सारे जहां से अच्छा सच्ची घटनाओं से प्रेरित एक काल्पनिक कहानी है; इसलिए, यह सिनेमाई स्वतंत्रता का पूरा उपयोग करती है।
वेब सीरीज की दुनिया में हर हफ्ते नए-नए प्रोजेक्ट आते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जिनका बेसब्री से इंतजार किया जाता है। ‘सारे जहां से अच्छा’ भी ऐसी ही एक सीरीज है, जिसका ट्रेलर रिलीज होने के बाद दर्शकों के बीच खासा उत्साह था। देशभक्ति, सस्पेंस और थ्रिल का मेल—यही वादा इस शो ने किया था। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सीरीज वाकई उम्मीदों पर खरी उतरती है या सिर्फ प्रचार की चमक तक ही सीमित रह जाती है? आइए जानते हैं विस्तार से।

कहानी की रूपरेखा
‘सारे जहां से अच्छा’ की कहानी भारत में हो रहे एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक संकट के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें एक ऐसी साजिश को दिखाया गया है, जो न केवल देश की सुरक्षा बल्कि उसकी एकता और अखंडता को भी खतरे में डाल देती है। मुख्य किरदार (जिसे एक जाने-माने अभिनेता ने निभाया है) एक ईमानदार और जुझारू पत्रकार है, जो सच उजागर करने के मिशन पर निकलता है।
इस दौरान उसे राजनीति के गलियारों से लेकर अंतरराष्ट्रीय ताकतों तक की चालों का सामना करना पड़ता है। कहानी में कई ट्विस्ट और टर्न हैं, जो शुरुआत में रोमांच पैदा करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुछ हिस्सों में गति धीमी हो जाती है।
पटकथा और निर्देशन
निर्देशक ने कहानी को देशभक्ति के जज्बे और थ्रिलर के अंदाज में पेश करने की कोशिश की है। शुरुआती एपिसोड्स में तेज रफ्तार नैरेशन और लोकेशन की भव्यता प्रभावित करती है। लेकिन मिडल एपिसोड्स में स्क्रिप्ट कमजोर पड़ने लगती है, जहां कहानी बार-बार घूमती हुई लगती है।
संवादों में कुछ जगह दमदार पंचलाइन मिलती हैं, लेकिन कई बार डायलॉग्स सिर्फ भाषण जैसे लगते हैं, जिससे असर कम हो जाता है।
अभिनय
मुख्य अभिनेता ने अपने रोल में पूरी मेहनत की है—चाहे वह इमोशनल सीन हों या एक्शन सीक्वेंस। उनका स्क्रीन प्रेजेंस मजबूत है और वे किरदार के साथ न्याय करते हैं।
सपोर्टिंग कास्ट में भी कुछ कलाकार अपनी छाप छोड़ने में कामयाब होते हैं, खासकर खलनायक की भूमिका निभाने वाले अभिनेता, जिनकी एक्टिंग कहानी में जान डाल देती है। हालांकि, कुछ किरदारों का स्क्रीन टाइम बेहद कम है, जिससे उनकी बैकस्टोरी अधूरी लगती है।
संगीत और तकनीकी पक्ष
बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी के माहौल को बनाने में सफल रहता है, खासकर क्लाइमेक्स सीन में। सिनेमैटोग्राफी और लोकेशन सिलेक्शन काबिल-ए-तारीफ हैं—कभी दिल्ली की गलियां, तो कभी अंतरराष्ट्रीय लोकेशन कहानी को विजुअली ग्रैंड बनाते हैं।
लेकिन एडिटिंग में कसावट की जरूरत थी, क्योंकि कुछ एपिसोड्स अनावश्यक रूप से लंबे लगते हैं।
क्या देखें या छोड़ें?
‘सारे जहां से अच्छा’ में देशभक्ति का जज्बा और सस्पेंस का तड़का है, लेकिन यह पूरी तरह से बेहतरीन अनुभव देने में थोड़ी कमी छोड़ देती है। अगर आप थ्रिलर और पॉलिटिकल ड्रामा पसंद करते हैं, तो यह सीरीज एक बार देखने लायक है, लेकिन उम्मीद रखें कि यह हर मोर्चे पर परफेक्ट नहीं है।
दर्शकों को तेज-तर्रार शुरुआत के बाद थोड़ा धैर्य रखना होगा, क्योंकि बीच के एपिसोड्स धीमे हैं, लेकिन फिनाले तक आते-आते कहानी फिर पकड़ बनाती है।
अंतिम फैसला:
कहानी और स्टारकास्ट के दम पर ‘सारे जहां से अच्छा’ मनोरंजन और सोचने पर मजबूर करने का मिक्स है, लेकिन स्क्रिप्ट की कमजोरियां और धीमी रफ्तार इसकी ताकत को कुछ हद तक कम कर देती हैं।
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