दिल्ली में पीएम मोदी की अध्यक्षता में BJP संसदीय बोर्ड की बैठक हुई है। इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह भी मौजूद रहे।
दिल्ली में सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की संसदीय बोर्ड की अहम बैठक हुई। इस बैठक में आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर गहन चर्चा की गई और अंततः NDA ने अपने उम्मीदवार का नाम फाइनल कर लिया। माना जा रहा है कि यह नाम भाजपा और उसके सहयोगी दलों की रणनीति को मजबूती देने वाला है।

बैठक का एजेंडा और माहौल

भाजपा मुख्यालय में हुई इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। इसके अलावा NDA के सहयोगी दलों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। बैठक का मुख्य एजेंडा उपराष्ट्रपति पद के लिए सर्वसम्मति से उम्मीदवार का चयन करना था। सूत्रों के मुताबिक बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए, जिसकी स्वीकार्यता पूरे देश में हो और जो NDA की सर्वसमावेशी राजनीति का प्रतिनिधित्व कर सके।
नाम पर मुहर
करीब दो घंटे चली इस चर्चा के बाद NDA ने अपने उम्मीदवार का नाम फाइनल कर दिया। हालांकि आधिकारिक ऐलान प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए देर शाम किया जाएगा, लेकिन अंदरखाने से खबरें हैं कि चुना गया चेहरा न केवल राजनीतिक रूप से अनुभवी है बल्कि विभिन्न सामाजिक समूहों से भी जुड़ाव रखता है। इस निर्णय के जरिए भाजपा ने विपक्ष को कड़ा संदेश देने की कोशिश की है कि वह उपराष्ट्रपति चुनाव में भी किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती।
क्यों महत्वपूर्ण है उपराष्ट्रपति चुनाव?
भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति भी होता है। ऐसे में ऊपरी सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने और सरकार के विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने में उपराष्ट्रपति की भूमिका अहम मानी जाती है। मौजूदा राजनीतिक हालात में जहां राज्यसभा में विपक्ष मजबूत है, वहां NDA को एक ऐसा चेहरा चाहिए जो न सिर्फ गठबंधन को एकजुट रखे बल्कि सदन की कार्यवाही को भी प्रभावी तरीके से संभाल सके।
विपक्ष की तैयारियां
दूसरी ओर विपक्षी दल भी अपने उम्मीदवार को लेकर रणनीति बना रहे हैं। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राजद सहित कई दलों के बीच बातचीत चल रही है। विपक्ष की कोशिश है कि एक साझा उम्मीदवार मैदान में उतारकर NDA को कड़ी चुनौती दी जाए। हालांकि पिछले कुछ चुनावों की तरह इस बार भी विपक्ष की एकजुटता पर सवाल हैं, क्योंकि कई क्षेत्रीय दल भाजपा के साथ या तटस्थ रुख अपनाए हुए हैं।
NDA की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि NDA ने अपने उम्मीदवार का चयन करते समय जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का खास ध्यान रखा है। लोकसभा चुनाव से पहले उपराष्ट्रपति पद के लिए ऐसा चेहरा लाना भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है, जो उत्तर और दक्षिण भारत दोनों में स्वीकार्य हो। इसके अलावा महिला या अल्पसंख्यक समुदाय से उम्मीदवार चुनने की संभावना पर भी गंभीरता से विचार किया गया था। इस कदम से भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि वह सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रतिबद्ध है।
बैठक के बाद नेताओं के बयान
बैठक के बाद भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि NDA का उम्मीदवार ऐसा होगा जो संविधान की गरिमा को बनाए रखते हुए सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखेगा। गृहमंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर लिखा, “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में NDA का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है। उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार हमारे लोकतंत्र की मजबूती और जनहित के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा।”
निष्कर्ष
दिल्ली में हुई यह संसदीय बोर्ड बैठक न केवल उपराष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण रही बल्कि इससे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले NDA की रणनीति का भी अंदाजा मिला। अब सबकी निगाहें आधिकारिक ऐलान पर टिकी हैं, जो जल्द ही किया जाएगा। वहीं विपक्ष भी अपनी रणनीति तेज कर रहा है। उपराष्ट्रपति चुनाव का यह मुकाबला एक बार फिर भारतीय राजनीति में सत्ता और विपक्ष के बीच संतुलन की कसौटी साबित होने वाला है।
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