CMO कार्यालय में पोस्टर तोड़े जाने से अफसरों की चुप्पी पर गुस्सा !

ये पोस्टर सीएमओ कार्यालय की दीवारों, गलियारों और कुछ महत्वपूर्ण विभागों के कमरों में लगाए गए थे. इन पर भ्रष्टाचार सम्बन्धित शिकायतों के नम्बर लिखे थे. लेकिन किसी ने फाड़ दिए.

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) में एक गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां “भ्रष्टाचार मुक्त भारत” और “पारदर्शी प्रशासन” के संदेश वाले पोस्टर, जिन्हें कर्मचारियों और अधिकारियों को जागरूक करने के लिए लगाया गया था, कुछ शरारती तत्वों द्वारा फाड़ दिए गए। इस घटना ने न केवल कार्यालय की साख पर सवाल उठाया है, बल्कि प्रशासन में भ्रष्टाचार और जवाबदेही को लेकर भी चर्चा पैदा कर दी है।

CMO कार्यालय में पोस्टर तोड़े जाने से अफसरों की चुप्पी पर गुस्सा !
CMO कार्यालय में पोस्टर तोड़े जाने से अफसरों की चुप्पी पर गुस्सा !

पोस्टरों का मकसद और संदेश

फाड़े गए पोस्टर सीएमओ कार्यालय की दीवारों, गलियारों और कुछ महत्वपूर्ण विभागों के कमरों में लगाए गए थे। इन पोस्टरों पर साफ लिखा गया था कि यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी रिश्वत मांगता है या भ्रष्टाचार फैलाता है, तो संबंधित व्यक्ति नीचे दिए गए नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकता है।

इस तरह के पोस्टर का उद्देश्य कार्यालय में पारदर्शिता लाना और कर्मचारियों तथा अधिकारियों को भ्रष्टाचार मुक्त कामकाज के लिए प्रेरित करना था। इसे आम जनता और कर्मचारियों दोनों के लिए जागरूकता अभियान के रूप में देखा जा रहा था।

पोस्टर फाड़ने की घटना

हालांकि, पोस्टरों को लगाए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर, इन्हें फाड़ दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, इस घटना में शामिल लोग वे ही थे, जिन पर पहले से भ्रष्टाचार फैलाने और अवैध कार्यों को संरक्षण देने के आरोप लगे हुए हैं।

इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई। वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरह शरारती तत्व पोस्टरों को फाड़ते हैं, जिससे कार्यालय की साख और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

अधिकारियों की चुप्पी पर नाराजगी

सबसे बड़ी बात यह है कि घटना के बाद भी किसी अधिकारियों या कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस चुप्पी ने आम जनता और अधिकारियों के बीच नाराजगी और असंतोष बढ़ा दिया है। कई कर्मचारियों और नागरिकों ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाए हैं कि आखिर भ्रष्टाचार और पारदर्शिता के संदेश को निशाना बनाने वाले लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में तुरंत सख्त कार्रवाई और जांच होनी चाहिए, ताकि अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों में डर और जवाबदेही का संदेश जाए। चुप्पी और लापरवाही का यह व्यवहार न केवल प्रशासनिक प्रणाली के प्रति भरोसे को कमजोर करता है, बल्कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वालों के लिए भी एक संदेश बन जाता है।

जनता और कर्मचारियों की प्रतिक्रिया

CMO कार्यालय के कर्मचारियों और आम जनता ने इस घटना पर गहरा असंतोष व्यक्त किया है। कई लोगों ने कहा कि कार्यालय में ऐसे पोस्टर लगाना जरूरी था ताकि लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा सकें, लेकिन पोस्टरों को फाड़ने की घटना ने इस प्रयास को बेअसर और नाकाम कर दिया।

साथ ही, सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने लोगों की नाराजगी को और बढ़ा दिया। कुछ लोगों ने ट्वीट और पोस्ट में लिखा कि यह घटना कार्यालय में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें दिखाती है और सवाल उठाती है कि आखिर कौन से अधिकारी या कर्मचारी इन तत्वों को संरक्षण दे रहे हैं।

भ्रष्टाचार मुक्त भारत और पारदर्शिता की चुनौती

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भ्रष्टाचार और पारदर्शिता केवल संदेशों या पोस्टरों से नहीं खत्म होंगे। इसके लिए आवश्यक है कि अधिकारियों की जवाबदेही, कड़ी निगरानी और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते जांच और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की तो यह संदेश जाएगा कि भ्रष्टाचार और अवैध कार्यों के खिलाफ कोई भी संरक्षण नहीं है। वहीं, चुप्पी और लापरवाही इसे बढ़ावा देती है और कर्मचारियों तथा आम जनता के बीच भरोसे की कमी पैदा करती है।

निष्कर्ष

अलीगढ़ CMO कार्यालय में पोस्टर फाड़ने की घटना प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ जवाबदेही की कमी को उजागर करती है। इस मामले में जिम्मेदारों की चुप्पी और कोई कार्रवाई न होना दर्शाता है कि पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन को लेकर अभी भी गंभीर चुनौती है।

यह घटना प्रशासन और कर्मचारियों दोनों के लिए सतर्कता का सबक है कि केवल पोस्टर या संदेश पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि जवाबदेही और त्वरित कार्रवाई के बिना भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों को रोकना संभव नहीं।

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