जन्माष्टमी की मुख्य पूजा रात्रि में 12 बजे की जाती है। इस दौरान भक्तजन भगवान कृष्ण का अभिषेक करते हैं और सपरिवार उनकी आरती उतारते हैं। यहां हम आपको बताएंगे जन्माष्टमी की रात्रि पूजा की पूरी विधि।
हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व अत्यंत महत्व रखता है। यह दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को, रोहिणी नक्षत्र में, मथुरा की कारागार में देवकी और वसुदेव के घर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन का सबसे खास समय मध्यरात्रि का होता है, क्योंकि इसी क्षण कान्हा का अवतरण हुआ था। ऐसे में, रात 12 बजे बाल गोपाल की पूजा विशेष विधि से करने पर भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

पूजन से पहले की तैयारी
जन्माष्टमी पर रात के पूजन के लिए दिन भर का उपवास रखना शुभ माना जाता है। भक्त सुबह स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र पहनते हैं और घर के मंदिर को अच्छे से सजाते हैं। भगवान कृष्ण के लिए झूला, पालना, फूल, कपड़े, माखन-मिश्री, पान, तुलसीदल, पंचामृत, और विभिन्न प्रकार के फल तैयार किए जाते हैं। इस दिन मकान को आम के पत्तों और रंग-बिरंगी झालरों से सजाना भी परंपरा का हिस्सा है।
रात 12 बजे पूजन विधि
- स्नान और वस्त्र – रात 12 बजे भगवान को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल) से स्नान कराएं। फिर साफ कपड़े और आभूषण पहनाएं।
- झूला सजाना – एक छोटे झूले में बाल गोपाल की मूर्ति या प्रतिमा को बैठाएं, झूले को फूलों से सजाएं।
- मंत्र उच्चारण – “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- भोग अर्पण – माखन-मिश्री, पंजीरी, फल, मेवे, पंचामृत और तुलसीदल का भोग लगाएं।
- आरती – धूप, दीप और कपूर से भगवान की आरती करें। इस समय शंखनाद और घंटी बजाना शुभ होता है।
- झूलाना – भगवान को झूला झुलाएं और जन्म की बधाई में “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” जैसे भजन गाएं।
आध्यात्मिक महत्व

जन्माष्टमी का पर्व केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह भक्ति, प्रेम और त्याग का संदेश भी देता है। श्रीकृष्ण का जीवन कर्म, धर्म और नीति का अद्वितीय संगम है। रात 12 बजे का पूजन उनके अवतरण क्षण की स्मृति को ताजा करता है और भक्त को उनकी कृपा का अनुभव कराता है।
कुछ विशेष सावधानियां
- पूजन के समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
- भोग में लहसुन-प्याज का प्रयोग न करें।
- भगवान को तुलसीदल अवश्य चढ़ाएं, क्योंकि बिना तुलसी के भोग अधूरा माना जाता है।
- आरती के बाद ही प्रसाद ग्रहण करें और उपवास खोलें।
निष्कर्ष
जन्माष्टमी की रात 12 बजे बाल गोपाल की पूजा करना भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाता है। इस अवसर पर घर-घर में भजन-कीर्तन, मटकी फोड़ कार्यक्रम और श्रीकृष्ण लीला का आयोजन भी होता है। सही विधि से पूजा करने पर भगवान कृष्ण की कृपा से जीवन के दुख दूर होते हैं और परिवार में खुशियां बनी रहती हैं।
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