राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए एक बार फिर महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों को सामने रखते हुए वोटों की चोरी का आरोप लगाया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग (Election Commission) की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करते हुए वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों का मुद्दा उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश के कई हिस्सों में मतदाता सूची में नाम गायब हैं, फर्जी नाम जोड़े गए हैं और विपक्षी दलों के समर्थकों को योजनाबद्ध तरीके से बाहर किया जा रहा है।
राहुल गांधी की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए तैयारियां जोरों पर हैं और मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन हाल ही में हुआ है।

क्या बोले राहुल गांधी?
राहुल गांधी ने दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा:

“आज देश का आम नागरिक भी कह रहा है कि उसे वोटर लिस्ट पर भरोसा नहीं रहा। जिनके पास वोटर आईडी है, वे भी डरते हैं कि कहीं उनका नाम लिस्ट से गायब न हो जाए। ये चुनाव आयोग की गंभीर असफलता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि
“चुनाव आयोग का काम है निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना, न कि किसी एक पार्टी के पक्ष में काम करना। यदि मतदाता को ही अपने अधिकार पर भरोसा नहीं रहेगा तो लोकतंत्र की नींव ही डगमगा जाएगी।”
कांग्रेस की मांग
कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग से मांग की है कि:
- मतदाता सूची की स्वतंत्र ऑडिट करवाई जाए।
- टेक्नोलॉजी का उपयोग करके रीयल-टाइम सत्यापन की व्यवस्था हो।
- हर मतदाता को SMS या ऐप के जरिए अपने नाम की पुष्टि करने की सुविधा दी जाए।
- नाम हटाने या जोड़ने की प्रक्रिया को पारदर्शी और सार्वजनिक निगरानी के तहत लाया जाए।
कांग्रेस नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि कई जगहों पर विशेष समुदायों और वर्गों को निशाना बनाकर उनके नाम लिस्ट से हटाए गए हैं।
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को निराधार बताया है। आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया:
“हम पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और नियमों के तहत संचालित करते हैं। मतदाता सूची को त्रुटिहीन बनाने के लिए हर स्तर पर काम हो रहा है। किसी भी शिकायत की जांच प्राथमिकता से की जाती है।”
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता नामांकन और संशोधन की प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से खुली है और इसे चुनौती देने का कानूनी प्रावधान भी मौजूद है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
राहुल गांधी के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में गर्मागर्मी तेज हो गई है।
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा:
“राहुल गांधी हर बार चुनाव हारने से पहले चुनाव प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर देते हैं। यह उनकी हार की हताशा है।”
वहीं, आम आदमी पार्टी और कुछ क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस के आरोपों का समर्थन किया है। उन्होंने भी वोटर लिस्ट में अनियमितताओं की शिकायतें सामने रखीं।
जनता की चिंता
जमीनी स्तर पर देखा जाए तो कई राज्यों में मतदाता अपने नाम गायब होने या गलत विवरण से परेशान हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में कई लोगों ने सोशल मीडिया पर शिकायतें दर्ज की हैं कि उनका नाम बिना सूचना के लिस्ट से हटा दिया गया।
विशेषज्ञों की राय
चुनावी मामलों के जानकार प्रो. रजनीश मिश्रा का कहना है:
“यदि किसी बड़ी पार्टी के नेता सार्वजनिक तौर पर मतदाता सूची पर सवाल उठा रहे हैं, तो आयोग को चाहिए कि वह स्वतंत्र ऑडिट करवा कर विश्वास बहाल करे। टेक्नोलॉजी के बेहतर इस्तेमाल से इसमें सुधार लाया जा सकता है।”
निष्कर्ष
राहुल गांधी के वोटर लिस्ट पर उठाए गए सवालों ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। जबकि चुनाव आयोग अपनी भूमिका पर अडिग है, विपक्ष जनता में विश्वास बहाल करने के लिए सुधार की मांग कर रहा है। अब देखना होगा कि आने वाले चुनावों से पहले आयोग इन चिंताओं को कितनी गंभीरता से लेता है।
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