दे दिए हैं। इसे लेकर सीएम रेखा गुप्ता ने आरोप लगाया कि बजट सिर्फ 15 करोड़ था लेकिन केजरीवाल सरकार ने 145 करोड़ से ज्यादा के बिल मंजूर किए।
दिल्ली में संचालित ‘जय भीम प्रतिभा विकास योजना’ को लेकर एक बड़ा प्रशासनिक निर्णय सामने आया है। उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने इस योजना की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। यह योजना अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के छात्रों को उच्च शिक्षा की तैयारी के लिए वित्तीय सहायता देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, लेकिन हाल ही में इसमें वित्तीय अनियमितताओं और संचालन में पारदर्शिता की कमी को लेकर सवाल उठे हैं।

उपराज्यपाल ने योजना के क्रियान्वयन में सामने आई वित्तीय गड़बड़ियों, पात्रता की अनदेखी, और कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर संज्ञान लेते हुए इस जांच के निर्देश दिए हैं। यह कदम सरकार के उस दावे को चुनौती देता है जिसमें इस योजना को सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया गया था।
क्या है ‘जय भीम प्रतिभा विकास योजना’?

इस योजना की शुरुआत दिल्ली सरकार द्वारा वर्ष 2018 में की गई थी। इसका उद्देश्य SC वर्ग के छात्रों को सिविल सेवा, मेडिकल, इंजीनियरिंग, लॉ, बैंकिंग जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए निःशुल्क कोचिंग प्रदान करना था।
योजना के तहत छात्रों को दिल्ली सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त निजी कोचिंग संस्थानों में प्रवेश दिलाया जाता है, और उनकी फीस सरकार वहन करती है। साथ ही छात्रों को स्टाइपेंड के रूप में प्रतिमाह एक निश्चित राशि भी दी जाती है।
जांच की आवश्यकता क्यों पड़ी?
हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि:
- कुछ कोचिंग संस्थानों ने फर्जी छात्रों का नामांकन दिखाकर फंड का दुरुपयोग किया।
- कई छात्रों को योजना की शर्तों के बावजूद लाभ नहीं मिला।
- कुछ संस्थानों ने निर्धारित फीस से अधिक राशि वसूली, जबकि सरकार को गलत विवरण भेजे गए।
- योजना में पारदर्शिता और निगरानी की व्यवस्था नाकाफी रही।
इन गंभीर आरोपों के बाद उपराज्यपाल कार्यालय ने मामले का संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार के सामाजिक न्याय विभाग को तलब किया और संबंधित दस्तावेजों की समीक्षा की।
उपराज्यपाल का निर्देश
उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने इस मामले को “सामाजिक न्याय के नाम पर वित्तीय शोषण” करार देते हुए कहा कि यह योजना समाज के कमजोर वर्गों की मदद के लिए थी, लेकिन इसमें हुई अनियमितताएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं। उन्होंने जांच एजेंसियों को निर्देश दिया है कि:
- सभी कोचिंग संस्थानों की प्रविष्टियों और भुगतान विवरण की जांच की जाए।
- पिछले 3 वर्षों में योजना के तहत लाभान्वित छात्रों का ऑडिट किया जाए।
- छात्रों और अभिभावकों से फीडबैक लेकर जमीनी स्थिति का मूल्यांकन किया जाए।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस जांच के आदेश के बाद दिल्ली की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने इसे एक राजनीतिक साजिश करार दिया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह योजना हजारों गरीब छात्रों के लिए वरदान साबित हुई है और उपराज्यपाल केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं।
AAP नेता आतिशी मार्लेना ने बयान जारी कर कहा,
“योजना के नाम पर छात्रों की पढ़ाई रोकना असंवेदनशील है। अगर कोई गड़बड़ी है तो उसे ठीक किया जाना चाहिए, लेकिन पूरा कार्यक्रम ठप करना गलत है।”
वहीं भाजपा नेताओं ने उपराज्यपाल के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि “आम आदमी पार्टी की योजनाओं में भ्रष्टाचार आम हो चुका है। अब हर योजना की पारदर्शिता की जांच होनी चाहिए।”
छात्रों में चिंता
जांच के आदेश के बाद योजना के अंतर्गत पढ़ाई कर रहे छात्रों में चिंता फैल गई है। कई छात्रों ने आशंका जताई कि कहीं योजना बंद न हो जाए। कुछ ने कहा कि फीस और स्टाइपेंड समय पर न मिलने से उनकी पढ़ाई पर असर पड़ा है।
निष्कर्ष
‘जय भीम प्रतिभा विकास योजना’ की जांच उपराज्यपाल के आदेश से अब एक संवेदनशील प्रशासनिक विषय बन गई है। यह देखा जाना बाकी है कि क्या योजना में केवल क्रियान्वयन की गड़बड़ी हुई है या कोई बड़ा घोटाला सामने आता है। जो भी हो, छात्रों का हित सर्वोपरि है और उम्मीद की जा रही है कि जांच के बाद योजना और अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी बन सकेगी।
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