पीएम मोदी यूनाइटेड किंगडम और मालदीव के दौरे पर जाने वाले हैं। सबसे पहले पीएम मोदी 23 जुलाई को यूके की यात्रा पर रवाना होंगे। इसके बाद वह यहां से 25 जुलाई को मालदीव भी रवाना होंगे।
भारत की वैश्विक कूटनीति को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही यूनाइटेड किंगडम (यूके) और मालदीव के आधिकारिक दौरे पर रवाना होंगे। यह दौरा न केवल भारत के रणनीतिक और आर्थिक हितों को मजबूती देने वाला है, बल्कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की विदेश नीति की प्राथमिकताओं को भी रेखांकित करेगा। सूत्रों के मुताबिक, इस द्विपक्षीय यात्रा के दौरान रक्षा, निवेश, जलवायु, इंडो-पैसिफिक रणनीति और भारतीय प्रवासी मामलों जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी।

ब्रिटेन दौरा: ऐतिहासिक रिश्तों को नई दिशा
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रिशि सुनक के आमंत्रण पर पीएम मोदी की यह यात्रा विशेष महत्व रखती है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से स्वतंत्र व्यापार समझौते (Free Trade Agreement – FTA) को अंतिम रूप देने पर बातचीत चल रही है। इस दौरे के दौरान FTA पर एक निर्णायक प्रगति की उम्मीद की जा रही है।
संभावित चर्चा के मुद्दे:
- FTA समझौता: यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार को आसान और लाभकारी बनाएगा। भारत को टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, फार्मा जैसे क्षेत्रों में लाभ की उम्मीद है, वहीं ब्रिटेन शिक्षा, बीमा और सेवा क्षेत्र में अपने हित सुरक्षित करना चाहता है।
- रक्षा सहयोग: ब्रिटिश रक्षा उद्योग और भारत के रक्षा उत्पादन में साझेदारी को गहराने पर बल दिया जाएगा। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी को लेकर सामरिक सहयोग अहम रहेगा।
- प्रवासी भारतीय मुद्दे: ब्रिटेन में रह रहे भारतीय छात्रों और पेशेवरों से जुड़े वीज़ा नियमों पर भी बात हो सकती है। भारत चाहता है कि कुशल पेशेवरों को ज्यादा अवसर मिलें।
पीएम मोदी का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और यूके दोनों ही वैश्विक मंचों पर साझेदारी को एक नए स्तर पर ले जाने के प्रयास में जुटे हैं। दोनों देश जी20, कॉमनवेल्थ और क्लाइमेट एक्शन जैसे साझा मुद्दों पर लगातार संपर्क में हैं।
मालदीव दौरा: सामरिक संतुलन और समुद्री साझेदारी
मालदीव भारत का पारंपरिक सामरिक साझेदार रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में चीन की इस क्षेत्र में बढ़ती सक्रियता ने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। पीएम मोदी का मालदीव दौरा इस संदर्भ में बेहद रणनीतिक माना जा रहा है।
प्रमुख एजेंडा बिंदु:
- सुरक्षा सहयोग: भारत मालदीव को तटरक्षक जहाज़, हेलिकॉप्टर और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं पहले से ही प्रदान करता रहा है। इस सहयोग को और व्यापक रूप देने की योजना है।
- इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास: भारत ने मालदीव में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनमें पुल निर्माण, अस्पताल, जल संयंत्र और सड़कें शामिल हैं। इस दौरे में कुछ नई परियोजनाओं का उद्घाटन और समझौते संभावित हैं।
- चीन की मौजूदगी पर चर्चा: मालदीव में हाल ही में हुए राजनीतिक परिवर्तन के बाद भारत को अपने प्रभाव को फिर से मज़बूत करने की आवश्यकता है। यह दौरा उस दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
राजनीतिक और कूटनीतिक संदेश
पीएम मोदी की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत वैश्विक मंचों पर अधिक सक्रिय भूमिका निभा रहा है। हालिया जी20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता, क्वाड, ब्रिक्स और SCO में भारत की भूमिका ने उसकी विदेश नीति को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया है। यूके और मालदीव जैसे देशों के साथ संबंधों को मज़बूत कर भारत अपनी Act East और Neighbourhood First नीति को भी आगे बढ़ा रहा है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यूके और मालदीव दौरा केवल औपचारिक राजनयिक दौरा नहीं, बल्कि भारत की सक्रिय, आत्मविश्वासी और रणनीतिक विदेश नीति का प्रत्यक्ष उदाहरण है। यह यात्रा भारत को आर्थिक, सामरिक और कूटनीतिक दृष्टि से वैश्विक मंच पर और अधिक मजबूती दिलाने में सहायक साबित हो सकती है। सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि इन दौरों से भारत को किस हद तक लाभ मिलेगा और यह द्विपक्षीय संबंधों को कितनी मजबूती देगा।