आरजेडी सुप्रीम लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत कुल 14 लोगों के खिलाफ 5 अगस्त को कोर्ट फैसला सुनाएगी। आईआरसीटीसी घोटाला मामले में इन सभी लोगों को सीबीआई ने आरोपी बनाया है।
बहुचर्चित आईआरसीटीसी (IRCTC) घोटाला मामले में 5 अगस्त 2025 को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट अपना फैसला सुनाने जा रही है। इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी रबरी देवी, और बेटे तेजस्वी यादव सहित कुल 14 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं। यह मामला 2004 से 2009 के बीच उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे।

क्या है IRCTC घोटाला मामला?
यह घोटाला भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC) से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए लालू यादव ने रेलवे की दो होटलों — रांची और पुरी स्थित बीएनआर होटल — को निजी कंपनियों को अवैध तरीके से पट्टे पर दिया। यह ठेका एक ऐसी कंपनी को दिया गया जो कथित रूप से लालू यादव के परिवार के करीबी थी।
इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने वर्ष 2017 में प्राथमिकी दर्ज की थी और बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। जांच एजेंसियों का दावा है कि इस सौदे में भ्रष्टाचार और बेनामी संपत्तियों के लेन-देन हुए।
आरोप किस-किस पर?
इस मामले में सीबीआई ने जिन 14 लोगों को आरोपी बनाया है, उनमें प्रमुख नाम हैं:
- लालू प्रसाद यादव (पूर्व रेल मंत्री)
- राबड़ी देवी (पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार)
- तेजस्वी यादव (वर्तमान उपमुख्यमंत्री, बिहार)
- पीके गोयल (पूर्व IRCTC निदेशक)
- सारला गुप्ता (बिजनेसमैन प्रेम चंद्र गुप्ता की पत्नी)
- विजय और विनय कोचर (चैन होटल्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े)
इसके अलावा कुछ कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है, जिन पर अवैध लाभ लेने का आरोप है।
अदालत की कार्यवाही और अब तक की प्रगति
विशेष सीबीआई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई पिछले कई वर्षों से चल रही है। अदालत ने सबूतों के आधार पर आरोपियों को समन भेजा और कई बार उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया। हालांकि लालू यादव की स्वास्थ्य स्थितियों के कारण वे कई बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए।
अदालत में सीबीआई ने तर्क दिया कि लालू यादव ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए होटलों का ठेका ऐसे लोगों को दिया जिनके साथ पारिवारिक लेन-देन थे। बदले में उनके परिवार को लाभ मिला, जो मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में आता है।
तेजस्वी यादव का क्या कहना है?
तेजस्वी यादव ने हमेशा इस मामले को राजनीतिक षड्यंत्र बताया है। उनका कहना है कि भाजपा शासित केंद्र सरकार उन्हें और उनके परिवार को झूठे मामलों में फंसा रही है ताकि राजनीतिक नुकसान पहुंचाया जा सके। उन्होंने बार-बार कहा है कि कोई भी अवैध लाभ नहीं लिया गया और सभी प्रक्रियाएं नियमों के तहत पूरी की गई थीं।
सीबीआई और ईडी की भूमिका
सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसियां इस मामले में गहन जांच कर चुकी हैं। सीबीआई ने दस्तावेजी सबूतों और गवाहों के आधार पर चार्जशीट दायर की थी, वहीं ईडी ने इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग ऐंगल से देखा और संपत्तियां जब्त करने की प्रक्रिया भी शुरू की।
अब सभी की नजरें 5 अगस्त पर
अब जबकि अदालत ने अंतिम बहसें सुन ली हैं और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है, तो 5 अगस्त को फैसला सुनाया जाएगा। यह दिन लालू यादव परिवार और देश की राजनीति के लिए अहम हो सकता है। अगर दोष सिद्ध होता है तो यह लालू परिवार के लिए बड़ा झटका हो सकता है, वहीं अगर आरोप खारिज होते हैं तो उन्हें एक बड़ी राहत मिल सकती है।
निष्कर्ष
IRCTC घोटाला मामला केवल एक भ्रष्टाचार प्रकरण नहीं, बल्कि यह राजनीतिक गलियारों में शक्ति और प्रक्रिया के दुरुपयोग की गंभीर बहस को जन्म देता है। 5 अगस्त को आने वाला कोर्ट का फैसला, केवल आरोपियों की किस्मत तय नहीं करेगा, बल्कि यह देश की राजनीतिक नैतिकता की दिशा भी तय कर सकता है।