“आधार, पैन या वोटर आईडी से नहीं साबित होती नागरिकता – बॉम्बे हाईकोर्ट”

बॉम्बे हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर किसी के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर आईडी है, तो इसका मतलब ये नहीं की वह भारतीय नागरिक है। ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब बिहार में SIR के मद्देनजर भी इन दस्तावेजों की वैधता पर बहस हो रही है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर आईडी कार्ड होना भारतीय नागरिकता का प्रमाण नहीं है। अदालत का यह बयान एक मामले की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें याचिकाकर्ता ने इन दस्तावेजों के आधार पर अपनी नागरिकता साबित करने का दावा किया था।

मामले की पृष्ठभूमि


यह मामला महाराष्ट्र के एक व्यक्ति से जुड़ा है, जिसे विदेशी नागरिक (Foreign National) होने के संदेह में अधिकारियों ने नोटिस जारी किया था। उसने अदालत में याचिका दायर कर कहा कि उसके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड और वोटर आईडी जैसे सभी पहचान पत्र मौजूद हैं, इसलिए वह भारतीय नागरिक है। इसके समर्थन में उसने इन दस्तावेजों की प्रतियां भी पेश कीं।

हाईकोर्ट की टिप्पणी


मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि इन पहचान पत्रों का उद्देश्य व्यक्ति की पहचान और सेवाओं का लाभ देना है, न कि नागरिकता प्रमाणित करना। अदालत ने कहा,
“आधार, पैन और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज किसी व्यक्ति की पहचान के लिए तो मान्य हैं, लेकिन वे अपने आप में नागरिकता साबित नहीं करते। नागरिकता के लिए अलग कानूनी प्रक्रिया और दस्तावेज आवश्यक होते हैं।”

कानूनी आधार


अदालत ने भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 का हवाला देते हुए कहा कि नागरिकता जन्म, वंश, पंजीकरण, प्राकृतिककरण या क्षेत्र के विलय के माध्यम से प्राप्त होती है। इन सभी के लिए संबंधित कानून में निर्धारित प्रमाण और दस्तावेज होते हैं। आधार या पैन कार्ड इन प्रक्रियाओं का हिस्सा नहीं हैं।

सरकार का पक्ष


सरकारी वकील ने भी अदालत में कहा कि आधार कार्ड भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा केवल पहचान के लिए जारी किया जाता है और इसके लिए व्यक्ति का भारत में निवास होना पर्याप्त है, नागरिक होना जरूरी नहीं। इसी तरह पैन कार्ड आयकर विभाग द्वारा कर संबंधी उद्देश्यों के लिए जारी किया जाता है, जबकि वोटर आईडी का मुख्य उद्देश्य चुनाव में मतदान करना है, लेकिन यह भी नागरिकता का अचूक सबूत नहीं है।

अदालत का निर्णय


हाईकोर्ट ने कहा कि नागरिकता साबित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र, नागरिकता प्रमाण पत्र, पासपोर्ट या अन्य वैध सरकारी दस्तावेज की जरूरत होती है, जो सीधे तौर पर व्यक्ति के नागरिक होने की पुष्टि करते हों। अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह अपने नागरिक होने के अन्य ठोस सबूत पेश करे, ताकि मामले की सही जांच हो सके।

महत्व और असर


यह फैसला खास तौर पर उन मामलों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां लोग केवल आधार या वोटर आईडी के आधार पर नागरिकता का दावा करते हैं। अदालत की यह टिप्पणी साफ करती है कि इन दस्तावेजों का उद्देश्य अलग है और नागरिकता के लिए इन पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहा जा सकता। यह निर्णय भविष्य में नागरिकता से जुड़े विवादों में एक नजीर के रूप में इस्तेमाल हो सकता है।

विशेषज्ञों की राय


कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह टिप्पणी नागरिकता कानून की स्पष्ट व्याख्या करती है। वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि अक्सर लोग आधार कार्ड और पैन कार्ड को नागरिकता का प्रमाण मान लेते हैं, लेकिन कानून में दोनों की परिभाषा और उद्देश्य अलग हैं।

निष्कर्ष


बॉम्बे हाईकोर्ट की यह टिप्पणी नागरिकता और पहचान पत्रों के बीच अंतर को स्पष्ट करती है। अदालत ने यह भी दोहराया कि भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए वैधानिक प्रक्रिया और उचित दस्तावेज जरूरी हैं। यह फैसला न केवल मौजूदा मामले में अहम है, बल्कि आने वाले समय में नागरिकता से जुड़े कानूनी विवादों में भी एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में देखा जाएगा।

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