राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल !

मनसे प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका वकील घनश्याम उपाध्याय ने दायर की है।

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे एक बार फिर कानूनी विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं। इस बार मामला देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। उनके हालिया बयानों और कथित भड़काऊ भाषणों को लेकर एक जनहित याचिका (PIL) सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि राज ठाकरे ने अपने भाषणों के माध्यम से समाज में नफरत फैलाने का प्रयास किया है, जो संविधान और सामाजिक सौहार्द के खिलाफ है।

राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल !
राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल !

याचिका में क्या हैं आरोप?

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस जनहित याचिका में कहा गया है कि राज ठाकरे द्वारा दिए गए भाषण न केवल आपत्तिजनक हैं बल्कि वे सीधे तौर पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने और समुदायों के बीच तनाव पैदा करने का कार्य करते हैं।

याचिकाकर्ता का कहना है कि एक जनप्रतिनिधि और सार्वजनिक व्यक्ति होने के नाते राज ठाकरे की जिम्मेदारी बनती है कि वे संयमित भाषा का प्रयोग करें, लेकिन इसके विपरीत उन्होंने बार-बार मंच से ऐसे बयान दिए जो संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत सीमित की गई ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ की परिधि से बाहर हैं।

वीडियो क्लिप्स को बनाया गया आधार

याचिका में राज ठाकरे के कई भाषणों के वीडियो क्लिप्स को साक्ष्य के रूप में संलग्न किया गया है, जिनमें उन्होंने कथित तौर पर विशेष समुदायों को लेकर विवादास्पद बातें की हैं। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि इन बयानों की न्यायिक समीक्षा की जाए और अगर आवश्यक हो तो राज ठाकरे के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए।

याचिकाकर्ता की प्रमुख मांगें

  1. भड़काऊ भाषणों पर रोक: कोर्ट राज ठाकरे को भविष्य में किसी भी प्रकार के आपत्तिजनक या भड़काऊ भाषण देने से रोके।
  2. एफआईआर का आदेश: संबंधित राज्य सरकार को निर्देश दे कि वह राज ठाकरे के खिलाफ FIR दर्ज कर उचित जांच करे।
  3. सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की अपील: कोर्ट यह सुनिश्चित करे कि किसी भी राजनेता द्वारा दिए गए भाषण समाज में शांति भंग न करें।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और राज ठाकरे को नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि वह इस मामले को गंभीरता से ले रहा है, क्योंकि यह “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” और “सार्वजनिक व्यवस्था” के बीच संतुलन का मुद्दा है।

महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल

इस याचिका के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई हलचल देखने को मिली है। शिवसेना (ठाकरे गुट), कांग्रेस और NCP ने इस याचिका का स्वागत किया है और कहा है कि किसी भी नेता को समाज में नफरत फैलाने की छूट नहीं मिलनी चाहिए। वहीं भाजपा और मनसे ने इसे एक राजनीतिक साजिश बताया है।

मनसे प्रवक्ता ने कहा, “राज ठाकरे ने जो कुछ भी कहा, वह राष्ट्रहित में था। उन्हें बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। उनका इरादा किसी समुदाय को अपमानित करने का नहीं था।”

सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया

कई सामाजिक संगठनों और नागरिक अधिकार समूहों ने इस याचिका का समर्थन किया है। उनका मानना है कि समय आ गया है जब नेताओं की जुबान पर कानूनी लगाम लगे, खासकर तब जब उनके बयान समाज में बंटवारे की भावना को जन्म देते हैं।

निष्कर्ष

राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका न केवल उनकी राजनीतिक छवि पर प्रभाव डाल सकती है, बल्कि यह पूरे देश में इस बहस को भी जन्म देती है कि सार्वजनिक जीवन में भाषण की सीमाएं क्या हों?

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आने वाले दिनों में क्या निर्णय लेता है, यह देखना अहम होगा। यदि कोर्ट राज ठाकरे के खिलाफ कार्रवाई का आदेश देता है, तो यह देश के राजनीतिक और कानूनी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है। वहीं, यह मामला नेताओं को उनके शब्दों की जिम्मेदारी का एहसास कराने वाला एक कानूनी संकेत भी हो सकता है।

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