संसद में आज फिर हंगामा हुआ। पिछले 13 दिनों में ऑपरेशन सिंदूर को छोड़कर किसी विषय पर गंभीर चर्चा नहीं हो पाई है।
हालिया मानसून सत्र के पहले 13 दिनों में संसद की कार्यवाही जोरों पर नहीं रही। विपक्ष ने लगातार केंद्र सरकार पर दबदबा और इंतजार करने की रणनीति अपनाई, जिससे संसद बंदिशों में जकड़ी नजर आई। बीमार SIR विवाद और वोटबंदी जैसे अहम विषयों पर कोई गंभीर समीक्षा नहीं हो पाई—सिर्फ “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर संसद गर्म बनी रही..

क्या है “ऑपरेशन सिंदूर”? संसद में इसका क्या महत्व रहा?
“ऑपरेशन सिंदूर” मई 2025 में Pahalgam आतंकवादियों पर भारतीय वायुसेना की हाई‑प्रेसिजन कार्रवाई थी, जो आतंकवादी धड़कनों व संरचनाओं को निशाना बनाकर 23 मिनट में संपन्न हुई । संसद में इसे बड़े पैमाने पर चर्चा का विषय बनाया गया—लोकसभा में लगभग 16 घंटे, राज्यसभा में 9 घंटे तक बहस चली।

विपक्षी नाराजगी और सवालिया निशान
कॉंग्रेस सांसदों ने इस ऑपरेशन को केवल मीडिया एजेंडा बताया और सरकार से स्पष्ट जवाब मांगे:
- कांग्रेस MP Praniti Shinde ने पूछा, “क्या हासिल किया गया? कितने आतंकवादी पकड़े? कितने विमान खोए?”
- Mallikarjun Kharge ने किसानों की सुरक्षा, ceasefire करार की प्रक्रिया और अमेरिकी दावे पर सवाल उठाया ।
- Samajwadi Party प्रमुख Akhilesh Yadav ने दावा किया ऑपरेशन चीन के खिलाफ था, न कि पाकिस्तान को निशाना बनाने वाला—भारत‑चीन सीमा सुरक्षा पर भी सवाल उठाए गए।
सरकार का जवाब: ऑपरेशन सफल, विपक्ष पक्षपाती
- PM मोदी ने संसद में कहा कि oposição ने इस मुद्दे पर बहस की मांग की लेकिन वे खुद को असहज महसूस कर रहे हैं—उनका आंदोलन जनता विरोधी भावना दिखाता है।
- रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने कहा कि सांसदों की सवालबाजी “देशद्रोही” नहीं बल्कि राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त वीरता के खिलाफ है; उन्होंने बताया कि दोनों सदनों में चर्चा कुल 16 घंटे चली और विपक्ष “दम्भित हो गया”।
- CDS जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन के रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर प्रकाश डाला, बताया कि आधुनिक युद्ध में विजय की परिभाषा बदल गई है और Operation Sindoor इसका उदाहरण है।
SIR और वोटबंदी मुद्दे – क्यों नहीं मिले अवसर?

विगत 13 दिनों में विपक्ष ने बिहार के SIR यानी Special Intensive Revision of voter rolls मुद्दे पर चर्चा चाही। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए जरूरी बताया, जबकि BJP ने इसे “चर्चा के बाहर” बताया । विपक्ष ने Rajya Sabha अध्यक्ष Jagdeep Dhankhar के 2023 के “वोटबंदी” रूलिंग को संसद में लागू करने की मांग की, लेकिन सरकार ने procedural grounds पर इस विषय को खारिज कर दिया, जिससे कार्यवाही और अधिक बाधित हुई ।
राजनीतिक और लोकतांत्रिक निहितार्थ
- शुरुआत में ऑपरेशन सिंदूर पर सभी पार्टियों में एकजुटता थी, लेकिन अब वह माहौल टूट गया और राजनीतिक टकराव बढ़ा है, जिससे संसद जनहित से दूरी बनाने लगी ।
- विपक्ष चाहता था कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहु-विषयक चर्चाओं से प्रभावित हो, लेकिन सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सैन्य कार्यवाही को पहचान और एकतरफा रूप दी।
- संसद में कार्य समय का भारी नुकसान हुआ है—Rule violations, procedural objections और लगातार असहयोग के कारण—जिसकी वजह से संसद का समय व्यर्थ गया, लोकतांत्रिक गरिमा पर प्रश्नचिन्ह बने।
निष्कर्ष
संसद में पिछले दो सप्ताह में सिर्फ Operation Sindoor पर ध्यान केंद्रित हो सका। कांग्रेस‑क्षेत्रीय दल संवाद की बात करते रहे, लेकिन procedural मुद्दों और अध्यक्षों द्वारा बहस का बहिष्कार किये जाने से लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित हुई। स्वतंत्रता‑संवाद की जगह राष्ट्रवाद‑केंद्रित बहस ने संसद को गतिहीन बना दिया।
अगर आप किसी विशेष सांसद के बयान, SIR प्रक्रिया का विस्तार, या आगे की कार्यवाही पर अपडेट चाहते हैं—तो मुझे बताएं, मैं उस मुद्दे पर और जानकारी जुटाता हूँ।
Also Read :
“अमित शाह पर टिप्पणी मामले में राहुल गांधी को कोर्ट से मिली जमानत – जानें पूरा विवाद”