पुणे के बारामती में बैंक ऑफ बड़ोदा के ब्रांच मैनेजर ने आत्महत्या कर ली। उसका शव बैंक की शाखा में ही बरामद किया गया। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।
बैंकिंग क्षेत्र से एक दुखद और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) के एक ब्रांच मैनेजर ने नोटिस पीरियड के दौरान बैंक परिसर में ही आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले लिखे गए सुसाइड नोट में उन्होंने “वर्क प्रेशर” को अपनी मौत का कारण बताया है। यह घटना न केवल बैंक कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रश्न उठाती है, बल्कि पूरे बैंकिंग सेक्टर में काम के बोझ और दबाव को लेकर चल रही बहस को और तीव्र कर देती है।

कहां और कैसे हुई घटना?
घटना मध्यप्रदेश के एक प्रमुख शहर की है, जहां बैंक ऑफ बड़ौदा की एक शाखा के ब्रांच मैनेजर, 42 वर्षीय राजीव शर्मा (परिवर्तित नाम), पिछले कुछ वर्षों से कार्यरत थे। वे पिछले महीने ही ट्रांसफर के बाद इस्तीफा दे चुके थे और फिलहाल नोटिस पीरियड में थे।
बताया जा रहा है कि सोमवार सुबह जब बैंक खुला, तब सफाई कर्मचारी ने उन्हें केबिन के अंदर फर्श पर बेसुध देखा। तुरंत उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मौके से एक सुसाइड नोट बरामद किया है।
सुसाइड नोट में क्या लिखा?
सुसाइड नोट में राजीव ने साफ तौर पर लिखा है कि वे लंबे समय से मानसिक दबाव में थे और उन्हें कार्यस्थल पर अत्यधिक वर्क प्रेशर झेलना पड़ रहा था। उन्होंने लिखा, “मैंने हमेशा पूरी ईमानदारी और निष्ठा से काम किया, लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह का दबाव मुझ पर बनाया गया, उससे मेरी मानसिक स्थिति बिगड़ गई। अब सहन करना मुश्किल हो गया है।”
राजीव ने किसी विशेष व्यक्ति या वरिष्ठ अधिकारी का नाम नहीं लिया, लेकिन संकेत दिए कि बैंक की नीतियों और रिपोर्टिंग सिस्टम ने उन्हें लगातार तनाव में रखा।
बैंक प्रशासन का जवाब
घटना के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा के रीजनल कार्यालय से एक टीम जांच के लिए भेजी गई। बैंक प्रबंधन ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वे पूरी तरह से पुलिस जांच में सहयोग कर रहे हैं और मृतक के परिवार को हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी।
एक प्रवक्ता ने कहा, “बैंक कर्मियों की भलाई हमारी प्राथमिकता है, और हम मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को गंभीरता से लेते हैं। इस दुखद घटना की निष्पक्ष जांच की जाएगी।”
पुलिस कर रही है जांच
स्थानीय पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आत्महत्या के कारणों की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। पुलिस के अनुसार, अब तक की जांच में सुसाइड नोट में उल्लेखित “वर्क प्रेशर” को प्रमुख कारण माना जा रहा है। परिवार और सहकर्मियों से पूछताछ की जा रही है।
मानसिक स्वास्थ्य पर बढ़ती चिंता
यह मामला एक बार फिर यह उजागर करता है कि कैसे अत्यधिक कार्यभार और लक्ष्य आधारित प्रदर्शन दबाव में आकर कर्मचारी मानसिक रूप से टूट जाते हैं। बैंकिंग सेक्टर में टारगेट, ऑडिट, कर्ज वसूली और रिपोर्टिंग की जटिल प्रक्रिया से कर्मचारी अक्सर अवसाद, चिंता और तनाव से जूझते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियों को मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सक्रिय नीति बनानी चाहिए। समय-समय पर काउंसलिंग सेशन, वर्कलोड मैनेजमेंट और इंसानियत भरे नेतृत्व से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।
परिवार की पीड़ा
राजीव शर्मा के परिवार में पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं। पत्नी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राजीव पिछले कई महीनों से घर में परेशान रहते थे। वे अक्सर बैंक के काम को लेकर चिंतित दिखाई देते थे और कहा करते थे कि “यह नौकरी अब जीने नहीं दे रही।”
निष्कर्ष
राजीव की आत्महत्या केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि एक बड़ी प्रणालीगत समस्या की चेतावनी है। बैंकिंग सेक्टर में काम के दबाव, अनिश्चितता और मानसिक थकान को नजरअंदाज करना अब संभव नहीं है। यह समय है जब बैंक प्रबंधन को अपने कर्मचारियों की मानसिक स्थिति को लेकर संवेदनशील और जवाबदेह बनना होगा। ऐसी घटनाएं तभी रुक सकती हैं जब संस्थान अपने कर्मचारियों को केवल लक्ष्य का साधन नहीं, बल्कि एक मानव के रूप में देखना शुरू करें।
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