राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सरकार से तीखे सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि एलजी ने माना कि इंटेलिजेंस फेल्योर है। हमको मालूमात तो दी जानी चाहिए।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर संसद के मानसून सत्र में विपक्ष का स्वर तेज हो गया है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया और सरकार की आतंकवाद के खिलाफ नीति पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के आतंकवादी न तो पकड़े गए हैं, न ही उनका कोई सुराग मिला है, जिससे यह साफ है कि सरकार सुरक्षा नीति पर विफल रही है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में कहा, “जब बार-बार आतंकी हमले हो रहे हैं, तो सरकार क्या कर रही है? पहलगाम में जवानों की शहादत के बाद भी अभी तक कोई आतंकी न पकड़ा गया, न मारा गया। आखिर खुफिया तंत्र और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर सवाल क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं?”
खरगे ने इस दौरान सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह केवल चुनावी भाषणों और राष्ट्रवाद के नारों में व्यस्त है, जबकि जमीनी हकीकत ये है कि हमारे जवान लगातार शहीद हो रहे हैं और आम नागरिक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब देश की सुरक्षा ही खतरे में है, तो सरकार का आत्ममुग्ध रवैया बेहद खतरनाक है।
उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि पहलगाम हमले के बाद अब तक क्या-क्या कार्रवाई की गई है, कितने लोगों से पूछताछ हुई है, और जांच की स्थिति क्या है। उन्होंने कहा कि अगर आतंकवादी अभी तक खुले घूम रहे हैं, तो यह हमारे सुरक्षा ढांचे की बड़ी विफलता है।
खरगे ने सवाल उठाया कि जब केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद स्थिति सामान्य होने का दावा करती है, तो फिर इस तरह के हमले कैसे हो रहे हैं? उन्होंने कहा, “सरकार ने दावा किया था कि अनुच्छेद 370 हटने से आतंकवाद खत्म होगा, लेकिन हकीकत यह है कि घाटी में आतंकी हमलों की संख्या में कोई विशेष कमी नहीं आई है।”
राज्यसभा में उनके बयान के बाद सत्ता पक्ष की ओर से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जवाब दिया और कहा कि सरकार इस हमले को बहुत गंभीरता से ले रही है। उन्होंने कहा, “हमारे सुरक्षा बल लगातार ऑपरेशनों में जुटे हैं और जल्द ही दोषियों को पकड़ लिया जाएगा। सरकार किसी भी कीमत पर आतंकियों को बख्शने वाली नहीं है।”
नित्यानंद राय ने विपक्ष पर भी निशाना साधते हुए कहा कि आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर भी राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार और सुरक्षाबल लगातार सतर्क हैं और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
इस मुद्दे पर अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने भी खरगे का समर्थन किया। डीएमके, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसदों ने भी हमले की निंदा की और सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि देश की जनता को भरोसा चाहिए कि उनकी सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पहलगाम हमला और इस पर संसद में उठे सवाल आने वाले दिनों में सरकार के लिए चुनौती बन सकते हैं। विशेष रूप से तब, जब विपक्ष इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सरकार को घेरने का बड़ा मुद्दा बना सकता है।
अब देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या ठोस कदम उठाती है और कब तक पहलगाम हमले के दोषियों को पकड़ने में सफलता मिलती है। संसद के मंच से उठे ये सवाल न केवल सरकार की जवाबदेही तय करते हैं, बल्कि देश के सुरक्षा ढांचे पर भी गहन मंथन की आवश्यकता दर्शाते हैं।
“ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए सरकार तैयार”

मल्लिकार्जुन खरगे की मांग पर नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा नहीं चाहती है। सरकार इस पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि हमने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में समय आवंटित करने के लिए प्रस्ताव रखा है।
हम पूरी तरह से हर बिंदु पर चर्चा के लिए तैयार हैं। ऑपरेशन सिंदूर के आठ दिनों में जो हुआ, वह आजादी के बाद देश में कभी किसी ऑपरेशन के दौरान नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि वह इतिहास में नहीं जाना चाहते। इस बीच, हंगामा तेज हो गया जिसके बाद सभापति ने 11 बज कर 46 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर बारह बजे तक स्थगित कर दी।
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