उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में कोल्ड ड्रिंक पीने से चार बच्चों की तबीयत खराब हो गई। चारों को एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। यहां इलाज के दौरान एक बच्ची की मौत हो गई।
उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे से एक चौंकाने वाली और दर्दनाक खबर सामने आई है, जिसने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। कोल्ड ड्रिंक पीने के कुछ घंटों के भीतर एक ही परिवार के चार बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो गए, जिनमें से एक मासूम की मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में कोल्ड ड्रिंक को जहरीला या एक्सपायर्ड होने की आशंका जताई जा रही है। पुलिस और खाद्य सुरक्षा विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

घटना का विवरण
यह घटना उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद थाना क्षेत्र की बताई जा रही है। यहां एक गरीब परिवार के चार बच्चे—8 वर्षीय सोनू, 6 वर्षीय रीना, 10 वर्षीय अली और 12 वर्षीय रफीक—ने घर के पास स्थित एक दुकान से कोल्ड ड्रिंक की बोतल खरीदी और उसे पी लिया।
बताया जा रहा है कि कोल्ड ड्रिंक पीने के करीब एक घंटे के भीतर ही सभी बच्चों को पेट दर्द, उल्टी और चक्कर आने लगे। परिजन ने तत्काल उन्हें नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने एक बच्चे को मृत घोषित कर दिया, जबकि तीन अन्य की हालत गंभीर बताई जा रही है।
अस्पताल में अफरा-तफरी
जब चारों बच्चों को अस्पताल लाया गया, तब वहां हड़कंप मच गया। मृतक बच्चा अली (10) था, जिसकी मौके पर ही मौत हो चुकी थी। रीना, रफीक और सोनू को जिला अस्पताल रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों की एक विशेष टीम उनकी देखरेख कर रही है।
डॉक्टरों के मुताबिक बच्चों के शरीर में विषैले पदार्थ के लक्षण पाए गए हैं। प्रथम दृष्टया यह मामला फूड पॉइजनिंग या किसी जहरीले रसायन के सेवन का प्रतीत हो रहा है। उन्होंने बताया कि बच्चों को उल्टी और दस्त के साथ-साथ सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी, जो किसी केमिकल युक्त पदार्थ के सेवन के संकेत हो सकते हैं।
कोल्ड ड्रिंक बोतल जब्त, दुकान सील
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन, पुलिस और खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई। उस दुकान को सील कर दिया गया है जहां से कोल्ड ड्रिंक खरीदी गई थी। कोल्ड ड्रिंक की बोतल और उसमें बचा हुआ तरल पदार्थ को जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है।
दुकानदार से पूछताछ की जा रही है। उसने बताया कि यह बोतल उसे एक स्थानीय सप्लायर से मिली थी और वह इसे कई बार बेच चुका है, लेकिन पहले कभी कोई शिकायत नहीं आई।
परिजनों का आरोप और रोष
मृतक अली के पिता ने प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि यदि समय रहते सटीक इलाज मिलता या प्रशासन पहले ही ऐसी दुकानों पर निगरानी करता, तो उनका बेटा आज जिंदा होता।
स्थानीय लोगों में भी इस घटना को लेकर काफी रोष है। उनका कहना है कि गांव-देहात में बिकने वाले खाने-पीने के सामान की गुणवत्ता पर कोई निगरानी नहीं होती। अक्सर एक्सपायर्ड या नकली प्रोडक्ट खुलेआम बेचे जाते हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
शाहजहांपुर के डीएम ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और जिन कंपनियों या वितरकों से यह जहरीला उत्पाद आया है, उनकी भी जिम्मेदारी तय होगी।
खाद्य सुरक्षा विभाग ने जिलेभर के दुकानों पर छापेमारी अभियान शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने जनता से भी अपील की है कि खाने-पीने की वस्तुएं खरीदते समय उनकी पैकिंग, एक्सपायरी डेट और ब्रांड को जरूर चेक करें।
निष्कर्ष
यह घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे खाद्य निगरानी तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े करती है। गांवों और कस्बों में बिकने वाले खाद्य और पेय पदार्थों की गुणवत्ता की जांच अक्सर उपेक्षित रहती है। इस हृदयविदारक हादसे ने यह साफ कर दिया है कि अब समय आ गया है जब खाद्य सुरक्षा को लेकर कड़े और प्रभावी कदम उठाए जाएं।
सरकार और प्रशासन को न केवल दोषियों को सजा देनी चाहिए, बल्कि सिस्टम को सुधारने की दिशा में भी ठोस पहल करनी होगी, ताकि भविष्य में कोई और मासूम इस लापरवाही का शिकार न हो।