“वोटर लिस्ट विवाद पर EC का पलटवार,विपक्ष ने सही समय पर उठाया होता मुद्दा तो मिल जाता समा…. !

चुनाव आयोग ने विपक्ष के वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोपों पर जवाब दिया कि सही समय पर आपत्तियां उठाई जातीं तो गलतियां सुधारी जा सकती थीं। आयोग ने प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर देते हुए सभी राजनीतिक दलों और मतदाताओं से समय रहते जांच और सुझाव देने की अपील की।

विपक्षी दलों द्वारा हाल ही में मतदाता सूची में गड़बड़ियों को लेकर उठाए गए सवालों पर चुनाव आयोग (EC) ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने स्पष्ट कहा है कि मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और इसमें सभी राजनीतिक दलों तथा नागरिकों की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। आयोग ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि यदि समय पर आपत्तियां दर्ज कराई जातीं तो गलतियों को आसानी से सुधारा जा सकता था।

"वोटर लिस्ट विवाद पर EC का पलटवार,विपक्ष ने सही समय पर उठाया होता मुद्दा तो मिल जाता समा.... !
“वोटर लिस्ट विवाद पर EC का पलटवार,विपक्ष ने सही समय पर उठाया होता मुद्दा तो मिल जाता समा…. !

आयोग का तर्क

चुनाव आयोग ने बताया कि मतदाता सूची (Electoral Roll) को अंतिम रूप देने से पहले कई चरणों में उसका ड्राफ्ट प्रकाशित किया जाता है। इस दौरान हर नागरिक और राजनीतिक दल को मौका दिया जाता है कि वे उसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी, नामों की दोहरी प्रविष्टि, मृत मतदाताओं के नाम या पते की त्रुटियों जैसी समस्याओं को चिन्हित करें। इसके लिए आयोग समय-समय पर विशेष अभियान चलाता है और सार्वजनिक नोटिस जारी करता है।

आयोग के अनुसार, “यदि विपक्षी दलों या किसी मतदाता को कोई आपत्ति थी तो वे ड्राफ्ट लिस्ट के दौरान शिकायत दर्ज कराते। आयोग के पास हर शिकायत पर कार्रवाई करने की स्पष्ट प्रक्रिया है। लेकिन अंतिम सूची प्रकाशित हो जाने के बाद इस तरह के आरोप लगाने का कोई ठोस आधार नहीं रह जाता।”

विपक्ष का आरोप

विपक्ष का आरोप
विपक्ष का आरोप

विपक्षी दलों का आरोप है कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हैं। कहीं एक ही नाम कई बार दर्ज है, तो कहीं मृत व्यक्तियों के नाम अब भी सूची में मौजूद हैं। इसके अलावा, कई वास्तविक मतदाताओं के नाम सूची से गायब बताए गए हैं। विपक्ष का कहना है कि यह गड़बड़ी चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करती है और सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचा सकती है।

पारदर्शिता पर जोर

चुनाव आयोग ने अपने बयान में दोहराया कि चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। आयोग ने कहा कि वोटर लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया ‘ओपन और वेरिफायबल’ होती है, जिसमें राजनीतिक दलों और आम नागरिकों को सक्रिय रूप से शामिल किया जाता है।

आयोग ने स्पष्ट किया कि ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद एक निश्चित समय तक आपत्तियां और सुझाव मांगे जाते हैं। इन पर विधिवत सुनवाई की जाती है और उचित पाए जाने पर सुधार किया जाता है। यही नहीं, तकनीकी सुविधा के रूप में अब मतदाता राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (NVSP) और मोबाइल ऐप के माध्यम से भी अपने विवरण की जांच और सुधार करा सकते हैं।

समय रहते जिम्मेदारी निभाने की अपील

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे सिर्फ आरोप लगाने तक सीमित न रहें, बल्कि समय रहते मतदाता सूची की जांच करें और अपने कार्यकर्ताओं को इसके लिए सक्रिय करें। आयोग का कहना है कि वोटर लिस्ट की गुणवत्ता तभी बेहतर हो सकती है जब इसमें हर पक्ष का सहयोग हो।

आयोग ने मतदाताओं को भी यह संदेश दिया कि वे अपने नाम और विवरण की समय रहते जांच करें और यदि कोई गलती दिखे तो तुरंत सुधार के लिए आवेदन करें। “लोकतंत्र को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी केवल आयोग की ही नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों और नागरिकों की भी है,” आयोग ने कहा।

लोकतंत्र और पारदर्शिता का सवाल

यह पहला मौका नहीं है जब वोटर लिस्ट को लेकर विवाद हुआ हो। चुनाव से पहले लगभग हर बार इस तरह के आरोप विपक्ष की ओर से लगाए जाते रहे हैं। लेकिन आयोग का कहना है कि चुनाव की निष्पक्षता पर कोई आंच नहीं आने दी जाएगी और हर शिकायत पर निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी।

निष्कर्ष

मतदाता सूची को लेकर खड़े हुए इस विवाद में जहां विपक्ष ने चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाए, वहीं चुनाव आयोग ने पलटवार करते हुए कहा कि यदि समय पर आपत्तियां उठाई जातीं तो समस्या का समाधान संभव था। आयोग ने प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर देते हुए सभी राजनीतिक दलों और मतदाताओं से अपील की है कि वे लोकतंत्र को मजबूत बनाने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं।

स्पष्ट है कि आने वाले चुनावों से पहले यह विवाद राजनीतिक माहौल को और गरमाने वाला है। हालांकि, आयोग का सख्त रुख यह संदेश देता है कि पारदर्शिता और निष्पक्षता को किसी भी कीमत पर प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।

Also Read :

“आधार, पैन या वोटर आईडी से नहीं साबित होती नागरिकता – बॉम्बे हाईकोर्ट”