दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र में पेश होगा स्कूल फीस विधेयक, CM ने की बड़ी घोषणा !

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों में फीस वृद्धि को कंट्रोल करने के लिए आगामी मानसून सत्र में दिल्ली सरकार एक विधेयक पेश करेगी।

दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और अभिभावक हितैषी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जाने वाला है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की है कि आगामी मानसून सत्र में दिल्ली सरकार निजी स्कूल फीस नियंत्रण विधेयक पेश करेगी। यह विधेयक निजी स्कूलों में मनमानी फीस वृद्धि को रोकने, अभिभावकों को राहत देने और शिक्षा को सुलभ बनाने के उद्देश्य से लाया जाएगा।

दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र में पेश होगा स्कूल फीस विधेयक, CM ने की बड़ी घोषणा !
दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र में पेश होगा स्कूल फीस विधेयक, CM ने की बड़ी घोषणा !

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का बयान

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा,

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का बयान


“हमारी सरकार शिक्षा को मौलिक अधिकार मानती है। परंतु कई निजी स्कूलों द्वारा हर साल बेहिसाब फीस बढ़ाकर अभिभावकों पर बोझ डाला जा रहा है। इसे रोकने और एक न्यायसंगत व्यवस्था लागू करने के लिए हम मानसून सत्र में एक सशक्त विधेयक ला रहे हैं।”

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस विधेयक के ज़रिए शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ेगी और निजी स्कूलों की जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

विधेयक की मुख्य बातें

मुख्यमंत्री के मुताबिक, प्रस्तावित स्कूल फीस विनियमन विधेयक में निम्नलिखित अहम प्रावधान शामिल होंगे:

1. फीस वृद्धि पर सरकार की मंजूरी अनिवार्य

कोई भी निजी स्कूल वर्ष में एक बार से अधिक फीस नहीं बढ़ा सकेगा। इसके लिए उन्हें शिक्षा निदेशालय से पूर्व अनुमति लेनी होगी। साथ ही फीस वृद्धि का कारण भी स्पष्ट रूप से बताया जाना अनिवार्य होगा।

2. ऑडिट और वित्तीय पारदर्शिता

हर स्कूल को अपनी सालाना आय-व्यय रिपोर्ट और फीस संरचना का विवरण सरकार के साथ साझा करना होगा। इसका ऑडिट एक मान्यता प्राप्त चार्टर्ड अकाउंटेंट से कराना आवश्यक होगा।

3. पैरेंट्स कमेटी की भागीदारी

प्रत्येक स्कूल में एक अभिभावक प्रतिनिधि समिति (Parent Teachers Committee – PTC) गठित की जाएगी, जो फीस संबंधित निर्णयों में भाग लेगी। बिना समिति की सहमति के कोई बड़ा बदलाव संभव नहीं होगा।

4. ऑनलाइन सूचना पोर्टल

सरकार एक केंद्रीकृत पोर्टल विकसित करेगी, जिसमें सभी निजी स्कूलों की फीस संरचना, ऑडिट रिपोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होंगी।

5. कठोर दंड का प्रावधान

विधेयक में प्रावधान होगा कि नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर उनकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है।

अभिभावकों में राहत की उम्मीद

दिल्ली के लाखों अभिभावकों के लिए यह घोषणा एक बड़ी राहत के रूप में देखी जा रही है। वर्षों से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि निजी स्कूल मनमाने ढंग से एडमिशन फीस, ट्यूशन फीस, डिवेलपमेंट फीस आदि के नाम पर अभिभावकों से बड़ी रकम वसूल रहे हैं।

दिल्ली अभिभावक संघ के अध्यक्ष रवि मल्होत्रा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा,
“यह एक ऐतिहासिक कदम है। अगर सरकार इसे ईमानदारी से लागू करती है तो हजारों परिवारों की आर्थिक चिंता खत्म होगी।”

स्कूल प्रबंधन की प्रतिक्रियाएं

हालांकि, कुछ निजी स्कूल संगठनों ने इस विधेयक को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि अत्यधिक सरकारी नियंत्रण से स्कूलों की स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है। दिल्ली प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रवक्ता ने कहा,
“हम सरकार की मंशा का सम्मान करते हैं, लेकिन गुणवत्ता बनाए रखने के लिए स्कूलों को आर्थिक स्वतंत्रता की भी ज़रूरत होती है।”

सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि विधेयक तैयार करते समय सभी हितधारकों – स्कूल प्रबंधन, शिक्षकों, अभिभावकों और विशेषज्ञों – से सुझाव लिए जाएंगे।

निष्कर्ष

दिल्ली सरकार का यह प्रस्तावित स्कूल फीस विनियमन विधेयक शिक्षा व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और जनहितैषी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की यह घोषणा दर्शाती है कि सरकार अभिभावकों की चिंताओं को गंभीरता से ले रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मानसून सत्र में यह विधेयक किस रूप में पेश होता है और किस प्रकार लागू किया जाता है। यदि इसे सख्ती से अमल में लाया गया, तो यह देशभर के लिए एक मिसाल बन सकता है।

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