संभल में सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद पर बुलडोजर कार्रवाई रोकने के लिए दायर की गई याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है जिससे मुस्लिम पक्ष को करारा झटका लगा है।
उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में लंबे समय से चल रहे मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने मस्जिद ढहाने पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया। इसके साथ ही जिला प्रशासन की प्रस्तावित बुलडोजर कार्रवाई का रास्ता लगभग साफ हो गया है। हाईकोर्ट के इस निर्णय को मुस्लिम पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

मामला क्या है?
संभल के चंदौसी क्षेत्र में स्थित एक मस्जिद पर सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे का आरोप है। प्रशासन का कहना है कि यह मस्जिद सार्वजनिक ज़मीन पर बिना अनुमति के बनाई गई थी। कई बार नोटिस देने और आपत्ति दर्ज कराने के बाद भी इसका समाधान नहीं निकला। अंततः प्रशासन ने इसे अवैध निर्माण मानते हुए ध्वस्त करने का आदेश दिया।
मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। उन्होंने दलील दी कि मस्जिद दशकों से मौजूद है और यहां लोग नियमित रूप से नमाज़ अदा करते हैं। इसे अचानक अवैध ठहराना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से आग्रह किया कि प्रशासन को बुलडोजर कार्रवाई से रोका जाए।
हाईकोर्ट की सुनवाई

सुनवाई के दौरान प्रशासन ने रिकॉर्ड और दस्तावेज़ प्रस्तुत किए। सरकार की ओर से कहा गया कि संबंधित भूमि राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में सरकारी संपत्ति के रूप में दर्ज है और यहां धार्मिक ढांचा बाद में खड़ा किया गया। अदालत ने इस पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारी भूमि पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय का हो।
हाईकोर्ट ने कहा, “धार्मिक संरचनाओं का सम्मान होना चाहिए, लेकिन कानून से ऊपर कोई नहीं है। यदि अवैध कब्जा साबित होता है तो प्रशासन को कार्रवाई करने से रोकना न्यायसंगत नहीं होगा।” अदालत ने याचिका खारिज करते हुए मस्जिद पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।
मुस्लिम पक्ष को झटका

फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष में गहरी नाराज़गी है। उनका कहना है कि अदालत ने हमारी भावनाओं और धार्मिक स्वतंत्रता पर ध्यान नहीं दिया। समुदाय के कई लोगों ने इसे अन्याय बताते हुए कहा कि मस्जिद को तोड़ना न केवल धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन होगा बल्कि सामाजिक सौहार्द्र को भी प्रभावित करेगा। स्थानीय इमाम ने कहा, “हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन उम्मीद करते हैं कि सरकार संवेदनशीलता दिखाते हुए समाधान निकाले।”
प्रशासन की तैयारी
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब संभल जिला प्रशासन की ओर से बुलडोजर कार्रवाई की संभावना तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक पुलिस और PAC (प्रांतीय सशस्त्र बल) की तैनाती की योजना बनाई जा रही है, ताकि किसी भी विरोध प्रदर्शन या तनाव को रोका जा सके। अधिकारियों का कहना है कि वे शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सतर्क रहेंगे।
जिला अधिकारी ने मीडिया से कहा, “हाईकोर्ट का आदेश हमारे लिए सर्वोपरि है। कानून के अनुसार कार्रवाई होगी। किसी भी तरह का अवांछनीय माहौल बनने नहीं दिया जाएगा।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया
मामले ने राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ा दी है। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह धार्मिक मुद्दों को हवा देकर माहौल बिगाड़ रही है। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों को तोड़ना समाधान नहीं है, बल्कि संवाद और संवेदनशीलता की ज़रूरत है। वहीं, सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने कोर्ट के आदेश का स्वागत किया और कहा कि कानून सबके लिए समान है।
सामाजिक माहौल
स्थानीय स्तर पर भी लोगों में मिश्रित प्रतिक्रिया है। एक वर्ग का मानना है कि अवैध निर्माण चाहे किसी भी धर्म का हो, उसे हटाना ज़रूरी है ताकि कानून की साख बनी रहे। वहीं दूसरी ओर, समुदाय विशेष के लोग इसे धार्मिक आस्था पर हमला मान रहे हैं। प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि कार्रवाई के दौरान माहौल बिगड़ने से रोका जा सके।
निष्कर्ष
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने साफ कर दिया है कि सरकारी भूमि पर बने अवैध धार्मिक ढांचे भी कानून के दायरे से बाहर नहीं हैं। अब संभल की मस्जिद पर बुलडोजर चलना लगभग तय है। यह मामला सिर्फ एक ढांचे तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश और देश में धार्मिक स्थलों के नाम पर अवैध कब्जों पर चल रही बहस को और तेज कर देगा।
फिलहाल नज़रें इस बात पर टिकी हैं कि प्रशासन कार्रवाई किस तरह और कब करता है तथा स्थानीय माहौल को शांतिपूर्ण बनाए रखने में कितना सफल रहता है।
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