दिल्ली CM के पति की बैठक में मौजूदगी पर AAP का सवाल, BJP का पलटवार !

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के पति एक सरकारी बैठक में उनके साथ बैठे हुए दिखाई दिए। इसे लेकर बवाल मचा तो बीजेपी ने कहा कि बैठक सिर्फ अधिकारियों के लिए नहीं थी। कुछ निवासी भी वहां बैठे थे।

दिल्ली की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। राजधानी में रविवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की एक आधिकारिक बैठक के दौरान उनका पति मनीष गुप्ता भी बगल में बैठे नजर आए। मनीष गुप्ता पेशे से व्यापारी और समाजसेवी हैं, लेकिन किसी भी आधिकारिक पद पर नहीं हैं। उनकी मौजूदगी ने विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (AAP) को सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तुरंत मोर्चा संभालते हुए AAP को जवाब दिया।

दिल्ली CM के पति की बैठक में मौजूदगी पर AAP का सवाल, BJP का पलटवार !
दिल्ली CM के पति की बैठक में मौजूदगी पर AAP का सवाल, BJP का पलटवार !

AAP का निशाना: ‘फुलेरा मॉडल दिल्ली में?’

AAP का निशाना: ‘फुलेरा मॉडल दिल्ली में?’
AAP का निशाना: ‘फुलेरा मॉडल दिल्ली में?’

AAP नेता और दिल्ली प्रभारी सौरभ भारद्वाज ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में केवल निर्वाचित प्रतिनिधियों और नियुक्त अधिकारियों को ही सरकारी बैठकों में शामिल होने का अधिकार है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “यह दृश्य हमें वेब सीरीज ‘पंचायत’ के काल्पनिक गांव फुलेरा की याद दिलाता है, जहां एक महिला नेता का पति ही असल में फैसले लेता है। क्या दिल्ली अब ‘फुलेरा मॉडल’ पर चल रही है?”

भारद्वाज ने आगे कहा कि यदि मुख्यमंत्री के पति बिना किसी संवैधानिक जिम्मेदारी के बैठकों में हिस्सा लेंगे और नीतिगत चर्चाओं में शामिल होंगे, तो यह लोकतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि मनीष गुप्ता किस अधिकार से बैठक में मौजूद थे।

BJP का जवाब: ‘निजी हमले बंद करें’

AAP के आरोपों पर बीजेपी ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। पार्टी प्रवक्ता हरीश खन्ना ने कहा कि आम आदमी पार्टी के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है और वह केवल बेवजह विवाद खड़ा करना चाहती है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री का परिवार अगर किसी सार्वजनिक कार्यक्रम या बैठक में शामिल हो जाए, तो इसमें कुछ गलत नहीं है। मनीष गुप्ता न तो कोई फैसला ले रहे थे, न ही किसी आधिकारिक प्रक्रिया में दखल दे रहे थे। विपक्ष को बिना वजह राजनीति करने की आदत पड़ गई है।”

बीजेपी नेताओं ने यह भी कहा कि AAP जनता के असली मुद्दों – शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं – से ध्यान हटाने के लिए ऐसे बयानबाजी कर रही है।

सोशल मीडिया पर चर्चा तेज

जैसे ही यह मामला मीडिया में आया, सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई। ट्विटर और फेसबुक पर कई यूजर्स ने AAP के आरोप का समर्थन करते हुए कहा कि किसी भी जनप्रतिनिधि के परिवार को आधिकारिक बैठकों में शामिल नहीं होना चाहिए। वहीं, कुछ लोगों ने BJP का पक्ष लेते हुए लिखा कि यदि किसी शख्स की मौजूदगी मात्र है और वह किसी निर्णय प्रक्रिया में शामिल नहीं, तो इसे विवाद का रूप देना ठीक नहीं।

संवैधानिक और नैतिक सवाल

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद केवल राजनीतिक बयानबाजी नहीं है, बल्कि संवैधानिक मर्यादाओं से जुड़ा मुद्दा है। लोकतंत्र में सत्ता जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के हाथों में होती है। ऐसे में किसी निर्वाचित पद पर न रहने वाले व्यक्ति की सरकारी बैठकों में मौजूदगी सवाल खड़े करती है। भले ही वह व्यक्ति मुख्यमंत्री का जीवनसाथी ही क्यों न हो।

साथ ही, यह भी तर्क दिया जा रहा है कि कई बार राजनीतिक परिवारों के सदस्य अनौपचारिक रूप से कामकाज में प्रभाव डालते हैं, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर असर पड़ता है।

निष्कर्ष

दिल्ली की राजनीति में उठा यह नया विवाद आने वाले दिनों में और भी गहरा सकता है। एक ओर AAP इसे लोकतांत्रिक परंपराओं और संस्थागत मर्यादाओं का उल्लंघन बता रही है, तो दूसरी ओर BJP इसे बेवजह का मुद्दा करार दे रही है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता या उनके पति की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

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