क्या बदलने वाला है गरीब रथ एक्सप्रेस का नाम? रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में दिया स्पष्ट जवाब !

गरीब रथ एक्सप्रेस का नाम बदलने को लेकर चल रही चर्चा पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल का ध्यान सभी वर्गों के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने पर केंद्रित है।

भारत की बहुचर्चित और आम जनता के बीच लोकप्रिय गरीब रथ एक्सप्रेस को लेकर पिछले कुछ दिनों से अफवाहों का बाजार गर्म था। सोशल मीडिया पर यह तेजी से फैलने लगा था कि केंद्र सरकार गरीब रथ ट्रेनों का नाम बदलने जा रही है। इन अटकलों पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में स्पष्टीकरण देते हुए स्थिति स्पष्ट की और इन अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया।

क्या बदलने वाला है गरीब रथ एक्सप्रेस का नाम? रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में दिया स्पष्ट जवाब !
क्या बदलने वाला है गरीब रथ एक्सप्रेस का नाम? रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में दिया स्पष्ट जवाब !

गरीब रथ को लेकर उठे सवाल

मानसून सत्र के दौरान विपक्ष के एक सांसद ने सवाल किया कि क्या सरकार गरीब रथ ट्रेनों का नाम बदलने जा रही है? साथ ही पूछा गया कि क्या यह बदलाव “गरीब” शब्द को हटाकर ट्रेनों की छवि बदलने के उद्देश्य से किया जा रहा है?

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा:

“गरीब रथ एक्सप्रेस देश के आम नागरिकों के लिए एक सशक्त और सुलभ यात्रा का माध्यम है। इसका नाम बदलने की कोई योजना नहीं है। यह ट्रेन आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी शुरुआत के समय थी।”

क्या बोले रेल मंत्री?

रेल मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि:

  • गरीब रथ ट्रेनों की सेवा जारी रहेगी।
  • इन ट्रेनों के किराए सस्ती दरों पर ही रखे जाएंगे।
  • नाम बदलने का न तो कोई प्रस्ताव आया है, और न ही सरकार इस दिशा में विचार कर रही है।
  • सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहें आधारहीन और भ्रामक हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि गरीब रथ ट्रेनों के संचालन को आधुनिक तकनीक से जोड़ा जा रहा है, ताकि यात्रियों को अधिक सुविधाएं मिल सकें।

गरीब रथ का इतिहास

गरीब रथ एक्सप्रेस की शुरुआत 2005 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने की थी। इसका उद्देश्य था कि लंबी दूरी की यात्रा के लिए गरीब और मध्यमवर्गीय लोग भी एसी कोच में सस्ती दरों पर सफर कर सकें।

इस योजना के तहत एसी 3-टियर कोच वाली ट्रेनों की शुरुआत हुई थी जिनमें सुविधाएं थोड़ी सीमित थीं लेकिन किराया अपेक्षाकृत कम रखा गया। समय के साथ ये ट्रेनें आम जनता में लोकप्रिय हो गईं।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

रेल मंत्री के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में भी प्रतिक्रियाएं आई हैं।
आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के नेताओं ने कहा कि गरीब रथ को लेकर उठी अफवाहें ही इस बात का संकेत थीं कि सरकार ‘गरीब’ शब्द से परहेज करती है। हालांकि रेल मंत्री के स्पष्टीकरण को उन्होंने “दबाव में लिया गया फैसला” बताया।

कांग्रेस ने कहा कि सरकार को जनता को भ्रमित करने वाली अफवाहों पर तत्काल रोक लगानी चाहिए और ऐसी अफवाहें फैलाने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए।

वहीं बीजेपी नेताओं ने रेल मंत्री की बात का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार गरीबों के लिए समर्पित है और गरीब रथ जैसी योजनाएं इस सोच का प्रतीक हैं।

यात्रियों की प्रतिक्रिया

देशभर में गरीब रथ ट्रेनों से सफर करने वाले लाखों यात्रियों ने राहत की सांस ली है। दिल्ली से पटना जाने वाले एक यात्री ने कहा:

“हमने सोशल मीडिया पर पढ़ा कि ट्रेन का नाम बदल जाएगा, किराया भी बढ़ेगा। अब जब सरकार ने साफ कहा है कि ऐसा कुछ नहीं होगा तो अच्छा लगा।”

विशेषज्ञों की राय

रेलवे मामलों के विशेषज्ञ डॉ. संजय मिश्रा का मानना है कि गरीब रथ जैसी ट्रेनों को बनाए रखना जरूरी है क्योंकि ये आम नागरिकों के लिए सुलभ और किफायती साधन हैं।

“ट्रेनों का नाम सिर्फ पहचान नहीं, बल्कि भरोसे का प्रतीक भी होता है। गरीब रथ एक ब्रांड बन चुका है। इसका नाम बदलना राजनीतिक और सामाजिक रूप से जोखिम भरा कदम होता।”

निष्कर्ष

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के संसद में दिए गए स्पष्टीकरण से यह स्पष्ट हो गया है कि गरीब रथ एक्सप्रेस का नाम नहीं बदला जाएगा और उसकी सेवाएं पहले की तरह जारी रहेंगी। अफवाहों से उपजे भ्रम को दूर करने के लिए यह बयान बेहद जरूरी था। अब जरूरत है कि सरकार और रेलवे अफवाहों पर नियंत्रण रखते हुए जनता को भरोसे में लें और इस प्रतिष्ठित ट्रेन सेवा को और बेहतर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएं।

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